स्मार्ट सिटी के विद्यालयों में अध्यापकों के 27 प्रतिशत पद रिक्त
फरीदाबाद में बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों के लिए परिणाम की उम्मीद कम है। राजकीय विद्यालयों में 27 प्रतिशत अध्यापकों की कमी है, जिससे पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पा रहा है। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे...
फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। बोर्ड परीक्षाओं को लगभग दो महीने बचे हैं और इस बार भी छात्रों से बेहतर परिणाम की उम्मीद लगाना गलत होगा। इसकी मुख्य वजह राजकीय विद्यालयों में अध्यापकों की कमी है। फरीदाबाद के राजकीय विद्यालयों में 27 प्रतिशत अध्यापकों की कमी है। इसमें 10वीं एवं 12वीं कक्षा को पढ़ाने वाले टीजीटी (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) व पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) शामिल हैं। जिले में इनके कुल 2600 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 1900 पदों पर अध्यापक कार्यरत हैं, जबकि 700 पदों पर अध्यापक नहीं हैं। बोर्ड परीक्षाओं में स्मार्ट सिटी का परिणाम किसी से छुपा नहीं है। स्मार्ट सिटी लगातार पांच वर्षों से प्रदेश में 20वें पायदान पर बना हुआ है। इस वर्ष फरीदाबाद 12वीं कक्षा में 48 प्रतिशत और 10वीं में लगभग 50 प्रतिशत परिणाम के साथ के साथ 20वें स्थान पर रहा था। परिणाम जारी होने के बाद जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं राजकीय विद्यालयों के अध्यापकों की कार्य प्रणाली पर सवाल उठते हैं और हर वर्ष अगली बार बेहतर परिणाम का वादा कर अधिकारी एवं अध्यापक आलोचनाओं से बच निकलते हैं। अब एक बार फिर से परीक्षा की घड़ी आ गई है और राजकीय विद्यालय के छात्र उसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। अध्यापकों की कमी के चलते कई विद्यालयों के पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया है। जिले में कई विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों के अध्यापक तक नहीं है। वहां पर विज्ञान के अध्यापक गणित और पांचवीं के अध्यापक 10वीं कक्षा के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं। जिले के राजकीय विद्यालयों के लिए 1400 पीजीटी के स्वीकृत पद हैं। इनमें से करीब 1100 अध्यापक कार्यरत हैं, जबकि 300 पद रिक्त हैं। इसी प्रकार 1200 पदक स्वीकृत हैं। इनमें से 800 कार्यरत हैं, जबकि 400 रिक्त हैं।
इस समय चलता है रिवीजन
नवंबर और दिसंबर का महीना पाठ्यक्रम को पूरा करवाकर छात्रों की दुविधाओं को दूर करने का होता है, लेकिन जिले के कई विद्यालयों में अभी तक पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया है। अभी प्रदूषण के चलते विद्यालय बंद हैं और दिसंबर में शरदकालीन अवकाश बंद रहेंगे। यदि विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में अध्यापक होते तो शायद अबतक पाठ्यक्रम पूरा हो गया होता है और छात्रों का रिवीजन कराया जाता।
इन तीन विषयों का रहता है सबसे खराब परिणाम
आज के समय गणित, विज्ञान और अंग्रेजी सबसे प्रमुख विषय माने जाते हैं। वही कला संकाय में अर्थ शास्त्र सबसे प्रमुख विषय होता है। इन विषयों से अध्यापकों की भारी कमी है। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गणित के 40 से अधिक, विज्ञान के 65 और अंग्रेजी के भी 65 से 70 अध्यापकों की कमी है। इन विषयों के अध्यापकों की कमी का प्रभाव इसके परिणाम पर भी पड़ता है। इन विषयों में जिले का परिणाम 60 प्रतिशत रहा था।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है बूरा हाल
ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों की तुलना में शहरी क्षेत्र के स्कूल में अध्यापकों को पढ़ाने वाले अध्यापकों सरकार की ओर से कई तरह के लाभ दिए जाते हैं। सरकार द्वारा ऑनलाइन ट्रांसफर ड्राइव चलाए जाने पर अधिकतर अध्यापक शहरी क्षेत्र के विद्यालयों का विकल्प चुनते हैं। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों की स्थिति बहुत ही खराब होती है। बता दें कि शहरी क्षेत्र के अध्यापक को बेसिक वेतन का 16 प्रतिशत, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के क्षेत्र को इसका आधा आठ प्रतिशत अतिरिक्त हाउस रेंट अलाउंस मिलता है। इसके चलते भी अध्यापक ग्रामीण क्षेत्रों में जाना नहीं चाहते हैं।
प्रदेश सरकार को नियमित रूप से ट्रांसफर ड्राइव चलानी चाहिए। ताकि रिक्त पदों पर अध्यापकों की नियुक्त हो सकें। ट्रांसफर ड्राइव नहीं चलाए जाने की वजह से रिक्त पद बने हुए हैं। इसके अलावा नियुक्तियां भी जारी रहनी चाहिए। इससे अध्यापकों की कमी नहीं होगी।
-संदीप चौहान, प्रधान, हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन
सरकार से समय-समय पर अध्यापकों की कमी की जाती है। इसके अलावा सामायोजन प्रक्रिया से अध्यापकों की कमी को पूरा किया जाता है। सभी विद्यालय प्रमुखों को दिसंबर के पहले सप्ताह पाठ्यक्रम पूरा करके रिवीजन के निर्देश दिए गए हैं। ताकि दूसरे सप्ताह से प्रीबोर्ड परीक्षाएं शुरू कर सकें।
-अजीत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी
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