कम मतदान ने जीत के दावेदारों का गणित बिगाड़ा
गाजियाबाद में कम मतदान ने चुनावों के गणित को बिगाड़ दिया है। प्रमुख राजनीतिक दल बूथों पर पड़े वोटों का विश्लेषण कर रहे हैं। सभी दलों के नेता मतदान बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मतदान 40 प्रतिशत से...
गाजियाबाद। कम मतदान ने प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ दिया है। मतदान इतना कम हुआ है कि वोटों का हिसाब लगाना मुश्किल हो रहा है। प्रमुख राजनीतिक दल व इनके प्रत्याशी क्षेत्रवार बूथों पर पड़े वोट से जीत का गणित लगाने में जुट गए हैं। हालांकि यह तो परिणाम ही बताएंगे कि भाजपा दूसरी हैट्रिक लगाकर इतिहास रचेगी या सपा 20 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ेगी। बसपा अपना रिकॉर्ड सुधारेगी या असपा चौंकाएगी। उपचुनाव में मतदान कम होगा, इसका अंदाजा सभी को था। सभी दलों के बड़े नेता मंच से यही कह रहे थे कि मतदान बढ़ाना है। करीब 40 फीसदी का अनुमान सभी लगा रहे थे, लेकिन मतदान इससे भी कम हुआ। इसीलिए प्रत्याशियों ने बूथवार डाटा जुटाना शुरू कर दिया है। कौन किस क्षेत्र में मजबूत है और कहां विपक्षी भारी पड़ रहा है। मतदान के बाद राजनीति के जानकारों ने भी कयास लगाने शुरू कर दिए हैं। विश्लेषक भी इसी आधार पर अनुमान लगा रहे हैं कि किसके गण में मतदाता ज्यादा संख्या में घरों से निकले हैं। रिकॉर्ड की बात करें तो गाजियाबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस भाजपा एक बार हैट्रिक लगा चुकी है। भाजपा पिछले दो चुनाव जीती थी। उपचुनाव जीती तो एक और हैट्रिक पूरी होगी, जो रिकॉर्ड होगा। सपा को एकमात्र जीत 2004 के उपचुनाव में मिली थी। सपा जीत दर्ज कर 20 साल पुराना रिकॉर्ड दोहराना चाहेगी। वहीं बसपा को परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव में जीत मिली थी। बसपा जीतती है तो उसका भी रिकॉर्ड सुधरेगा। असपा के पास भी खाता खोलने का मौका है। इनमें से कौन सा समीकरण सही साबित होता है, यह मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
इन वजहों से कम हुआ मतदान
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि उपचुनाव में मतदाताओं का उत्साह कम होता है। चुनाव सरकार बनाने के लिए नहीं होता, यही सोचकर कम लोग मतदान करते हैं। गाजियाबाद में कम मतदान का दूसरा कारण यह भी था कि छुट्टी सिर्फ गाजियाबाद में थी। नोएडा, दिल्ली समेत एनसीआर के अन्य शहरों में नौकरीपेशा व मेहनतकश लोग काम के लिए जाते हैं। इन लोगों को छुट्टी नहीं मिली, जिसके चलते इन्हें सुबह ही काम पर निकलना पड़ा और मतदान कम हुआ। गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग ने भी इसकी तस्दीक की। मतदान के दौरान शहर में निकले सांसद ने कहा कि नोएडा और दिल्ली में काम करने वाले गाजियाबाद के मतदाताओं को छुट्टी न मिलने से मतदान कम हुआ है।
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