मनमाना रवैया, गाजियाबाद में दाखिले के एवज में 20 हजार तक का बिल थमा रहे स्कूल
- आरटीई दाखिलों की एवज में जिले के निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं। आरोप है कि स्कूल दाखिले के बदले पांच हजार से लेकर 20 हजार तक की फीस मांग रहे हैं। भुगतान नहीं करने पर दाखिले से इनकार तक करने की बात कह रहे हैं।

आरटीई दाखिलों की एवज में जिले के निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं। आरोप है कि स्कूल दाखिले के बदले पांच हजार से लेकर 20 हजार तक की फीस मांग रहे हैं। भुगतान नहीं करने पर दाखिले से इनकार तक करने की बात कह रहे हैं।
अभिभावक को स्कूल से ही कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। वहीं कई स्कूल बैंक स्टेटमेंट मांगने के साथ घरों का सर्वे भी करा रहे हैं। जिले में इस बार सत्र 205-26 के लिए चार चरणों में कुल 6306 बच्चों को चयन हुआ है। दिसंबर से प्रक्रिया शुरू करने का मकसद बच्चों को सत्र से पहले दाखिला दिलाना था, लेकिन पहले चरण से ही स्कूल कभी सीट नहीं होने तो कभी नए सत्र में स्कूल खुलने पर दाखिला देने की बात कहकर अभिभावकों को परेशान करते आ रहे हैं। अब सत्र शुरू हुआ तो स्कूलों ने दाखिले के बदले फीस की मांग करनी शुरू कर दी है।
फीस,यूनिफॉर्म के नाम पर वसूल रहे चार्ज
अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल बच्चों के दाखिले के बदले पांच हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक की मांग कर रहे हैं, जिसमें फीस, यूनिफॉर्म, कोर्स और तरह-तरह का चार्ज जोड़ा हुआ है। स्थानीय निवासी कुलदीप कुमार ने बताया कि उनके बेटे का मोदीनगर के एक स्कूल में नर्सरी के लिए चयन हुआ है। किताब, यूनिफॉर्म और एग्जाम फीस के नाम पर 15 हजार रुपये की पर्ची दी है। शिक्षा विभाग में भी इसकी शिकायत की है।
स्थानीय निवासी अंशुल का कहना है कि उनकी बेटी का चयन विजय नगर के एक स्कूल में हुआ है। अब वह दूसरी कक्षा में आई है। पिछले साल भी पांच हजार रुपये जमा किए थे। अब अलग-अलग चार्ज जोड़कर 21 हजार का बिल थमा दिया है।
ड्रॉ के 12 दिन बाद भी ऑफर लेटर नहीं मिले
24 मार्च को हुए चौथे चरण के ड्रॉ में 544 बच्चों का चयन किया गया है। 27 मार्च तक इन्हें ऑफर लेटर मिलने थे, लेकिन ड्रॉ के 12 दिन बीतने के बाद भी बच्चों को ऑफर लेटर नहीं मिल सके हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अगले सप्ताह से बच्चों को ऑफर लेटर का वितरण शुरू हो जाएगा। चारों चरणों में कुल 6306 बच्चे चयनित हुए हैं, इनमें से 100 का भी दाखिला नहीं हुआ है।
शिक्षा विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई : जीपीए
स्कूलों की मनमानी पर जीपीए अध्यक्ष सीमा त्यागी का कहना है कि आरटीई दाखिले केवल नाम के लिए मुफ्त हैं, लेकिन हकीकत में अभिभावकों से फीस वसूली जा रही है। शिक्षा विभाग भी स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।