ऑनलाइन पोर्टल के जरिये विधायक निधि का भुगतान होगा
गाजियाबाद में विधायक निधि के लिए ऑफलाइन आवेदन बंद कर दिया गया है। अब विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। निधि से करवाए गए कार्यों का भुगतान भी ऑनलाइन होगा।...
गाजियाबाद। विधायक निधि के लिए ऑफलाइन आवेदन बंद कर दिया गया है। अब निधि से कार्य करवाने के लिए विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों को पोर्टल के जरिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। निधि से करवाए गए कार्यों का भुगतान भी ऑनलाइन माध्यम से किया जाएगा। पूर्व में कोषागार के जरिये विधायक निधि का भुगतान होता था। ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन के लिए परियोजना निदेशक विभाग द्वारा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। विभाग ने मोदीनगर विधायक मंजू शिवाज के प्रतिनिधि मयंक राठी, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी के प्रतिनिधि अंकुश अरोड़ा, विधान परिषद के सदस्य नरेंद्र कश्यप के प्रतिनिधि विशाल कश्यप और दिनेश गोयल के प्रतिनिधि सचिन गुप्ता को ट्रेनिंग दी। जल्द ही साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा और लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के प्रतिनिधियों को भी पोर्टल की ट्रेनिंग दी जाएगी।
विधायक निधि से क्षेत्र में कार्य करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों को ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसके बाद उस जगह का सर्वेक्षण किया जाएगा और फिर कार्यदायी संस्था को टेंडर जारी कर कार्य करवाया जाएगा। आवेदन से लेकर भुगतान तक प्रत्येक जानकारी पोर्टल पर अपलोड होती रहेगी। परियोजना निदेशक प्रज्ञा श्रीवास्तव ने बताया कि पोर्टल के लिए विधायक और विधान परिषद के सदस्यों के प्रतिनिधियों को टेनिंग दी जा रही है। दो विधायक और दो विधान परिषद के प्रतिनिधियों को टेनिंग दे दी गई है।
ढाई-ढाई करोड़ की राशि जारी
गाजियाबाद सदर सीट से अतुल गर्ग के सांसद बनने के बाद फिलहाल जिले में चार विधायक और दो विधान परिषद के सदस्य है। विधायक और विधान परिषद के सदस्यों को प्रत्येक वर्ष शासन की तरफ से पांच करोड़ की राशि दो किस्तों में जारी की जाती है। जुलाइ में शासन की तरफ से जिले के चार विधायकों और दो विधान परिषद के सदस्यों को ढाई-ढाई करोड़ राशि की पहली किस्त जारी कर दी है।
पूर्व में पत्र के जरिए खर्च होती थी रकम
पूर्व में विधायक और विधान परिषद के सदस्य अपनी निधि से कार्य करवाने के लिए परियोजना विभाग को पत्र लिखते थे। इसमें कार्य का विवरण होता था। विभाग द्वारा पत्र का संज्ञान लेते हुए विकास कार्यों के लिए टेंडर जारी कर दिए जाते थे। ठेकेदार भी भुगतान के लिए बिल जमा करता था, लेकिन अब यह सभी कार्य पोर्टल के जरिए होंगे, जिससे विधायक निधि का पूरा रिकॉर्ड पोर्टल पर आसानी से देखा जा सकेगा।
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