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तीन साल से खराब पड़ा मोहन नगर का एस्केलेटर

मोहन नगर तिराहा पर लगभग तीन करोड़ की लागत से बनाए गए एस्केलेटर की स्थिति खराब है, जिससे राहगीरों को सड़क पार करने में परेशानी हो रही है। रोजाना 25-30 हजार लोग यहां से गुजरते हैं, लेकिन एस्केलेटर के...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाज़ियाबादTue, 18 Feb 2025 09:32 PM
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तीन साल से खराब पड़ा मोहन नगर का एस्केलेटर

-यातायाता के लिहाज से शहर के व्यस्ततम प्वॉइंट में से है जीटी रोड पर मोहननगर तिराहा, रोजाना हजारों लोग जान जोखिम में डालकर फांद रहे डिवाइडर -रोजाना 25-30 हजार लोग यहां से गुजरते हैं

-एस्केलेटर लगाकर जनवरी 2022 में इसे शुरू किया था

ट्रांस हिंडन, सुमित पाल।

मोहन नगर तिराहा पर °करीब तीन करोड़ की लागत से जीडीए का बनाया एस्केलेटर लगभग तीन साल से ठप पड़ा है। इसकी वजह से हजारों राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग जान जोखिम में डालकर डिवाइडर फांदकर सड़क पार कर रहे हैं।

जीटी रोड पर मोहननगर तिराहा यातायाता के लिहाज से शहर के व्यस्ततम प्वॉइंट में से है, जहां से 24 घंटे वाहनों की आवाजाही रहती है। पास ही मोहननगर स्टैंड है, जहां पर लंबे रूट की बसें आकर रुकती हैं, जिस कारण राहगीरों की संख्या भी अधिक रहती है। सड़क पर एक ओर से दूसरी तरफ जाने के लिए जीडीए ने एफओबी के साथ एस्केलेटर भी बनाया था। यह एफओबी डीसीपी कार्यालय के पास से रोड के दूसरी तरफ जाता है और फिर दिल्ली-गाजियाबाद वाले लेन पर उतरता है। तीनों ओर एस्केलेटर लगाकर जनवरी 2022 में इसे शुरू किया था। मगर चलने के दो माह बाद ही यह खराब हो गया। तभी से एस्केलेटर धूल फांक रहे हैं। चुनिंदा लोग ही सीढ़िया चढ़ते और उतरते हैं। बाकी लोग डिवाइडर को फांदकर सड़क के एक ओर से दूसरी ओर जाते हैं।

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टीन शेड टूटी, नशेड़ियों का बना अड्डा

एफओबी के ऊपर लगी फाइबर की शेड अब कई जगह से टूट चुकी है। लोगों की आवाजाही न होने से यह वीरान पड़ा है। यह जगह अब नशेड़ियों का अड्डा बन गई है। इसीलिए सीढ़ियों से जाने वाले लोग भी लौटकर डिवाइडर पार करने को मजबूर होते हैं। देखभाल न होने के कारण करोड़ों रुपये की लागत से तैयार एस्केलेटर लगातार बदहाल होता जा रहा है।

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बुजुर्ग और बच्चे ज्यादा परेशान

शहर के सबसे व्यस्त प्वाइंट होने के चलते रोजाना 25-30 हजार लोग यहां से गुजरते हैं। सड़क पर एक से दूसरी ओर जाने के लिए लोग डिवाइडर पार करते हैं। इससे कई बार हादसे का खतरा रहता है। कई हादसे भी हो भी चुके हैं, जिनके कारण लोग चोटिल भी हुए हैं। एस्केलेटर बंद होने के कारण बुजुर्ग व बच्चों को ज्यादा परेशानी होती है। सीढ़ियां चढ़ने में बुजुर्गों की सांस फूल जाती है और डिवाइडर भी आसानी से पार नहीं कर पाते हैं।

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निगम व जीडीए में नहीं बन पा रही सहमित

एस्केलेटर के संचालन में लाखों रुपये की लागत आती है। इसके लिए जीडीए ने एक फर्म को ठेका दिया था कि एस्केलेटर पर विज्ञापन लगाकर वह इसका संचालन करेगी। फर्म ने काम शुरू किया तो नगर निगम ने विज्ञापन हटवा दिए क्योंकि नगर निगम क्षेत्र में विज्ञापन का अधिकार नगर निगम को ही है। फर्म ने एस्केलेटर की देखभाल छोड़ी, जिसेक बाद ही यह खराब हो गया। इसके बाद जीडीए ने नगर निगम को हैंडओवर के लिए पत्र लिखा, लेकिन अभी तक हैंडओवर नहीं हो पाया है।

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नहीं शुरू हुई हैंडओवर की प्रक्रिया

हैंडओवर के लिए जीडीए करीब दो साल से लगातार पत्र लिख रहा है, लेकिन अभी तक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। इस कारण एस्केलेटर धूल फांक रहा है और राहगीरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि हैंडओवर के लिए जल्द सर्वे किया जाएगा।

कोट:::

हैंडओवर के प्रयास जारी हैं। नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक भी की गई है। जल्द इसे हैंडओवर कराया जाएगा।

-राजकुमार वर्मा, अधिशासी अभियंता, जीडीए

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