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स्मार्ट सिटी में नियमों का उल्लंघन करने वाली स्कूल बस होंगी जब्त

फरीदाबाद में निजी स्कूल बसों के लिए जीपीएस सिस्टम और फर्स्ट एड किट अनिवार्य किया गया है। मुख्यमंत्री ने 31 मार्च तक इनकी स्थापना का निर्देश दिया है। नियमों का उल्लंघन करने पर बसें जब्त की जाएंगी। इससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादFri, 17 Jan 2025 09:39 PM
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स्मार्ट सिटी में नियमों का उल्लंघन करने वाली स्कूल बस होंगी जब्त

-स्कूल संचालकों को 31 मार्च तक बसों में जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए -----------

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। स्मार्ट सिटी में परिवहन नियमों को उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों की बसें जब्त की जाएंगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने बिना जीपीएस एवं फर्स्ट एड किट नहीं रखने वाले स्कूल बसों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री प्रदेश के जिला उपायुक्तों के साथ बैठक कर रहे थे। विद्यालयों को जीपीएस एवं फर्स्ट एड बॉक्स लगाने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया गया है।

स्मार्ट सिटी में 376 राजकीय एवं करीब 1200 निजी विद्यालय हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित विद्यालयों में बच्चों को स्कूल लाने व घर छोड़ने के लिए बस चलाई जा रही है। 1159 विद्यालय विद्यालय प्रबंधन द्वारा 3338 बसें चलाई जा रही है। इनमें से कई निजी स्कूल संचालक यातायात नियमों का अनदेखी कर बिना खौफ के सड़कों पर बसें दौड़ा रहे हैं। कई बार देखने में भी आया है कि अधूरे संसाधनों की वजह से बड़े हादसे भी हो जाते हैं। अब अधूरे संसाधनों के साथ निजी संचालक बसें सड़कों पर नहीं उतार सकेंगे। यदि वह उतारते हैं तो उनकी बसों को जब्त किया जाएगा। इससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इसके अलावा स्कूल संचालक बस चालक पर निगरानी भी रख सकेंगे।

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पिछले वर्ष 200 बसों का हुआ था चालान

पिछले वर्ष 11 अप्रैल को महेंद्रगढ़ के कनीना में एक स्कूल बस पलट गई थी। इस हादसे में छह बच्चों की मौत हो गई थी। इस हादसों को लेकर सरकार से लेकर प्रशासन तक सक्रिय हो गया था। उस समय निजी विद्यालयों की निरंकुशता पर अंकुश लगाने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की गई थी। बसों की मॉनिटरिंग के लिए शिक्षा विभाग की टीमें गठित गई थी, जो विद्यालयों में जाकर बसों की जांच करती थी। इसके अलावा जिला पुलिस ने बड़े स्तर पर अभियान चलाया था। पिछले वर्ष पुलिस ने 200 से अधिक स्कूल बसों के चालान किए थे। इसके अलावा 80 बसों को जब्त किया गया था। मामला ठंडा होने के बाद स्कूल बसों के खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई और निजी स्कूल बस चालकों ने नियमों की अनदेखी कर बसें दौड़ाना शुरू कर दी हैं।

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क्यों आवश्यक है जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम

स्कूल बसों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगाने से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। यह सिस्टम बस की स्थिति और आवाजाही पर नजर रखता है। इससे स्कूल और अभिभावकों को छात्रों की सुरक्षा और सुरक्षित परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा फर्स्ट एड बॉक्स हादसे के दौरान काफी उपयोगी साबित होता है।

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स्कूल बसों के लिए आवश्यक नियम

- स्कूल बस पीले रंग की होनी चाहिए।

- बस पर स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए

- बस में आपातकालीन निकास द्वार होने चाहिए।

-बस में स्पीड गवर्नर लगाना जरूरी है।

- बस की अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए।

- बस में जीपीएस और सीसीटीवी कैमरा लगाना जरूरी है।

- बस के ड्राइवर के पास एलएमवी-ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का लाइसेंस होना चाहिए।

- बस में स्कूल से एक अटेंडेंट होना चाहिए।

- बस में बच्चों की पूरी जानकारी ड्राइवर के पास होनी चाहिए।

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एक कमेटी नियमित रूप से स्कूल बसों की जांच करती है और उसकी रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जाती है। प्रदेश सरकार के इस निर्देश को निजी विद्यालय संचालकों को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि कोई स्कूल संचालक नियमों की अनदेखी करेगा तो उसके खिलाफ 31 मार्च के बाद कार्रवाई होगी। इसमें किसी की सिफारिश नहीं चलेगी।

-अजीत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी

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