सड़क के नमूनों की जांच संदेह के घेरे में आई
गुरुग्राम में सुशांत लोक-2 और 3 में नगर निगम द्वारा बनाई गई सड़कों के नमूने आरडब्ल्यूए की जांच में फेल हो गए हैं। पहले सभी नमूने पास आए थे, लेकिन बाद में आरडब्ल्यूए ने खुद जांच कराई, जिसमें सात नमूने...
गुरुग्राम। नगर निगम द्वारा सुशांत लोक-2 और 3 में आठ करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई सड़कों के नमूने आरडब्ल्यूए द्वारा करवाई जांच में फेल आए हैं। खास बात यह है कि निगम ने सड़क निर्माण के दौरान जो नमूने एकत्रित किए थे जब उनकी जांच में सभी नमूने पास पाए गए थे, जबकि नगर निगम और आरडब्ल्यूए ने एक ही लैब में दोनों नमूने जांच के लिए भेजे थे। लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर निगम ने एजेंसी को पांच करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान भी कर दिया है। जबकि आरडब्ल्यूए ने जांच रिपोर्ट आने के बाद निगमायुक्त से एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। एक ही सड़क के नमूने एक बार फेल और एक बार पास आने से जिस लैब में इन नमूनों की जांच करवाई गई है वह भी संदेह की घेरे में है। बता दें कि सुशांत लोक दो और तीन दोनों ही कॉलोनी निगम के दायरे में दो साल पहले शामिल हुई थी। निगम की तरफ से इन कॉलोनियों में सीवर, सड़क और पानी को लेकर डीपीआर तैयार की गई थी। सबसे पहले निगम ने सुशांत लोक-2 और 3 में सड़कों के निर्माण को लेकर एक पांच करोड़ तो दूसरी तीन करोड़ की डीपीआर तैयार करके इसके टेंडर लगाए थे।
दोनों ही टेंडर निगम ने एक ही एजेंसी को सौंप दिए। आरडब्ल्यूए का आरोप है कि तीन माह पहले बनी सड़क बदहाल हो गई है। जगह-जगह से टूटने भी लगी है। आरडब्ल्यूए ने निगम में इसकी शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद आरडब्ल्यूए ने खुद के खर्चे पर सड़क निर्माण में प्रयोग की गई निर्माण सामग्री की निगम ने जांच करवाई उसी लैब से नमूने लेकर इसकी जांच करवाई। दस सड़कों के नमूने लेकर लैब में भेजे गए। इनकी जांच रिपोर्ट सात की फेल आई है।
एजेंसी ने सेक्टर-31 में भी किया घटिया सड़कों का निर्माण
सुशांत लोक में सड़कों के निर्माण कार्य जिस एजेंसी को दिया गया है, उसी एजेंसी ने बीते साल जुलाई माह में सेक्टर-31 में भी सड़कों के निर्माण का कार्य किया था। यहां भी दो माह के अंदर ही सभी सड़कें टूटने लगी थी। इसको लेकर निगम ने दोबारा से सड़क के नमूने लेकर लैब में भेजे तो यहां भी सभी सड़कों के नमूने फेल मिले। नमूने फेल आने के बाद भी निगम की तरफ से एजेंसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बदले में एजेंसी को लगातार निगम अधिकारी करोड़ों रुपयों के टेंडर जारी कर रहे हैं।
लैब एजेंसी संदेह के घेरे में
नगर निगम द्वारा सभी विकास कार्यों की जांच एक ही एजेंसी से करवाई जाती है। यह कोई पहली बार नहीं है कि पहली बार में लैब में भेजे गए नमूनों की रिपेार्ट पास हो जाती है। इसके बाद अगर स्थानीय लोग इसकी शिकायत करते हैं तो विजिलेंस द्वारा जब सड़क निर्माण की नमूने उसी लैब में जांच के लिए भेजे जाते हैं तो उनकी रिपोर्ट फेल आती है। सेक्टर-10, चक्कर, गांव सराय, रामा गार्डन समेत दस से अधिक ऐसे मामले हैं जहां विजिलेंस की जांच में सड़कों नमूने फेल आए। जबकि बिलों के भुगतान के समय सभी नमूने पास कर दिए जाते हैं।
सड़क के अगर नमूने फेल आए हैं तो इसकी जांच करवाई जाएगी। लापरवाही बरतने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करवाई जाएगी और संबधित अधिकारी से भी जवाब मांगा जाएगा।
- अशोक कुमार गर्ग, निगमायुक्त, नगर निगम, गुरुग्राम
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