मानव तस्करी का डर दिखाकर 10 दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट, पूर्व प्रिंसिपल से रूपये भी ऐंठे
- ग्रेटर फरीदाबाद निवासी एक सेवानिवृत प्रधानाचार्य को साइबर ठगों ने मानव अंग तस्करी का डर दिखाकर करीब दस दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा। साथ ही मामले को रफा-दफा करने के एवज में करीब दो लाख 85 हजार रुपये ऐंठ लिए।
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ग्रेटर फरीदाबाद निवासी एक सेवानिवृत प्रधानाचार्य को साइबर ठगों ने मानव अंग तस्करी का डर दिखाकर करीब दस दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा। साथ ही मामले को रफा-दफा करने के एवज में करीब दो लाख 85 हजार रुपये ऐंठ लिए। पुलिस के अनुसार करीब 70 वर्षीय पीड़ित सेक्टर-80 स्थित बीपीटीपी में अकेले रहते हैं। वह तिगांव स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत हैं। उनका एक बेटा और एक बेटी है। बेटा अमेरिका में परिवार के साथ रहता है। जबकि बेटी सेक्टर-19 में परिवार के साथ रहती है। पीड़ित ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि 14 जनवरी को उनके मोबाइल फोन पर एक वाट्सऐप काल आया।
कॉल करने वाले ने अपने आपको मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया। साथ ही कहा कि उनके नाम से एक बैंक खाता खुला हुआ है। उस बैंक खाते में मानव अंग की तस्करी के तहत कमीशन का पैसा जमा किया जा रहा है। ऐसे में उनके खिलाफ मुंबई स्थित एक थाना में मुकदमा दर्ज है और जांच में सहयोग करने के लिए उन्हें मुंबई आना होगा। वीडियो कॉल पर तुरंत गिरफ्तारी का डर दिखाया गया। मामले को तुरंत रफादफा करने के लिए एक बैंक खाता संख्या भेजकर पैसे मांगे। पीड़ित का कहना है कि वह इतना डर गए कि आरोपियों द्वारा बताए बैंक खाते में नजदीकी बैंक जाकर करीब दो लाख 85 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। आरोपियों ने कहा- मकान बेचकर दें पैसे पीड़ित ने बताया जब बैंक से लोन नहीं मिला तो यह बात उन्होंने आरोपियों को बताई। इसपर आरोपी उनसे मकान बेचने को कहा। मकान बेचने का उनपर काफी दबाव बनाया गया। लेकिन समय रहते वह बच गए।
कॉल को काटने की नहीं थी अनुमति
पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने किसी भी सूरत में कॉल नहीं काटने की हिदायत दी थी। किसी जरूरी कार्य करने के दौरान वीडियो ऑफ कर, ऑडियो चालू रखने को कहा गया था। पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने उन्हें काफी मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इससे वह अवसाद में चले गए। यहां तक कि उन्हें अवसाद से निकलने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ी।
14 माह में डिजिटल अरेस्ट के 13 मामले सामने आए
साइबर पुलिस के अनुसार शहर में डीजिटल अरेस्ट के मामले में बढ़े हैं। पिछले साल से अबतक शहर में 13 डिजिटल अरेस्ट के मामले पुलिस के पास पहुंचे। अधिकारियों का दावा है कि सभी मामला दर्जकर जांच की जा रही है। ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर दस व्यक्तियों से करीब दो करोड़ रुपयों से अधिक की ठगी हुई। हालांकि पुलिस ने इस बाबत पांच मामले का खुलासा करते हुए 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया और करीब आठ लाख 57 हजार रुपये से अधिक बरामद भी किए हैं। 12 फरवरी को शहर में रह रही पूर्व महिला आईपीएस अधिकारी को भी डीजिटल अरेस्ट कर ठगी का प्रयास किया था। लेकिन पूर्व आईपीएस अधिकारी अपनी सूझबूझ से बच सकी।
भतीजे के कहने पर कॉल काटा
पीड़ित ने बताया कि वीडियो कॉल में उन्होंने देखा कि आरोपी निक्कर में घूम रहे थे। यह देखकर उन्होंने तुरंत दूसरे मोबाइल फोन से सीबीआई में कार्यरत अपने भतीजे को कॉल किया और पूरी बात बताई। इसपर भतीजे ने साइबर ठगी की बात बताकर, तुरंत कॉल काटने को कहा। भतीजे के कहने पर पीड़ित तुरंत वीडियो कॉल काटकर साइबर सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर-1930 पर कॉल कर शिकायत दी।
पीड़ित के अनुसार आरोपियों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने की बात किसी से साझा करने से मना किया था। कहा गया था कि अगर वह किसी से इस बाबत बात करते हैं तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इससे पीड़ित और डर गए। करीब दो लाख 85 हजार रुपये लेने के बाद आरोपी पीड़ित से और पैसों की करने लगे। इतना दबाव बना दिया कि पीड़ित पास स्थित एक बैंक से लोन लेने चले गए। लेकिन अधिक उम्र होने के चलते उन्हें बैंक द्वारा लोन नहीं दिया गया।