आरटीई आरटीई के 40 फीसदी बच्चों का साल खराब
गाजियाबाद में आरटीई के तहत 6065 बच्चों का चयन हुआ, लेकिन सिर्फ 3711 का ही दाखिला हुआ। अभिभावक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की कार्रवाई सिर्फ नोटिसों तक सीमित है। आठ महीने बाद भी 40...
- जिले में आरटीई की 15 हजार से अधिक सीटों पर 6065 बच्चों का हुआ था चयन, 3711 हुए दाखिले - 10 से ज्यादा बैठकें, 20 से ज्यादा प्रदर्शन का भी नहीं हुआ असर, शिक्षा विभाग और प्रशासन भी नहीं दिला सके अधिकार, अभिभावकों को देते रहे दिलासा
गाजियाबाद, गुलशन भारती। आरटीई के लिए जिले में हर साल आवेदन से लेकर लॉटरी तक पूरी प्रक्रिया होती है। कतारों में लगाकर अभिभावकों को बीएसए के हस्ताक्षर हुए अलॉटमेंट लैटर दिए जाते हैं। शिक्षा विभाग हर साल 100 फीसदी दाखिलों के दावे करता है और दाखिला नहीं वाले स्कूलों पर कार्रवाई की बात भी करता है, मगर बात सिर्फ नोटिसों तक ही रह जाती है। यही वजह है जो आठ महीने बाद भी 40 फीसदी बच्चे दाखिले से वंचित हैं।
जिले में इस साल चार चरणों में कुल 6065 बच्चों का चयन हुआ। शिक्षा विभाग के मुताबिक अभी तक सिर्फ 3711 दाखिले ही हुए हैं। पहली लॉटरी 26 फरवरी और अंतिम (चौथी) लॉटरी 28 जून को हुई। सात जुलाई तक सभी दाखिले हो जाने चाहिए थे, मगर आठ महीने बाद भी अभिभावक दाखिलों की आस लगाए बैठे हैं। आधा सत्र बीत गया है तो दाखिला होना भी मुश्किल है। ऐसे में बच्चों का पूरा साल खराब हो गया। अभिभावकों का कहना है कि महीनों तक चक्कर भी लगाए, पैसे भी फूंके फिर भी सफलता नहीं मिली। बीएसए और प्रशासन ने दाखिला कराने की जगह सिर्फ दिलासा ही दिया। आरटीई योजना सिर्फ नाम की है। वहीं गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन का दावा है कि शिक्षा विभाग दाखिलों का गलत आंकड़ा पेश कर रहा है। जांच होगी तो दाखिले 3711 से बहुत कम निकलेंगे।
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20 से ज्यादा प्रदर्शन, 10 से ज्यादा बैठकें भी नहीं दिला सकीं अधिकारः
स्कूलों द्वारा दाखिले नहीं करने के विरोध में अभिभावकों एवं विभिन्न संगठनों ने 20 से ज्यादा प्रदर्शन किए, ताकि बच्चों को दाखिला मिल सके। स्कूलों पर कार्रवाई के लिए अभिभावक लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहे, मगर उनकी आवाज सरकार तक नहीं पहुंच सकी। वहीं 10 से ज्यादा बैठकें करने वाले शिक्षा विभाग तथा प्रशासन की कार्रवाई भी सिर्फ बैठक, चेतावनी तथा नोटिसों तक सिमट कर रह गई।
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गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने को बनाई थी आरटीई योजनाः
गरीब बच्चों को निजी स्कूल में बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए सरकार ने निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम योजना(आरटीई) की शुरूआत की थी। इसके तहत स्कूलों को 25 फीसदी सीटों पर आरटीई के दाखिले करना अनिवार्य है। अभिभावक संगठनों के मुताबिक दाखिलों की जिम्मेदारी बीएसए, जिलाधिकारी और सरकार की है। अगर सही और सख्ती से कानून का पालन कराया जाए तो गरीब बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है, मगर आरटीई कानून केवल दिखावा बन गया है।
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आरटीई के चरणवार आवेदन और चयन की स्थिति:
पहला चरण
कुल आवेदन 7326 ( 20 जनवरी से 18 फरवरी, 2024)
रद्द हुए 2520 (19 से 25 फरवरी, 2024)
लॉटरी में शामिल 4806 ( 26 फरवरी, 2024)
चयन 3721 (दाखिलों की अंतिम तिथि 6 मार्च, 2024)
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दूसरा चरण
कुल आवेदन 3390 (1 से 30 मार्च, 2024
रद्द हुए 1588 (1 से सात अप्रैल, 2024)
लॉटरी में शामिल 1802 (8 अप्रैल, 2024)
चयन 1548 (दाखिलों की अंतिम तिथि 17 अप्रैल, 2024)
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तीसरा चरण
कुल आवेदन 1552 ( 15 अप्रैल से 8 मई, 2024)
रद्द हुए 861 ( 9 मई से 15 मई, 2024)
लॉटरी में शामिल 691 (16 मई, 2024)
चयनित 596 (दाखिलों की अंतिम तिथि 23 मई, 2024)
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चौथा चरण
कुल आवेदन 469 (1 से 20 जून, 2024)
रद्द हुए (269 21 से 27 जून, 2024 )
लॉटरी में शामिल 200 (28 जून, 2024)
चयन 175 (दाखिलों की अंतिम तिथि 7 जुलाई, 2024)
वर्जन:
बिना दाखिला दिए ही स्कूल ने सीट फुल बताकर बेटी के दाखिले से इंकार कर दिया। आठ मार्च को अलॉटमेंट लैटर मिला था। आठ महीने बाद भी दाखिला नहीं हुआ।
- अजीत मावी, अभिभावक।
चयन होने पर बहुत खुशी थी कि बच्चा निजी स्कूल में पढ़ेगा। बीएसए ने दाखिले के लिए लैटर भी दिया। मगर स्कूल ने आठ महीने बाद भी दाखिला नहीं दिया।
-सौरभ कुमार, अभिभावक।
मार्च से बच्ची के दाखिले के लिए चक्कर लगा रही हूं। न तो बीएसए ने दाखिला कराया और न इंकार किया। अब तो उम्मीद भी नहीं है। बच्ची की एक साल खराब हो गई।
- दीपिका, अभिभावक।
आरटीई के लिए हर साल चयन होता है और अलॉटमेंट लैटर भी दिए जाते हैं। मगर दाखिला नहीं मिलता। दाखिले की जिम्मेदारी बीएसए, जिलाधिकारी और राज्य सरकार की है। सब आंख मूंदे बैठे हैं। आठ महीने बाद भी आधे से ज्यादा बच्चे दाखिले से वंचित हैं।
-सीमा त्यागी, अध्यक्ष, गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन।
बच्चों के दाखिले की अंतिम तिथि खत्म हो गई है। जिन स्कूलों ने दाखिला नहीं दिया है उनकी जांच की जा रही है। उनकी मान्यता रद्द करने के लिए शासन को भेजा जाएगा।
-ओपी यादव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
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