सेक्टर-107 में सीवर शोधन संयंत्र के निर्माण का रास्ता साफ
गुरुग्राम के सेक्टर-107 में 300 एमएलडी क्षमता का सीवर शोधन संयंत्र बनाया जाएगा। जीएमडीए को जमीन के लिए गुरुग्राम नगर निगम को 79.89 करोड़ रुपये देने होंगे। अगले महीने में डिजाइन तैयार करने के लिए...
गुरुग्राम। सेक्टर-107 में सीवर शोधन संयंत्र (एसटीपी) के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। गुरुग्राम नगर निगम की तरफ से गांव दौलताबाद में सर्कल रेट के हिसाब से गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) को जमीन उपलब्ध करवाएगा। जीएमडीए की तरफ से प्रयास किया जा रहा है कि यह जमीन उन्हें गुरुग्राम नगर निगम निशुल्क मुहैया करवाए, लेकिन हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक यह संभव नहीं है। ऐसे में इस जमीन के बदले में जीएमडीए को 79.89 करोड़ रुपये गुरुग्राम नगर निगम को देने होंगे। अगले 10 से 15 दिन के अंदर यह राशि नगर निगम के खाते में जमा हो जाएगी। वहीं, दूसरी तरफ जीएमडीए की तरफ से अगले महीने एक सलाहकार कंपनी को इस एसटीपी का डिजाइन तैयार करने का काम सौंप दिया जाएगा।
जीएमडीए की योजना के मुताबिक इस जमीन पर 300 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता का सीवर शोधन संयंत्र बनाया जाएगा। पहले चरण में 100 एमएलडी क्षमता का संयंत्र लगाया जाएगा। इसमें सेक्टर-81 से 115 से आ रहे गंदे पानी को शोधित करके नजफगढ़ नाले के माध्यम से यमुना में छोड़ा जाएगा। गत 10 जुलाई को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आयोजित जीएमडीए अथोरिटी की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है।
जीएमडीए के एक अधिकारी ने बताया कि अगले महीने में सीवर शोधन संयंत्र की जमीन की राशि गुरुग्राम नगर निगम में जमा करवा दी जाएगी। इसके साथ-साथ सलाहकार कंपनी को इसका डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। साल 2025 के अंत तक इस एसटीपी का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है।
क्यों बनाया जा रहा एसटीपी
राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) ने यमुना को प्रदूषणमुक्त करने के आदेश हरियाणा सरकार को जारी किए हुए हैं। करीब 40 एमएलडी पानी सीवर का गंदा पानी रोजाना बिना शोधित हुए नजफगढ़ नाले के माध्यम से यमुना में जा रहा है। एनजीटी ने आदेश जारी किए हुए हैं कि यमुना में गंदा पानी नहीं जाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो संबंधित अधिकारी से सख्ती से निपटा जाएगा। सीवर शोधन संयंत्र में शोधित पानी का इस्तेमाल हरित क्षेत्र और खेतीबाड़ी में किया जाए। प्रयास किए जाए कि शोधित पानी कम से कम यमुना में जाए।
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