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ब्याज के साथ खरीदार को राशि वापस करनी होगी

- याचिकाकर्ता ने सेक्टर-67 स्थित एम3एम अर्बना में दुकान खरीदी थी- याचिकाकर्ता ने सेक्टर-67 स्थित एम3एम अर्बना में दुकान खरीदी थी

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवTue, 7 Jan 2025 09:47 PM
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ब्याज के साथ खरीदार को राशि वापस करनी होगी

गुरुग्राम। हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) ने सेक्टर-67 स्थित एम3एम अर्बना की एक दुकान को लेकर दायर याचिका मामले में फैसला सुनाया है। हरेरा अध्यक्ष अरुण कुमार ने आदेश जारी किए हैं कि याचिकाकर्ता को ब्याज सहित राशि वापस की जाए। 90 दिन के अंदर यदि राशि वापस नहीं जाती है तो हरेरा की तरफ से नियमानुसार विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सेक्टर-67 स्थित पार्क व्यू सपा नेक्स्ट के निवासी अखिलेश कुमार और कुसुम ने हरेरा में याचिका दायर की थी कि उन्होंने साल 2015 में एम3एम अर्बना में 900 वर्ग फीट क्षेत्र की एक दुकान करीब दो करोड़ में बुक की थी। 30 प्रतिशत पेमेंट बुकिंग के दौरान दी गई थी, जबकि 70 प्रतिशत पेमेंट का भुगतान कब्जा मिलने पर करना था। नवंबर, 2015 में करार हुआ था। मई, 2017 में कब्जा मिलना था। इसको लेकर उन्होंने 60 लाख रुपये का भुगतान इस बिल्डर को कर दिया था।

आरोप है कि जनवरी, 2018 में बिल्डर ने उनकी दुकान के आवंटन को रद्द कर दिया। बिल्डर ने फरवरी, 2017 में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से कब्जा प्रमाण पत्र लेने के बाद मार्च माह में उसे कब्जा ऑफर कर दिया, लेकिन मौके पर जब गया तो पाया कि परियोजना निर्माणाधीन है। उसने बिल्डर से परियोजना को पूरा करने के बाद दुकान का कब्जा देने का आग्रह किया। आरोप है कि उसकी सुनवाई किए बिना उसकी दुकान के आवंटन को रद्द किया गया।

अगस्त, 2022 में याचिकाकर्ता ने हरेरा में याचिका दायर करके दुकान का कब्जा दिलवाने और देरी पर ब्याज दिलवाने की गुहार लगाई। हरेरा अध्यक्ष अरुण कुमार, सदस्य विजय कुमार गोयल और सदस्य अशोक सांगवान ने इस याचिका की सुनवाई की। बिल्डर ने पक्ष रखा कि उपभोक्ता फोरम ने याचिकाकर्ता की याचिका को रद्द कर दिया है। पुलिस में शिकायत दी थी, जिसके ऊपर उपभोक्ता फोरम में मामला होने के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मार्च, 2017 में याचिकाकर्ता को दुकान का कब्जा ऑफर कर दिया था। याचिकाकर्ता ने बिल्डर-बायर करार का उल्लंघन किया। इस आधार पर दुकान के आवंटन को रद्द किया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हरेरा ने आदेश जारी किए कि याचिकाकर्ता की तरफ से दी गई राशि में से नियमानुसार 10 प्रतिशत काटने के बाद साल 2018 से लेकर अब तक 11.10 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से राशि को 90 दिन के अंदर वापस किया जाए।

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