हिंदी दिवस (14 सितंबर) शहर की हस्तियों ने हिंदी से देश-दुनिया में बढ़ाया गाजियाबाद का मान
गाजियाबाद के कई साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कवि कुंवर बेचैन, कुमार विश्वास, से.रा. यात्री और कृष्ण मित्र जैसे नामचीन व्यक्तित्वों ने गाजियाबाद को हिंदी...
-कवि कुंवर बेचैन, कुमार विश्वास, कृष्ण मित्र, से.रा. यात्री आदि ने हिंदी में गाजियाबाद को दिलाई पहचान - कवि डॉक्टर कुंवर बेचैन के नाम से कालकागढ़ी में है सड़क
- वर्तमान में भी हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए काम काम कर रहे जिले के नामचीन
गाजियाबाद, कार्यालय संवाददाता। जिले की कई हस्तियां हैं, जिन्होंने हिंदी और हिंदी साहित्य को जीवित रखने का जिम्मा उठाया हुआ है। शहर की कुछ हस्तियों ने तो हिंदी से देश-दुनिया में गाजियाबाद का मान बढ़ाया है। इसमें डॉक्टर कुंवर बेचैन, कुमार विश्वास, से.रा. यात्री, कृष्ण मित्र मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं रिंकल शर्मा, सिनीवाली, आशीष, दीपाली जैन आदि युवा साहित्यकार भी हैं जो अपनी रचनाओं से उपलब्धियां हासिल कर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं।
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कुंवर बेचैन ने हिंदी साहित्य को दिलाई पहचान:
कोरोना काल के दौरान कवि डॉक्टर कुंवर बेचैन का निधन हो गया। लेकिन हिंदी के जरिए देश-दुनिया में पहचान ख्याति पाने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। कविताएं भी लिखीं, गजल, गीत और उपन्यास भी लिखे। कुंवर बेचैन काफी समय तक जिले के प्रतिष्ठित कॉलेज एमएमएच में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे। उनका नाम सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में शुमार है। व्यवहार से सहज, वाणी से मृदु इस रचनाकार ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। उनकी रचनाएं सकारात्मकता से ओत-प्रोत हैं।
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से.रा. यात्री ने हिंदी साहित्य से बढ़ाया गाजियाबाद का गौरव
अंतर्राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त साहित्यकार से.रा. यात्री ( सेवा राम यात्री) का नाम देश के गिने-चुने मशहूर साहित्यकारों और कहानी लेखकों में शुमार है। वह अनेकों कहानियां और उपन्यास लिख चुके हैं। वह 1959 से 1993 के बीच एमएमएच इंटर कॉलेज में हिंदी शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। से.रा. यात्री को 1955 में पहली बार ऑल इंडिया रेडियो पर कविता पाठ करने का मौका मिला। उन्होंने 1959 में पत्रिका और मैगजीन में लेखन शुरू किया। इसके बाद कई पत्रिका और समाचार पत्रों में उनकी कहानियां प्रकाशित हुईं। उनका कथा संग्रह खंडित संवाद काफी चर्चित हुआ। शहर की मशहूर साहित्यिक हस्तियों में शुमार सेरा यात्री का बीते वर्ष नवंबर में निधन हो गया था।
''''मित्र'''' बनकर कृष्ण ने गाजियाबाद की साहित्यिक शान बढ़ाई:
ओजपूर्ण कविताओं के लिए प्रसिद्ध कवि कृष्ण मित्र का नाम देश-दुनिया के प्रसिद्ध हिंदी भाषी कवियों में प्रमुखता से लिया जाता है। लाल किले पर काव्यपाठ कर चुके कृष्ण मित्र ने दुनिया के कई देशों के कवि सम्मेलनों में हिंदी की पताका लहराकर शहर का नाम रोशन किया। गाजियाबाद को साहित्यिक क्षेत्र में पहचान दिलाने और शान बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत-पाक विभाजन के बाद गाजियाबाद में बसे कृष्ण मित्र शहर के तमाम उतार-चढ़ाव और उपलब्धियों के साक्षी रहे। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने महामारी के विषय पर ही 40 कविताएं लिखीं। उनकी लगभग 30 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। नवंबर 2022 में 91 वर्ष की उम्र में उन्होंने साहित्य जगत के साथ दुनिया को भी अलविदा कह दिया।
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''''कोई दीवाना कहता है से'''' कवि कुमार विश्वास ने हासिल की शोहरत:
''''कोई दीवाना कहता है'''' कविता से जबरदस्त पहचान पाने वाले कुमार विश्वास युवाओं को प्रिय कवि हैं। वह कविता के मंचन, वाचन और गायन प्रतिभा के धनी हैं। मंच संचालन, गायन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन आदि सभी विधाओं में निपुण कुमार विश्वास हिंदी के प्राध्यापक भी रहे हैं। वह साहिबाबाद स्थित एलआर डिग्री कॉलेज में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कुमार विश्वास को श्रृंगार रस का कवि माना जाता है। उनका लिखा काव्य संग्रह ''''कोई दीवाना कहता है'''' युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहा। उन्होंने नवरस से परिपूर्ण कई सुंदर कविताएं लिखी हैं। उनके लिखे गीत फिल्मों आदि में भी उपयोग किए गए हैं। कुमार विश्वास ने 2018 में हिंदी फिल्म परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण के लिए एक गीत भी लिखा है।
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कुंवर बेचैन के नाम पर है सड़क और पार्क का नाम:
कालकागढ़ी चौक में एक सड़क का नाम दिवंगत कुंवर बेचैन के नाम पर रखा गया है। वहीं, नेहरूनगर में भी एक पार्क का नाम उन्हीं के नाम पर है। अब इस सड़क और पार्क को लोग उन्हीं के नाम से जानते हैं।
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हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए की गई थी हिंदी भवन की स्थापना:
हिंदी के प्रचार-प्रसार और हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए 80 के दशक में कन्हैया मस्त, गोपाल कृष्ण कॉल और हर प्रसाद शास्त्री ने मिलकर लोहिया नगर में हिंदी भवन की स्थापना की थी। इनका तर्क था कि कोई ऐसा स्थल हो जहां से साहित्यिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जा सके, जिसके बाद हिंदी भवन बनाया गया। वर्तमान में हिंदी भवन में विभिन्न संस्थाओं की ओर से सांस्कृतिक गतिविधियों, नाटक, गीत-संगीत और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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महफिल-ए-बारादरी व कथा संवाद कार्यक्रमों से हिंदी को बढ़ा रहे आगे:
ओजपूर्ण कविताओं, साहित्य और कहानियों से गाजियाबाद को पहचान दिलाने वाली प्रसद्धि प्राप्त इन हस्तियों के अलावा आज के दौरा में भी कई लेखक और कहानीकार हैं जो इनकी शोहरत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। आलोक यात्री, डॉ माला कपूर गौहर, मासूम गाजियाबादी, शकील अहमद सैफ, सुभाष अखिल, रेनू अंशुल, रिंकल शर्मा, तेजवीर सिंह, नागेंद्र त्रिपाठी समेत कई लेखक और साहित्यकार इसमें शामिल हैं। इन साहियकारों ने महफिल-ए-बारादरी के जरिए जहां कविताओं और मुशायरों की तहजीब को संभाला हुआ है तो वहीं कथा संवाद जैसे कार्यक्रमों से नए लेखकों की लेखनी और साहित्य को मांझने का कार्य कर रहे हैं।
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गुलशन भारती
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