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महिला खेल एकेडमी नहीं होने से शहर की बेटियां अभ्यास करने दिल्ली जा रही

गाजियाबाद में महिला खिलाड़ियों के लिए अलग खेल एकेडमी की कमी है, जिससे उन्हें प्रशिक्षण के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। सुरक्षा कारणों से कई अभिभावक लड़कियों को बाहर नहीं भेजते। महिला कोच की कमी से...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाज़ियाबादFri, 31 Jan 2025 07:07 PM
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महिला खेल एकेडमी नहीं होने से शहर की बेटियां अभ्यास करने दिल्ली जा रही

गाजियाबाद, संवाददाता। महिला खिलाड़ियों के लिए अलग से महिला खेल एकेडमी नहीं होने से शहर की बेटियों को महिला कोच से खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। इसके अलावा कई लड़कियों के अभिभावक सुरक्षा कारणों की वजह से भी उन्हें शहर से बाहर अभ्यास करने के लिए नहीं भेजते। जिससे प्रतिभा की धनी कई महिला खिलाड़ी खेल में पिछड़ जाती है। यहां कई बार अलग से खेल एकेडमी शुरू करने की मांग की जा चुकी है लेकिन इसको लेकर कुछ हुआ नहीं। शहर की कई बेटियों ने अलग अलग खेलों में राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का दमदार परिचय देते हुए जिले का मान बढ़ाया है। इसके बाद भी शहर में विभिन्न खेलों के लिए पुरुष खिलाड़ियों के लिए कई सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष रूप से कोई खेल एकेडमी नहीं है जहां महिला खिलाड़ी कुछ खेलों का अभ्यास महिला कोच की निगरानी में कर सकें। हालांकि एकमात्र सरकारी महामाया स्पोर्ट्स स्टेडियम में कुछ खेलों में महिला कोच के होने से महिला खिलाड़ियों को अभ्यास करने में सजगता होती है।उन्हें अपनी खेल से संबंधित परेशानी या अन्य परेशानी पुरुष कोच के मुकाबले महिला कोच से साझा करने में आसानी होती है। लेकिन यहां महिला के साथ पुरुष खिलाड़ी भी अभ्यास करते हैं। यहां भी पूर्ण तरीके से महिलाओं के लिए अलग से खेल एकेडमी नहीं है। इसके अलावा निजी एकेडमी में भी महिला कोच की संख्या ना के बराबर है। जिससे महिला खिलाड़ियों को महिला कोच से ही खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। इसके अलावा कई के अभिभावक उन्हें सुरक्षा कारणों की वजह से दिल्ली नहीं भेजते। अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैरा एथलीट सिमरन शर्मा ने कहा कि शहर में महिला खिलाड़ियों के लिए अलग से खेल एकेडमी होनी चाहिए जहां सिर्फ महिला खिलाड़ी ही अपने खेल का अभ्यास कर सके। इस एकेडमी में कोच भी महिला होनी चाहिए ताकि महिला खिलाड़ियों को अपनी परेशानी को उनसे साझा करने में आसानी हो। कई बार महिला खिलाड़ी पुरुष कोच से अपनी परेशानी को बताने में हिचकती है। इसके अलावा कई महिला खिलाड़ियों को उनके अभिभावक पुरुष कोच के पास भेजने से कतराते हैं। शहर में खेल एकेडमी होने से निश्चित रूप से महिला खिलाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा। इससे महिला खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।वही अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेटर परूनिका सिसोदिया ने भी कहा कि अगर जिले में महिला खिलाड़ियों के लिए अलग से खेलों की एकेडमी हो जहां महिला कोच की निगरानी में ही उन्हें अभ्यास करने की सुविधा मिले तो ये काफी अच्छा साबित होगा। महिला खिलाड़ी अपने मन की बात एवं खेल से संबंधित कोई भी परेशानी आसानी से महिला कोच से बोल सकेंगी।महिला खेल एकेडमी होने से महिला खिलाड़ियों एवं उनके अभिभावकों को प्रोत्साहन मिलेगा।

महामाया स्टेडियम में क्रिकेट समेत कई खेलों में महिला कोच हैं-

जिला उप खेल क्रीड़ाधिकारी पूनम बिश्नोई ने बताया कि स्टेडियम में क्रिकेट,जूडो, नेटबॉल, कुश्ती,पावरलिफ्टिंग के खेल में महिला कोच की तैनाती है। जहां महिला खिलाड़ी प्रशिक्षण लेने के लिए स्टेडियम आती है। महिला खिलाड़ियों को खेल से और जोड़ने के लिए खेल एकेडमी सहित कई योजनाएं भी बनाई जाएंगी।

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