बिल्डर कॉलोनियों में विकास कार्य के लिए नहीं बना बजट
गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता। मिलेनियम सिटी के पॉश कॉलोनियों को नगर निगम न तो जिम्मेदारी ले रही है और न ही विकास कार्य के लिए कोई बजट बनाया है।...
गुरुग्राम। मिलेनियम सिटी के पॉश कॉलोनियों को नगर निगम न तो जिम्मेदारी ले रही है और न ही विकास कार्य के लिए कोई बजट बनाया है। डीएलएफ फेज-1, 2, 3 में डेढ़ लाख से अधिक लोगों की आबादी है। यहां पर लोगों को बिजली-पानी की सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है। लेकिन नगर निगम की तरफ से कोई काम नहीं कराए जा रहे है। तीन कॉलोनियों में बने मकानों से निगम को हर साल लाखों रुपये संपत्तिकर के रूप में मिलता है। इसके बाद भी यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। ऐसे में नगर निगम की कार्यशैली पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। जिसको लेकर लगाकर सुविधाओं की मांग हो रही है। निगम ने बिल्डर की जिम्मेदारी बताकर विकास कार्य कराने से मना कर देता है।
दो सालों से लटका टेकओवर मामला
इन तीन कॉलोनियों के टेकओवर मामले दो सालों से लटका हुआ है। निगम विकास कार्य नहीं कराकर बिल्डर को नोटिस जारी करके पीछे हट जाता है। इस कारण निगम और बिल्डरों की मनमानी से स्थानीय लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए दो-चार होना पड़ रहा है। डीएलएफ फेज-3 एरिया में सड़कें काफी समय से टूटी पड़ रही है। लोगों के विरोध किया, लेकिन निगम की तरफ से सड़कें नहीं बनाई जाती हैं।
सरकार से हरीझंडी मिल चुकी है
प्रदेश सरकार की तरफ से डीएलएफ फेज 1, 2, 3 समेत अन्य कॉलोनियों को टेकओवर करने के लिए हरीझंडी मिल चुकी है। निगम की तरफ से कॉलोनियों के टेकओवर करने के मामले में जो डीपीआर तैयार की थी। उसके अनुसार बिल्डर से न तो पैसा मिला और न ही बिल्डर ने विकास कार्य कराए। बिल्डर को कई नोटिस दिए गए। जब बिल्डर की संपत्ति जब्त करने की चेतावनी दी गई, तब कुछ काम कराने शुरू कर दिए।
निगम छह महीने का समय दिया
नगर निगम के अनुसार इन तीनों कॉलोनियों की जिम्मेदारी छह महीने में बिल्डर से ले ली जाएगी। इसके पहले अधूरे कार्यो को पूरा कराने के लिए बिल्डर को समय दिया गया है। निगम भी कॉलोनी के रखरखाव की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। कब विकास कार्य निगम की तरफ से कराए जाएंगे इसके बारे में बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
गर्मी शुरू होते ही कॉलोनी में बिजली-पानी की समस्या बढ़ जाती है। निगम इस एरिया में पानी की आपूर्ति पर ध्यान नहीं देता है। जिससे हजारों परिवारों को परेशान होना पड़ता है। कई बार निगम में शिकायत कर चुके हैं। निगम अधिकारी कहां सुनते हैं।
-सुरेश कुमार, निवासी, डीएलएफ फेज-1
कॉलोनी में बिजली कटौती की सबसे बड़ी समस्या है। बिजली कटने के बाद आपूर्ति प्रभावित होती है। शिकायत न तो बिल्डर सुनता है और न ही निगम अधिकारी। कॉलोनी में सालों से यह समस्या से लोग जूझ रहे हैं। निगम को ध्यान देने की जरुरत है।
-प्रदीप बाली, निवासी, डीएलएफ फेज-2
सालों से सड़कें की टूटी पड़ रही है। अब बिल्डर की तरफ से बनाई जा रही है। सीवरेज का बुराहाल है। जिसकी सफाई नहीं होने से ओवरफ्लो हो जाता है। निगम कभी कॉलोनी में विकास कार्य के बारे में नहीं सोचा। जिसका खामियाजा यहां के लोगों को उठाना पड़ता है।
-धीरज कुमार, निवासी, डीएलएफ फेज-3
नगर निगम की तरफ से बिल्डर कॉलोनियों में विकास कार्य के लिए बजट नहीं बनता है। निगम अधिकारियों से झगड़ कर लोगों की सुविधाएं दी जा रही है। लेकिन कब तक ऐसा चलता रहेगा। बिजली-पानी की सबसे अधिक दिक्कत लोगों को होती है। निगम कॉलोनियों की जिम्मेदारी भी नहीं ले रहा है।
-आरएस राठी, पार्षद, वार्ड-34
कोट्स
निगम की तरफ से कॉलोनियों की दह महीने में जिम्मेदारी ले जी जाएगी। इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। बिल्डर कॉलोनी में अधूरे कार्यों को पूरा करा देता है या डीपीआर के अनुसार भुगतान करे। इसके पहले बिल्डर को ही सुविधाएं देने की जिम्मेदारी है।
-हरिओम अत्री, संयुक्त आयुक्त, नगर निगम जोन-3
नंबर गेम:
3 कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं नहीं
1.5 लाख की आबादी है कॉलोनियों की
6 महीने में निगम रखरखाव की जिम्मेदारी लेगा
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