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यूपी के नेता राजा भैया के खिलाफ दिल्ली में FIR, पत्नी ने दर्ज कराया केस, पढ़ें क्या-क्या लगाए आरोप

उत्तर प्रदेश के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ दिल्ली के सफदरजंग एंक्लेव थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। उनके खिलाफ उनकी पत्नी ने प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था और उनकी शिकायत पर ही यह एफआईआर दर्ज हुई है। आगे की जांच जारी है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। राजन शर्माSun, 9 March 2025 11:40 AM
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यूपी के नेता राजा भैया के खिलाफ दिल्ली में FIR, पत्नी ने दर्ज कराया केस, पढ़ें क्या-क्या लगाए आरोप

उत्तर प्रदेश के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ दिल्ली के सफदरजंग एंक्लेव थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। उनके खिलाफ उनकी पत्नी भानवी कुमारी सिंह ने प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। भानवी सिंह पिछले काफी समय से अपने पति से अलग दिल्ली में रह रही हैं।

भानवी कुमारी सिंह की ओर से दिल्ली पुलिस को दी गई लिखित शिकायत में अपने पति रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 498A के तहत यह एफआईआर दर्ज कर ली है। इस मामले में फिलहाल आगे की जांच जारी है।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह मामला पहले क्राइम अगेंस्ट वुमेन सेल में चल रहा था और मीडिएशन सेंटर भी गया था। इसके बाद जब यह मामला थाने आया तो केस दर्ज किया गया है।

'शारीरिक शोषण के कारण मेरे अंग खराब हो गए'

एफआईआर के मुताबिक, भानवी सिंह ने अपनी शिकायत कहा है कि मेरे पत्नी रघुराज प्रताप सिंह पिछले कई वर्षों से मेरे खिलाफ शारीरिक और मानसिक क्रूरता कर रहे हैं और हाल की मेडिकल रिपोर्ट से यह साबित होता है कि मेरे पति द्वारा किए गए शारीरिक शोषण के कारण मेरे अंग खराब हो गए हैं, जिससे मेरी जान को खतरा है।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपने पति के खिलाफ क्रूरता और हिंसा के खिलाफ एनसीडब्ल्यू और डीएएलएसए के समक्ष 20 मार्च 2023 को भी शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, इस उम्मीद में कि चीजें बदल जाएंगी और मेरा विवाहित जीवन फिर से शांतिपूर्ण हो जाएगा, मैंने उक्त शिकायत वापस ले ली थीं। हालिया मेडिकल रिपोर्ट और पिछले एक साल से निरंतर जारी क्रूरता ने मुझे और अधिक और आघात पहुंचाया है।

दिल्ली और यूपी में दोनों पक्षों के बीच कई मामले लंबित

शिकायत में यह भी कहा गया है कि दिल्ली और यूपी में दोनों पक्षों के बीच कई मामले लंबित हैं। हालांकि, हाल की रिपोर्टों और दूसरे पक्ष द्वारा मुझे मिली मौत की धमकियों ने मुझे अपने जीवन की सुरक्षा के लिए वर्तमान शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया है। हाल ही में दी गई मौत की धमकियों का विवरण भी उक्त शिकायत का हिस्सा है।

भानवी सिंह के द्वारा कहा गया है कि मेरी शादी के 30 वर्षों में मेरे पति द्वारा कई बार मुझे शारीरिक और मानसिक क्रूरता का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि मेरा विवाह 17.02.1995 को राजभवन, पुरानी बस्ती, उत्तर प्रदेश में हिंदू रीति-रिवाजों और समारोहों के अनुसार संपन्न हुआ था। मैं और मेरे पति दोनों ही एक पुराने शाही परिवार से हैं और मेरे पति एक शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। वह अवध के भदरी एस्टेट से हैं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक हैं, और उनके पास पर्याप्त राजनीतिक प्रभाव है।

भानवी सिंह ने कहा कि मैं भी बस्ती के पूर्व राजघराने से ताल्लुक रखती हूं। हमारे शाही वंश का उल्लेख मेरे द्वारा जीए गए अत्यंत रूढ़िवादी और संरक्षित जीवन को उजागर करने के लिए है। साथ ही मेरे पति एक पारंपरिक रूढ़िवादी व्यक्ति शक्ति हैं।

लखनऊ में रहते थे पति

उन्होंने आगे कहा कि शादी के बाद मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और अपने पति और उनकी मां के साथ रहने के लिए बैती स्थित अपने ससुराल जाना पड़ा, जहां मैं बाल्टी कोठी, कुंडा, प्रतापगढ़, यूपी में रहती थी। यह बताना जरूरी है कि मेरे पति के पिता भदरी में रहते थे, जो हमारे ससुराल से पंद्रह मिनट की दूरी पर है। हालांकि, मेरे पति के पास अपने परिवार के साथ रहने का विकल्प होने के बावजूद, वह ज्यादातर समय अपनी पत्नी और माता-पिता से दूर शाहनजफ रोड, लखनऊ स्थित अपने पैतृक घर में बिताते थे, उनका दावा था कि उन्हें लखनऊ में काम है। जबकि मेरे पति कई महीने लखनऊ में बिताते थे, मैं ज्यादातर समय ससुराल में ही रहती थी, घर और अपनी सास की देखभाल करती थी, उनकी जरूरतों को पूरा करती थी। हालांकि, मैंने इस बारे में कभी कोई असंतोष व्यक्त नहीं किया और हमेशा एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी और बहू रही हूं। मैंने ससुराल में हमेशा सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने का प्रयास किया, तथा अपनी जरूरतों से अधिक अपने पति और ससुराल वालों की खुशी और संतुष्टि को प्राथमिकता दी।

कमरे में साथ सोती थी सास

एफआईआर के अनुसार, भानवी ने आरोप है कि शादी के तुरंत बाद, मुझे एहसास हुआ कि मेरी सास अपने बेटे के साथ-साथ घर के कामकाज पर भी बहुत ज्यादा अधिकार जताती थीं और उसे कंट्रोल करती थीं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब मेरी सास मेरे पति के बैती में रहने पर भी हमारे कमरे में सोने पर जो देती थीं, जो एक विवाहित जोड़े को दी जाने वाली प्राइवेस के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा दर्शाता था। मैंने अपनी सास के प्रति अत्यधिक सम्मान के कारण इस बारे में कभी भी असंतोष का एक शब्द भी नहीं कहा। मुझे यह भी लगा कि, एक नवविवाहित के रूप में मैं इसका विरोध नहीं कर सकती थी और उम्मीद करती थी कि समय के साथ बेहतर समझ विकसित होगी।

इस तरह की सोने की व्यवस्था जारी रही, जिससे मुझे बहुत असहज महसूस हुआ। जून/जुलाई 1995 के आसपास एक या दो मौकों पर जब मैं आधी रात को जागती थी, तो मैं अपनी सास को खड़ी होकर हमारे ऊपर नजर रखती पाती थी, जो परेशान करने वाला था। हमारे बीच निजी पल बहुत कम थे, केवल मेरे पति की इच्छा पर ही होते थे, जब वे अपनी मां को कमरे से बाहर जाने के लिए कहते थे।

उन्होंने कहा कि यह भी परेशान करने वाली बात थी कि मेरे पति, काफी पढ़े-लिखे होने के बावजूद एक रूढ़िवादी और पारंपरिक जीवन शैली का पालन करते थे। वह मुझे कभी भी अपने साथ कहीं नहीं ले जाते थे, चाहे वह कोई सामाजिक समारोह हो या सैर-सपाटा; हर जगह वह अकेले ही जाना पसंद करते थे, जिसका कारण मुझे बाद में पता चला। उन्होंने मुझे घर पर आयोजित किसी भी सामाजिक समारोह में शामिल होने की अनुमति नहीं दी। जब भी निर्वाचन क्षेत्र के लोग आते थे, तो मुझे घर के अंदर रहने और पर्दा करने के लिए कहा जाता था।

शादी के ढाई साल बाद सितंबर 1997 में बहुत मान मनोव्वल के बाद मेरे पति अनिच्छा से मुझे कुछ दिनों के लिए लखनऊ ले जाने के लिए राजी हुए। मैं बहुत खुश थी, क्योंकि मैंने इसे उनके साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताने के अवसर के रूप में देखा। हालांकि, मेरी खुशी थोड़े समय की थी, क्योंकि मेरी सास ने हमारे साथ जाने पर जोर दिया। मेरी सास ने हमें मुश्किल से अकेला छोड़ा, लगातार हमारी निजता में दखल दिया। हालांकि, लखनऊ में केवल दो दिनों के बाद, मेरे पति ने बिना किसी कारण बताए मुझे बैती (ससुराल) वापस भेजने पर जोर देना शुरू कर दिया। उनकी जिद ने मुझे अकेलापन महसूस कराया, खासकर इसलिए क्योंकि उन्होंने मेरे साथ समय बिताने में बहुत कम रुचि दिखाई। जब मैंने पूछा कि क्या मैं एक या दो दिन के और रुक सकती हूं, तो मेरे पति ने मुझे गुस्से और आक्रामकता से जवाब दिया, उन्होंने मुझे उनकी बात मानने के लिए कहा, जिससे मैं आगे बोलने से डर गई।

कमरे में साथ सोने की जिद करती थी छोटी बहन

मैं जब अपने पति से मिलने लखनऊ वाले घर जाती थी, तो मेरी छोटी बहन साध्वी, जो उस समय 17 साल की थी, अक्सर हमारे साथ रहने आती थी। हालांकि, मैंने देखा कि साध्वी के साथ मेरे पति का व्यवहार जीजा-साली के रिश्ते से कहीं अधिक था। वास्तव में 1997 में कई बार, जब भी मैं लखनऊ में होती थी, साध्वी हमारे साथ एक ही कमरे में सोने पर जोर देती थी। उनके अनुरोध को अस्वीकार करने के बजाय, मेरे पति खुशी-खुशी उसी कमरे में एक फोल्डिंग बेड रखवा देते थे। जब 2-3 बार ऐसा हुआ, मेरी सास ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एक जवान कुंवारी लड़की का हमारे साथ एक ही कमरे में सोना ठीक नहीं है। इस पर मेरे पति ने मेरी सास और मुझे विरोध करने की सजा के तौर पर तुरंत बैती वापस भेज दिया था।

मुझे भी लगा कि उनका व्यवहार अनुचित था, लेकिन मैं अपने पति के गुस्से के डर से कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। 1997 के अंत या 1998 की शुरुआत में एक और घटना में, जब साध्वी हमारे कमरे में नहा रही थी, मैंने दरवाजा खटखटाया तो साध्वी ने बिना पूछे ही दरवाजा खोल दिया, जो पूरी तरह से खुला हुआ था। मैंने उसे डांटा और अपनी सास को बताया, उन्होंने मेरे पति से इस पर अपनी असहमति व्यक्त की, लेकिन उन्होंने उन्हें चुप करा दिया।

1998 में जब मैं गर्भवती हुई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे उम्मीद थी कि अब मैं अपने पति के साथ लखनऊ में रह पाऊंगी, क्योंकि शहर में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं थीं। मैंने सोचा कि वह भी इस खबर से खुश होंगे। इसी उम्मीद के साथ, मैं लखनऊ गई; हालांकि, वह अपने काम के बहाने से मुझे ज्यादातर टालते रहे। इसके बावजूद, मुझे इस बात से तसल्ली मिली कि मैं कम से कम अब अपने पति के साथ रह सकती हूं और उनके कथित कार्य प्रतिबद्धताओं से परेशान नहीं होना चाहती।

लखनऊ में रहने के दौरान मैंने डॉ. मधु गुप्ता से कंसल्ट किया, जिन्होंने मुझे बताया कि मैं जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली हूं। इसके चलते डॉक्टर ने मुझे अधिक सावधानी बरतने और बेड रेस्ट करने की सलाह दी। मेरे पति मुझे कभी भी डॉक्टर के पास अपॉइंटमेंट, टेस्ट या चेकअप के लिए नहीं ले गए, ना ही उन्होंने मुझे इन महीनों के दौरान कोई भावनात्मक सहारा दिया। मुझे अपनी गर्भावस्था को अपने दम पर संभालना पड़ा, कभी-कभी इन अपॉइंटमेंट के लिए मेरी सास के साथ जाना पड़ता था। इतना ही नहीं, मेरे पति ने कभी मुझसे यह तक नहीं पूछा कि अपॉइंटमेंट कैसी रही या मैं कैसा महसूस कर रही हूं।

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