Hindi Newsएनसीआर न्यूज़गाज़ियाबादApplicants Struggle with GDA s Delays in Mutation Refunds and Registry Issues

म्यूटेशन से लेकर रिफंड तक के लिए भटक रहे आवंटी

गाजियाबाद में जीडीए की लापरवाही के कारण आवंटियों को म्यूटेशन, रिफंड और रजिस्ट्री जैसे कार्यों में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। तय समय पर काम न होने से लोग बार-बार प्राधिकरण के चक्कर काटने को...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाज़ियाबादWed, 18 Sep 2024 07:09 PM
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म्यूटेशन से लेकर रिफंड तक के लिए भटक रहे आवंटी -तय वक्त पर बाबू नहीं करते आवंटियों की समस्याओं का निस्तारण गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता।

जीडीए की लापरवाही का खामियाजा आवंटी उठा रहे हैं। म्यूटेशन, रिफंड, रजिस्ट्री, फ्री होल्ड समेत अन्य कार्यों के लिए वक्त तय होने पर भी बाबू आवेदकों को प्राधिकरण के चक्कर कटा रहे हैं। इसकी शिकायत अधिकारियों से करने के बाद भी इनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल रहा है।

जीडीए में विभिन्न कार्यों को लेकर रोजाना 30 से अधिक आवेदन आते हैं। इसमें मुख्य रूप से म्यूटेशन, रिफंड, संपत्ति को फ्री होल्ड, डुप्लीकेट ऑर्डर, रजिस्ट्री और कब्जा से संबंधित होती है। यह सभी आवेदन ऑनलाइन किए जाते हैं। प्राधिकरण में इन सभी कार्यों को पूरा करने के लिए समय सीमा तय है, लेकिन फिर भी प्राधिकरण के बाबू लोगों का काम तय वक्त पर पूरा नहीं करते। ऐसे में बाबू आवेदक को उसके आवेदन में आपत्ति लगाकर प्राधिकरण के चक्कर लगाते रहते हैं। बुधवार को बरसात के बाद भी जीडीए स्वागत कक्ष के बाहर कार्यालय में अंदर जाने के लिए लोग पास बनवाते नजर आए। जब उनसे प्राधिकरण आने का कारण पूछा तो उनमें से ज्यादातर ने अपने कार्य पूरा न होने के बाद बाबुओं से मिलने की बात बताई। जबकि कुछ लोग प्रवर्तन अनुभाग में अवैध निर्माण या स्वीकृत नक्शे के विपरीत निर्माण करने की बात को लेकर भेजे नोटिस पर बुलाए गए थे।

मनोज गर्ग ने बताया कि उन्होंने म्यूटेशन कराने के लिए करीब तीन महीने पहले आवेदन किया था, लेकिन अभी तक म्यूटेशन नहीं हो सका है। बाबू हर बार दस्तावेजों की कमी बताकर टाल देता है। सुधीर शर्मा ने बताया कि वह अपने भाई के साथ आया है। उन्हें अपनी संपत्ति फ्री होल्ड करानी है, लेकिन बाबू इस बारे में बार बार कागजों में कमी बताकर टाल रहा है। राहुल कुमार ने बताया कि वह रिफंड लेने के लिए करीब तीन महीने से भटक रहा है, लेकिन अभी तक रिफंड नहीं मिला।

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दो विभागों के बीच फंसा रहे काम

नियमानुसार जीडीए के बाबू म्यूटेशन कराने के लिए जो आवेदन आते हैं। उसके सभी दस्तावेज उप निबंधक को सत्यापन के लिए भेजते हैं। ऐसे में बाबू खेल कर देते हैं। आरोप है कि वह आवेदक की रजिस्ट्री में लिखा होने के बाद भी उप निबंधक का पता सही नहीं लिखते। इस कारण वह दस्तावेज सत्यापन होकर समय पर नहीं आते हैं। जबकि जिस आवेदक से बाबुओं की सेटिंग हो जाती है। उनके दस्तावेज वह खुद ही मंगवा देते हैं।

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शिकायत के बाद चलाया था अभियान

जीडीए के अपर सचिव को भी इस संबंध में काफी शिकायत मिली थी। इसके बाद उन्होंने 90 दिन के भीतर आवेदन करने वालों के लिए अभियान चलाया था। इसके तहत उनसे एक बार दोबारा से आवेदन करने को कहा गया था। ताकि उनके लिए विशेष अभियान चलाकर कार्य पूरा कराया जा सके। साथ ही संपत्ति अनुभाग के बाबुओं को भी तय वक्त पर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे। इस अभियान का आवेदकों को फायदा भी हुआ था।

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वर्जन

संपत्ति अनुभाग में कार्य को पूरा करने की तय समय सीमा है। उसी के अनुसार कार्य पूरा करने का प्रयास किया जाता है। कर्मचारियों को हिदायत दी थी कि तय वक्त पर काम पूरा करें। फिर भी अगर किसी आवेदक को कोई शिकायत है, तो वह अधिकारियों से संपर्क कर सकता है।

- प्रदीप कुमार सिंह, अपर सचिव, जीडीए

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