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जिले में 26 हजार कर्मियों को ईपीएफ की सुविधा नहीं मिलती है

गुरुग्राम के अनियमित औद्योगिक क्षेत्रों में 26 हजार श्रमिकों को ईपीएफ की सुविधा नहीं मिल रही है। पिछले साल से 150 फर्मों ने ईपीएफ का पैसा नहीं जमा किया है। श्रमिकों ने श्रम विभाग में शिकायत की है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवSat, 9 Nov 2024 11:10 PM
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गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। जिले के अनियमित औद्योगिक क्षेत्रों के श्रमिकों को नियमित ईपीएफ (ईपीएफ) की सुविधा नहीं मिल रही है। इनका ईपीएफ का पैसा पिछले साल से 150 फर्म संचालकों की ओर से जमा नहीं कराए जा रहे हैं। जिसको लेकर श्रमिकों की ओर से ईपीएफ और श्रम विभाग में शिकायत की गई है। जिसमें आरोप लगाया है कि श्रमिक व कर्मचारियों के हकों को मारा जा रहा है। इन फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वहीं विभागीय के अधिकारियों ने कहा कि फर्मो को नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा, नहीं जो फर्मों का पंजीकरण रदद किये जाएंगे। इन क्षेत्रों के 26 हजार श्रमिक हैं:

बसई, कादीपुर, दौलताबाद, बहरामपुर औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां पर 8 से 10 हजार से अधिक श्रमिक हैं। इसमें प्लाईबोर्ड, मेटल, पेपर मिल, फैक्ट्रियां, अस्पताल, होटल, कंपनी, शिक्षण संस्थान में तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से 26 हजार कर्मचारियों को ईपीएफ की सुविधा नहीं मिल रही है। श्रमिकों को ईपीएफ की सुविधा नहीं मिलने की शिकायत मिली है। श्रमिक नेता राज कुमार का कहना है कि जो फर्म संचालक श्रमिकों का हक हड़प रहे हैं, उनके खिलाफ शिकायत श्रम विभाग में की गई है। एक फर्म में 30 से अधिक श्रमिक होते हैं। दौलताबाद में एक कंपनी में दो गेट लगाकर श्रमिकों को अंदर बाहर किया जाता है। किसी के पास पहचान पत्र नहीं है। ऐसे में ईपीएफ तक जमा नहीं कराए जाते हैं।

लाभ के लिए करते हैं दूसरे का नुकसान:

ईपीएफ का एक हिस्सा कर्मचारी का तो एक हिस्सा कंपनी को अदा करना होता है। इसलिए फैक्ट्री संचालक या फर्म श्रमिकों का ईपीएफ जमा नहीं करती। जिस संस्था या फर्म में 20 कर्मचारी काम करते हैं। उस पर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का नियम लागू होता है। इसी तरह से ईएसआई का नियम 10 कर्मचारियों पर लागू हो जाता है। जिन कर्मचारियों को 15 हजार रुपये तक का वेतन मिलता है। वह ईपीएफ के दायरे में आते हैं। ईएसआई के दायरे में 21 हजार तक वेतन पाने वाले श्रमिक लाभ ले सकते हैं। कुछ फैक्ट्री संचालक श्रमिकों का वेतन 16 हजार बताकर इस स्लैब से उनको बाहर कर देते हैं, जबकि उनका वेतन कम होता है।

-श्रमिकों को संबंधित विभाग में शिकायत करते हैं तो इसकी जांच होती है। इसके बारे में फर्मो से जानकारी मांगी जाती है। ईपीएफ और ईएसआई विभाग भी इसकी निगरानी करता है।

रमेश सिंह डिप्टी डायरेक्टर श्रम विभाग

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