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पटौदी विधानसभा से हर बार मतदाता नए उम्मीदवार को बनाया विधायक

सत्ता-संग्राम:गुरुग्राम,प्रमुख संवाददाता। पटौदी विधानसभा का अपना अलग ही मिजाज है। प्रदेश का ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जो हर बार नया चेहरा चुनकर विधानस

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवFri, 30 Aug 2024 10:57 PM
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गुरुग्राम, प्रमुख संवाददाता। पटौदी विधानसभा का अपना अलग ही मिजाज है। प्रदेश का ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जो हर बार नया चेहरा चुनकर विधानसभा भेजता आया है। सीट की सबसे रोचक बात यह है कि विधानसभा चुनाव में कभी लगातार दूसरी बार किसी प्रतिनिधि पर भरोसा नहीं कर पाया। पटौदी विधानसभा ने राव बिरेंद्र सिंह के रूप में प्रदेश को पहला ओबीसी मुख्यमंत्री भी दिया है। विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने राष्ट्रीय दलों के साथ क्षेत्रीय दलों को भी पूरा तवज्जो दिया है। यहां के वोटर का मिजाज दूसरी विधानसभाओं से जुदा माना जाता है। साल 2019 से 2024 तक पटौदी से भाजपा के विधायक सत्यप्रकाश जरावता हैं। हालांकि 2014 से यह सीट भाजपा के पास है, लेकिन दोनों ही बार अलग-अलग चेहरों पर चुनाव लड़कर भाजपा ने यहां जीत का परचम लहराया है। 2014 के चुनाव में यहां की जनता ने रामपुरा हाउस (राव इंद्रजीत सिंह) समर्थित भाजपा प्रत्याशी बिमला चौधरी पर भरोसा जताया। 2019 में बिमला की टिकट काटकर सत्यप्रकाश जरावता को टिकट दी गई। उन्होंने भी जीत दर्ज की।

माना जाता है कि उनकी टिकट से रामपुरा हाउस खफा था। इसलिए चुनाव में रामपुरा हाउस का उन्हें समर्थन नहीं मिल पाया। बावजूद इसके उन्होंने जीत दर्ज की। इस बार सत्यप्रकाश जरावता एक फिर विधानसभा से ताल ठोक रहे हैं। अब देखना यह है कि पटौदी के इतिहास में जो आज तक कोई विधायक नहीं कर पाया, क्या जरावता वह कर पाएंगे। राजनीति के जानकारों की माने तो गुरुग्राम में भाजपा टिकट वितरण में बड़े फेरबदल के मूड में है। यहां की चार में से तीन विधानसभा सीटों पर जीते प्रत्याशियों में भाजपा इस चुनाव में किसी को दोबारा से उम्मीदवार बनाने की करने के मूड में नहीं है। ऐसा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है।

कांग्रेस से बगावत कर मुख्यमंत्री बन गए थे राव बिरेंद्र

-1966 में हरियाणा गठन के बाद वर्ष 1967 में हुए प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में पटौदी क्षेत्र से ताल ठोकी और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ विधायक बने। प्रदेश के पहले निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष चुने गए। इसी दौरान कांग्रेस में हुई बगावत का उन्हें फायदा मिला और बागी विधायकों को साथ लेकर कांग्रेस छोड़ गए। उन्होंने विशाल हरियाणा पार्टी का गठन किया और फिर से पटौदी के विधायक बने। 24 मार्च 1967 को राव संयुक्त विधायक दल के नेता के रूप में चुने गए और प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने।

विधानसभा में जीत-हार तय करता है रामपुरा हाउस

पटौदी विधानसभा का एक रोचक तथ्य यह भी है कि विधानसभा चुनाव में यहां किसी भी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में हो, हार-जीत रामपुरा हाउस तय करता है। यहां साल 2019 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो रामपुरा हाउस के आशीर्वाद के बिना कोई विधायक नहीं बन पाया है। टिकट दिलाने से लेकर जीत तक की गारंटी रामपुरा हाउस की होती है। फिर क्षेत्रीय पार्टियों के उम्मीदवार ही क्यों न हो।

1977 में आरक्षित हुई सीट

बता दे कि पटौदी सीट 1967 से 1972 तक सामान्य वर्ग के लिए रही। 1977 में यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई। आरक्षित सीट पर राव बिरेंद्र की विशाल हरियाणा पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे चौधरी नारायण सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।

चार विधानसभा में 14.87 लाख मतदाता पंजीकृत

पटौदी सीट में 259 मतदान केंद्रों पर 2 लाख 53 हजार 684 मतदाता है। इसके अलावा बादशाहपुर के 518 मतदान केंद्रों पर 5 लाख 13 हजार 052, गुडग़ांव के 435 पर 4 लाख 37 हजार 183 व सोहना के 292 मतदान केंद्रों पर 2 लाख 83 हजार 391 मतदाता पंजीकृत है। जिले में इस बार 1504 मतदान करने के लिए बूथ बनाए गए है।

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