ओमान का उच्चायुक्त बनवाने को पूर्व कुलपति से ऐंठे गए थे ढाई करोड़ रुपये, साथी ने खोला राज
ओमान का उच्चायुक्त बताकर वीआईपी सुविधाएं लेने के आरोप में पूर्व कुलपति को जेल भेजने के मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई है। पूर्व कुलपति के सहयोगी के गिरफ्तार होने के बाद पता चला कि बेंगलुरु के एक व्यक्ति ने उच्चायुक्त नियुक्त कराने के नाम पर पूर्व कुलपति से ढाई करोड़ रुपये ऐंठे थे।

ओमान का उच्चायुक्त बताकर वीआईपी सुविधाएं लेने के आरोप में पूर्व कुलपति को जेल भेजने के मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई है। पूर्व कुलपति के सहयोगी के गिरफ्तार होने के बाद पता चला कि बेंगलुरु के एक व्यक्ति ने उच्चायुक्त नियुक्त कराने के नाम पर पूर्व कुलपति से ढाई करोड़ रुपये ऐंठे थे।
गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि जेल में बंद पूर्व कुलपति ने भी पूछताछ में इस बात को स्वीकार किया है। इसके बाद रकम ऐंठने वाले आरोपी की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है।
गाजियाबाद की कौशांबी थाना पुलिस ने 13 मार्च को दिल्ली की अमर कॉलोनी निवासी डॉ. कृष्ण शेखर राणा को गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक, चार-चार विश्विद्यालयों में कुलपति रह चुका डॉ. केएस राणा ओमान सल्तनत का उच्चायुक्त बनकर वीआईपी सुविधाएं ले रहा था। उसने मथुरा, आगरा के अलावा फरीदाबाद में सरकारी सुविधाएं लीं तो दिल्ली के एक बड़े कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की थी।
गाजियाबाद के डीएम और पुलिस कमिश्नर पर डॉ. केएस राणा का 12 मार्च का प्रोटोकॉल-पत्र आया तो उसमें उच्चायुक्त लिखा देखकर अधिकारियों का माथा ठनका। ओमान राष्ट्रमंडल देशों में शामिल नहीं है, लिहाजा वहां का राजनयिक उच्चायुक्त न होकर राजदूत होता है। इसी संदेह पर पुलिस ने डॉ. केएस राणा को थाने लाकर पूछताछ की तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसके बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। इसी क्रम में कौशांबी थाना पुलिस ने डॉ. केएस राणा के सहयोगी गुरप्रीत निवासी दिल्ली को गिरफ्तार किया।
उसके मोबाइल में मिली चैट से पता चला कि उच्चायुक्त नियुक्त करवाने के नाम पर डॉ. केएस राणा से मोटी रकम ऐंठी गई थी। जेल में बंद डॉ. केएस राणा से पूछताछ की तो उसने भी इस बात की पुष्टि की।
आसिफ ने नियुक्त कराने के नाम पर डील की
पुलिस के मुताबिक, केएस राणा कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, अल्मोड़ा रेजिडेंशियल विश्वविद्यालय उत्तराखंड, मेवाड़ विश्वविद्यालय राजस्थान और जयपुर टेक्निकल विश्वविद्यालय राजस्थान में कुलपति रह चुका था। इस दौरान उसे वीआईपी सुविधाएं मिलती थीं, जिसका उसे चस्का लग गया था। कुलपति का पद छोड़ने के बाद वीआईपी प्रोटोकॉल लेने के लिए वह वर्ष 2024 में इंडिया जीसीसी ट्रेड्स काउंसिल नामक एनजीओ से जुड़ा। इस एनजीओ से उसे बेंगलुरु निवासी आसिफ इकबाल ने जुड़वाया था। यह एनजीओ खाड़ी देशों में भारत के व्यापार को बढ़ाने का काम करता है। आसिफ इकबाल ने केएस राणा को एनजीओ में बतौर सदस्य जुड़वाया, लेकिन बाद में ओमान देश में भारत का व्यापार बढ़ाने के लिए एनजीओ में ट्रेड कमिश्नर पद दिलवाया। आसिफ इकबाल ने उच्चायुक्त नियुक्त कराने के नाम पर डॉ. केएस राणा से ढाई करोड़ रुपये वसूले थे।
पूर्व कुलपति ने कैश में दी थी रकम
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, डॉ. केएस राणा ने बताया कि आसिफ इकबाल और उसके जानकारों ने उच्चायुक्त नियुक्त कराने, उच्चायुक्त के लिए आवंटित होने वाली सीरीज का गाड़ी नंबर दिलवाने आदि काम के लिए ढाई करोड़ रुपये वसूले थे। पूर्व कुलपति ने बताया कि सारी रकम उसने कैश में दी है। डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने बताया कि मोटी रकम का कैश लेन-देन होने की पुष्टि की जा रही है। आसिफ इकबाल को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया है।