एडीएम के औचक निरीक्षण से भी आरटीओ कार्यालय से खत्म नहीं हुए दलाल
गाजियाबाद में आरटीओ दफ्तर के बाहर दलालों का फिर से जमावड़ा लग गया है। डीएम के निरीक्षण के बाद एक महीने तक सन्नाटा रहा, लेकिन दलालों ने फिर से अपनी दुकानें खोल ली हैं। लोग ऑनलाइन आवेदन करने में परेशानी...
पड़ताल - आरटीओ दफ्तर के बाहर लग्जरी गाड़ियों में बैठकर अपनी दुकान चला रहे दलाल
- डीएम के निरीक्षण के बाद एक महीने तक सन्नाटा, फिर से जमे दलाल
गाजियाबाद, प्रदीप वर्मा। अपर जिलाधिकारी के औचक निरीक्षण के बाद भी संभागीय परिवहन कार्यालय से दलाल खत्म नहीं हो पा रहे हैं। परिवहन विभाग की 41 से ज्यादा सेवाएं ऑनलाइन होने के बाद भी दफ्तर के बाहर दलालों का जमावड़ा लगा हुआ है और अधिकारी मौन साधे हुए हैं।
संभागीय परिवहन के चार जिले गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और हापुड़ का संभाग कार्यालय बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र में हैं। आरटीओ दफ्तर में प्रवर्तन विभाग और प्रशासनिक विभाग के आरटीओ बैठते हैं। कार्यालय के प्रशासनिक अनुभाग की जिम्मेदारी एआरटीओ प्रशासन की होती है। इसके बाद भी दफ्तर के बाहर बड़ी संख्या में दलालों का जमावड़ा है। दफ्तर के बाहर ही लग्जरी कारों में दलाल अपनी दुकान चला रहे हैं। वह खुद लोगों के ऑनलाइन आवेदन करके कर्मचारियों से सेटिंग कर काम करा रहे हैं। आरटीओ दफ्तर की शिकायत पर जुलाई महीने में जिलाधिकारी के निर्देश पर एडीएम सिटी गंभीर सिंह ने औचक छापा मारा। कार्यालय में बड़ी संख्या में अनाधिकृत लोग मिले। इस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की और कार्यालय के अंदर किसी भी दलाल के प्रवेश पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए। डीएम की फटकार के बाद एक महीने तक दफ्तर और बाहर सड़क पर सन्नाटा पसरा रहा। लेकिन बाद में फिर से दलालों का जमावड़ा हो गया। फिलहाल बाहर बैठे दलालों को लेकर अधिकारी मौन हैं।
मनमानी रकम वसूल रहे दलाल
प्रताप विहार निवासी प्रमोद कुमार ने बताया कि वह अपना लाइसेंस रिन्युअल के लिए आरटीओ दफ्तर गए थे। वहां से पता चला कि रिन्युअल के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए वह दफ्तर के बाहर ही कार में लैपटॉप लेकर बैठे व्यक्ति के पास पहुंचे। उसने केवल आवेदन करने के पांच सौ रुपए बताए और लाइसेंस बनवाने के दो हजार रुपए की मांग की। इसी तरह कार के पंजीकरण पत्र से फाइनेंसर का नाम हटवाने के लिए वैशाली निवासी कमलेश शर्मा आरटीओ दफ्तर पहुंचे। दफ्तर के बाहर उन्हें एक दलाल से संपर्क हुआ। उसने बताया कि हाइपोथिकेशन टर्मिनेंट के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद कागज अपलोड किए जाएंगे। अगर वह काम कराएंगे तो फीस के अलावा 1500 रुपए का खर्च होगें। दलालों का मनमाना व्यवहार उनके पास आने वाले लोगों के साथ होता है। दफ्तर में भी दलालों के बिना कोई काम संभव नहीं है।
आनलाइन आवेदन में आ रही दिक्कत
परिवहव विभाग की 41 सेवाएं ऑनलाइन होने के बाद भी लोगों को आरटीओ दफ्तर आना पड़ रहा है। कुछ लोगों को खुद से ऑनलाइन आवदेन करना नहीं आ रहा तो कुछ लोगों को फीस जमा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कई बार आवेदकों की फीस तो कट जाती है लेकिन आवेदन समिट नहीं हो पाता।
ये कार्य हुए ऑनलाइन
वाहन पंजीयन में पता बदलना, डुप्लीकेट पंजीकरण संबंधी, डुप्लीकेट परमिट, पंजीयन फीस, अस्थाई परमिट, रिन्युवल परमिट, मोबाइल नंबर अपडेय़न, वाहन डीलर ट्रांसफर निकस्तीकरण, विशेष परमिट, ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट परमिट आवेदन, राष्ट्रीय परमिट फीस जमा, मोटर वाहन के अस्थाई पंजीयन आवेदन आदि कार्य ऑनलाइन हो गए हैं। इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस में लर्निंग लाइसेंस, लर्निंग में पता बदलने, डुप्लीकेट डीएल, डीएल में नाम बदलने, कंडक्टर लाइसेंस आवेदन, डीएल में मोबाइल नंबर अपडेशन, अंतर्राष्टीय ड्राइविंग परमिट, फोटो और हस्ताक्षर बदलने आदि के कार्य आनलाइन हो गए हैं।
वर्जन----
परिसर के बाहर बैठे लोगों से विभाग का कोई लेना-देना नहीं हैं। लेकिन वह इन्हें हटवाने के लिए जिलाधिकारी को अनुरोध पत्र लिखेंगे। - प्रमोद कुमार सिंह, आरटीओ, गाजियाबाद संभाग
आरटीओ कार्यालय में दोबारा से औचक निरीक्षण किया जाएगा। अगर कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति या कार्य होता पाया गया तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - गंभीर सिंह, एडीएम सिटी, गाजियाबाद
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