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दुष्कर्म के मामलों में निर्णायक बनें बिना निष्पक्ष विवेचना पर जोर दिया

गाजियाबाद में एक संस्था ने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें दुष्कर्म के झूठे मामलों में फंसे पुरुषों की मदद की चर्चा की गई। डॉक्यूमेंट्री के जरिए यह दर्शाया गया कि कैसे कुछ महिलाएं झूठे आरोप...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाज़ियाबादSun, 24 Nov 2024 09:27 PM
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-दुष्कर्म के झूठे मामलों में फंसाए गए पुरूषों की मददगार संस्था ने पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ गोष्ठी की -डॉक्यूमेंट्री के जरिए झूठे केसों का पीड़ितों पर साइड इफेक्ट बताया, अधिकारियों ने गुणवत्तापरक विवेचना की बात कही

गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। समाज में बढ़ते दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के झूठे केसों में फंसे पुरूषों की मदद करने वाली संस्था ने रविवार को पुलिस लाइन स्थित परमजीत सभागार में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ बैठक की। इस मौके पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिये झूठे केस में फंसे पीड़ितों और उनके जीवन पर पड़ने वाले साइड इफेक्ट को दर्शाया गया। संस्था ने विवेचकों से आरोपी के प्रति निर्णायक न होकर, निष्पक्ष विवेचना करने पर जोर दिया।

एकम न्याय फाउंडेशन की निदेशक दीपिका नारायण भारद्वाज और उनकी टीम के सदस्यों ने प्रजेंटेशन के जरिए पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को यह समझाने की कोशिश की कि कुछ महिलाएं किस तरीके से दुष्कर्म के झूठे आरोप लगाकर उगाही का धंधा कर रही हैं। संस्था का दावा है कि वह देशभर में करीब दो हजार से ज्यादा लोगों की मदद कर उन्हें न्याय दिला चुकी हैं। दीपिका नारायण ने बताया कि संगोष्ठी का मकसद केस के विवेचकों की मानसिकता को बदलने का प्रयास है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिये संस्था की टीम ने ऐसे कई मामलों का ब्यौरा दिया, जिनमें महिलाओं ने दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के झूठे केस दर्ज कराए थे। दीपिका नारायण भारद्वाज ने कहा कि कुछ महिलाएं निजी स्वार्थ के लिए कानून का दुरूपयोग कर रही हैं। दुष्कर्म के फर्जी केस में फंसने पर न सिर्फ एक व्यक्ति, बल्कि उसका पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। समाज में बदनामी अलग होती है।

पूर्व आईपीएस अधिकारी समेत कई की केस स्टडी दिखाई

संस्था ने दुष्कर्म के झूठे केसों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई, जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर लगे रेप के झूठे केस को भी प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा रोहतक के एक दुष्कर्म तथा एक सामूहिक दुष्कर्म के झूठे मामले को भी केस स्टडी के तौर पर दर्शाया गया। दीपिका नारायण ने बताया कि दुष्कर्म की शिकायत मिलने पर पुलिस को दबाव के कारण आनन-फानन में रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ती है। समुचित जांच किए बगैर गिरफ्तारी भी हो जाती है। उन्हें विवेचकों से अपील करी कि वह आरोपी के प्रति निर्णायक न होकर केस की निष्पक्ष विवेचना करें। संगोष्ठी में पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्र, एडिशनल सीपी दिनेश कुमार पी., डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटील, डीसीपी ग्रामीण सुरेन्द्र नाथ तिवारी और कमिश्नरेट के राजपत्रित अधिकारी भी मौजूद रहे।

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