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रावण दरबार का कोई महारथी नहीं हिला पाया अंगद का पांव

रामलीला - घंटाघर में विभीषण शरणागति, रामसेतू बनाना, रामेश्वरम् की स्थापना, अंगद संवाद, लक्ष्मण

Newswrap हिन्दुस्तान, गाज़ियाबादThu, 10 Oct 2024 08:55 PM
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रावण दरबार का कोई महारथी नहीं हिला पाया अंगद का पांव

रामलीला - घंटाघर में विभीषण शरणागति, रामसेतू बनाना, रामेश्वरम् की स्थापना, अंगद संवाद, लक्ष्मण को शक्ति लगना, हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाना

गाजियाबाद, संवाददाता। सुल्लामल रामलीला में गुरुवार रात को विभीषण शरणागति, अंगद संवाद, रामसेतु का निर्माण, लक्ष्मण शक्ति व हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाने तक की लीला मंथन किया गया। मंचन की शुरूआत श्री गणेश की आरती के साथ हुआ। इसके बाद दोहे और चौपाइयों के साथ लीला मंचन किया गया। मंचन में दिखाया गया कि रावण दरबार में सभी महारथी अंगद के पांव को उटाने की कोशिश करते है। लेकिन हिला भी नहीं पाते।

घंटाघर रामलीला में दिखाया गया कि विभीषण अपने भाई रावण को समझाते हैं कि वह श्रीराम से संधि कर उनकी शरण में जाएं और सीता को लौटा दें। इस पर रावण क्रोधित होकर उन्हें ठोकर मारकर दरबार से बाहर कर देता है। इसके बाद विभीषण श्रीराम के पास जाकर शरण ले लेते हैं। वहीं, श्रीराम रामेश्वरम में भगवान शिव की स्थापना कर पूजा करते हैं। सेतु बनने के बाद अंगद को लंका में शांति दूत बनाकर भेजा जाता है। वहां अंगद और रावण के बीच रोचक संवाद होता है। अंगद रावण को भगवान श्रीराम की शरण लेने को कहता है। इस पर रावण जब अपनी ताकत का अभिमान करता है तो अंगद अपने पैर को जमाकर उसके अभिमान को चूर-चूर कर देता है। जब रावण नहीं मानता तो युद्ध शुरू हो जाता है। लक्ष्मण और मेघनाद का युद्ध होता है और मेघनाद की शक्ति से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी सुषेण वैध को रावण की लंका से उठाकर लाये और वैध के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी को लाते है।

संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की जान बची

राजनगर स्थित श्री रामलीला समिति में विभीषण अपने भाई रावण से अपमानित होने के बाद श्री राम की शरण में चले जाते श्री राम विभीषण को लंका का राजा घोषित करते है। वहीं, रामेश्वरम् में शिवलिंग की स्थापना और आराधना के बाद नल-नील द्वारा रामसेतु बनाने का काम शुरू कर दिया गया। रावण को आखिरी मौका देने के लिए श्री राम अंगद को दूत बनाकर भेजते हैं। लेकिन वह रावण को समझाने में असफल रहता हैं। श्री राम और रावण की सेना के बीच युद्ध के दौरान रावण इन्द्रजीत उर्फ मेघनाथ लक्ष्मण को शक्ति मार कर मूर्छित कर देता हैं। हनुमान जी लक्ष्मण की जान बचाने के लिए हिमालय पर्वत सहित संजीवनी बूटी लाते है। जिससे राम के शिविर में खुशी का माहौल हैं। इस मौके पर समिति अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता, कोषाध्यक्ष राजीव मोहन गुप्ता, आलोक मित्तल, ऑडिटर दीपक मित्तल मौजूद रहे|

हनुमान जी ने अशोक वाटिका में उत्पाद मचाया

राजनगर एक्सटेंशन में मां सीता की खोज व लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुचते हैं। वहां पर हनुमान ने प्रभु श्रीराम की मुद्रिका दिखाकर सीता को अपना परिचय दिया। इसके बाद मां सीता की आज्ञा से वह अशोक वाटिका में फल खाने के लिए चले गए और वाटिका को तहस-नहस कर दिया। हनुमानजी ने राक्षसों की पूरी सेना परास्त कर दी। अंत में मेघनाथ, हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र में बांधकर अपने पिता रावण के पास ले जाता है। दरबार में हनुमानजी की पूंछ में आग लगा देते हैं। जिससे हनुमानजी ने पूरी लंका के घरों और महलों में आग लगा दी। इस अवसर पर अनिल शर्मा, अनिल तोमर, राकेश त्यागी, नितिन त्यागी, पवन द्वेदी, सचिन शर्मा, एनके शर्मा, दीपक सिंह, अतुल त्यागी, अरविंद शर्मा, सुमन लता पाल आदि उपस्थित रहे।

मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र से हनुमान को बंदी बनाया

श्रीराम की आज्ञा से हनुमान माता सीता की खोज में लंका पहुँचते है, जहां अशोक वाटिका में उन की मुलाकात सीता से होती है। अशोक वाटिका में मेघनाथ और हनुमान में युद्ध होता है। मेघनाथ ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर हनुमान को बंदी बनाकर लंका नरेश के समक्ष लेकर जाते है। वहां हनुमान और रावण में संवाद होता है और हनुमान की पूंछ में आग लगाई जाती है। इसके बाद हनुमान अपनी पूंछ से लंका दहन कर देते हैं।

रामलीला में आज

घंटाघर- कुंभकरण और मेघनाथ वध, सती सुलोचना और अहिरावण वध

राजनगर- कुंभकरण वध, मेघनाथ वध और सती सुलोचना

कविनगर- संपूर्ण रामलीला

राजनगर एक्सटेंशन- अंगद-रावण संवाद, कुंभकरण- मेघनाथ और अहिरावण वध

विजयनगर- कुंभकरण- मेघनाथ वध

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