व्यक्ति का व्यवहार चरित्र का वास्तविक प्रतिबिंब है:सत्यवान
गुरुग्राम में एमडीयू के प्रबंधन विभाग के निदेशक प्रोफेसर सत्यवान बड़ौदा ने छात्रों को बताया कि व्यक्ति का व्यवहार उसके चरित्र का प्रतिबिंब होता है। उन्होंने सकारात्मक सोच और आत्म-जवाबदेही पर जोर दिया।...

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। एमडीयू प्रबंधन विभाग निदेशक व डीन प्रोफेसर सत्यवान बड़ौदा ने कहा कि व्यक्ति का व्यवहार ही उसके चरित्र का वास्तविक प्रतिबिंब होता है। हमारा व्यवहार ही हमारी पहचान, दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है। इसलिए हमेशा ऐसा व्यवहार करें, जैसा स्वयं के लिए चाहते हैं। प्रोफेसर सत्यवान शुक्रवार को गुरुग्राम के सेक्टर-40 के सीपीएएस में छात्रों व प्राध्यापकों को शैक्षणिक व प्रशासनिक ऑडिट के अवसर पर संबोधित हुए प्रस्तुत किए। प्रो. बड़ौदा ने विद्यार्थियों और शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अपने दैनिक आचरण, कार्यशैली, आपसी संवाद के माध्यम से संस्थान के मूल आदर्शो को न केवल आत्मसात करें, बल्कि उन्हें अपने व्यवहार में उतारकर संस्था की सकारात्मक और प्रगतिशील संस्कृति को सशक्त बनाएं। उन्होंने आध्यात्मिक दृष्टिकोण और व्यावहारिक जीवन मूल्यों को जोड़ते हुए आत्म-जवाबदेही, संतुलित जीवन शैली-अनुशासन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केवल शारीरिक नहीं होता, बल्कि यह आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक और शारीरिक सभी पहलुओं का समुच्चय है। यदि इनमें से कोई एक भी पक्ष उपेक्षित हो जाए, तो व्यक्ति वास्तव में स्वस्थ नहीं कहा जा सकता। इसलिए शिक्षकों और विद्यार्थियों को चाहिए कि वे सीमित संसाधनों में भी सकारात्मक सोच बनाए रखें और निरंतर प्रयासशील रहें।
आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) द्वारा शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए शैक्षणिक एवं प्रशासनिक ऑडिट निदेशक प्रो. प्रदीप के. अहलावत की अध्यक्षता में हुआ। जिसमें आईक्यूएसी संयोजक डॉ. सुनील देवी खरब ने संबंधित वर्ष के दौरान हुई शैक्षणिक उपलब्धियों और विकास कार्यों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। ऑडिट विशेषज्ञ के रूप में प्रो. वागेश्वरी देशवाल (दिल्ली विश्वविद्यालय) और प्रो. आशुतोष निगम (जेसी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फरीदाबाद) उपस्थित रहे। विशेषज्ञ प्रो. आशुतोष निगम ने संस्थान की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ से संबंधित प्रलेखन प्रक्रियाओं को और अधिक सुदृढ़ एवं व्यवस्थित बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रदान किए। उन्होंने एनएएसी, एनआईआरएफ तथा एनबीए जैसे राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पाठ्यक्रमों के पुनर्गठन, इंटरडिसिप्लिनरी शिक्षण एवं फैकल्टी एक्सचेंज, उद्योग के साथ प्रभावी सहभागिता, मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के संचालन तथा छात्र-शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम को विद्यार्थियों के समग्र विकास तथा संस्थान की गुणवत्ता संवर्धन के लिए लक्षित करने का सुझाव दिया।
निदेशक प्रो. प्रदीप के. अहलावत ने आश्वस्त किया कि विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों को गंभीरता से अमल में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र में छात्र-केंद्रित शिक्षण पद्धतियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिसमें पियर-टू-पियर लर्निंग, गतिविधि-आधारित शिक्षण और कौशल विकास मुख्य है। इसके साथ ही हर छात्र की व्यक्तिगत स्किल मैपिंग की जाएगी एवं व्यक्तिगत मॉटरिंग के जरिए उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद की जाएगी। इस अवसर पर लॉ संकाय के समन्वयक डॉ. वीरेंद्र सिंधु, प्रबंधन विभाग के समन्वयक डॉ. विजय राठी सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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