''दुनिया में बुलंदी नहीं पाते हैं वो बच्चे, मां बाप के पहलू में जो बैठा नहीं करते''
- महफिल-ए-बारादरी में सजी शायरों, कवियों और गीतकारों की महफिल गाजियाबाद, कार्यालय संवाददाता। नेहरू

- महफिल-ए-बारादरी में सजी शायरों, कवियों और गीतकारों की महफिल गाजियाबाद, कार्यालय संवाददाता। नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में रविवार को महफिल-ए-बारादरी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मशहूर शायरों ने अपने गीत-गजल सुनाकर दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। वहीं कवियों ने कविता पाठ और दोहे सुनाए, जिन्हें दर्शकों ने भरपूर सराहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शायर वसीम नादिर ने की, जबकि मुख्य अतिथि शायरा पूनम मीरा रहीं। वही गीतकार जगदीश पंकज ने सम्माननीय अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम में ईश्वर सिंह तेवतिया ने अपनी रचना शोक सभा के आयोजन में सबकुछ है बस शोक नहीं है। दौलत के भंडार भरे हैं, भावनाओं का कोश नहीं है सुनाकर आजकल के शोक आयोजनों में शामिल होने वाले लोगों पर व्यंग्य किया, जिसकी श्रोताओं ने भरपूर सराहना की। वहीं बीके वर्मा ने दुनिया में बुलंदी नहीं पाते हैं वो बच्चे, मां बाप के पहलू में जो बैठा नहीं करते सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। सुभाष चंद्र ने हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण रचना हां मैं जीना चाहता हूं किसी पहाड़ के छोटे से गांव में सुनाई तो दर्शक ने खूब ठहाके लगाते हुए उनकी सराहना की। कवि रवि यादव ने हर रोज खुद की पैमाईश और मरम्मत करता हूं, मैं मेरे मन के सतयुग में जीता हूं और कवि संजीव ने बेमतलब लड़ते रहते हो, घर में कमजोरी आती है गीत सुनाकर परिवार के सदस्यों के बीच होने वाली भीतरघात के नुकसान को बयां किया। कार्यक्रम का संचालन दीपाली जैन ने किया। इस मौके पर अध्यक्ष गोविंद गुलशन, संयोजक आलोक यात्री, संरक्षिका उर्वशी अग्रवाल मौजूद रहे।
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