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चोरी की घटना के बाद भी सजग नहीं हुआ बीके अस्पताल प्रबंधन

फरीदाबाद के बीके अस्पताल में चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो सुरक्षा व्यवस्था की खामी को दर्शाती हैं। अस्पताल में सुरक्षा कर्मियों की कमी और उचित प्रबंधों का अभाव है। हाल ही में वेंटिलेटर सहित कई...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादWed, 6 Nov 2024 11:03 PM
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चोरी की घटना के बाद भी सजग नहीं हुआ बीके अस्पताल प्रबंधन

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। स्मार्ट सिटी के बीके अस्पताल में हो रही चोरी की घटनाएं सुरक्षा के बदइंतजामी को बताने के लिए पर्याप्त है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा चोरी जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। अस्पताल की सुरक्षा के प्रति अधिकारियों की संवेदनहीनता महीने में दो से तीन चाेरी की घटनाएं होती हैं।बता दें कि अभी हाल ही में मंगलवार को अस्थायी अस्पताल से वेंटिलेटर सहित कई वस्तुएं चोरी हो गई थी। इसके अलावा दशहरे के अवकाश वाले दिन ओपीडी परिसर पास लगी लोहे की ग्रिल को चोर तोड़कर ले गए थे। बीके जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां प्रतिदिन 1800 से दो हजार मरीजों की ओपीडी रहती हैं। इसके अलावा मरीजों के साथ उनके तीमारदार भी आते हैं। इन पर निगरानी रखने के लिए बीके अस्पताल में उचित प्रबंध नहीं किए गए हैं। ओपीडी का समय समाप्त होने के बाद सुरक्षा काफी हद राम भरोसे है। ओपीडी का समय समाप्त होने के बाद अस्पताल में सन्नाटा पसर जाता है। अस्पताल में केवल वहीं दिखाई देते हैं, जिनका परिजन उपचाराधीन होता है। इसके अलावा सुरक्षाकर्मी भी सन्नाटे वाली जगहों पर गश्त करने नहीं जाते हैं। वहां पर सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी नहीं सुनिश्चित की जाती है। इसके चलते चोरों के हौंसले बुलंद रहते हैं। बीके अस्पताल में आलम यह है कि कई बार नवजात तक चोरी हो चुके हैं। उसके बाद कुछ समय सुरक्षा व्यवस्था सख्त रहती है। उसके बाद व्यवस्था वही पुराने ढर्रे पर लौट आती है। लोग बिना रोकटोक के लोग आवागमन करते हैं।

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सुरक्षाकर्मियों की ड्रेस निर्धारित नहीं

बीके अस्पताल में ड्यूटी करने वाले सुरक्षाकर्मियों एवं मरीजों को पहचानना मुश्किल होता है। दरअसल बीके अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों की कोई ड्रेस निर्धारित नहीं है। वह बीके अस्पताल में सामान्य लोगों की तरह ड्रेस पहचानना मुश्किल होता है। बीके अस्पताल में यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई घटना हो जाती है, तो उस समय सुरक्षाकर्मियों को पहचानना मुश्किल होता है।

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कर्मचारी रहते हैं अन्य कार्य में व्यस्त

बीके अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों का मूल कार्य लोगों की आवाजाही पर निगरानी रखना और किसी पर संदेह होने पर उससे पूछताछ करना होता है, लेकिन वह इसके विपरीत कार्य करते हैं। वह अपने सग संबंधियों को डॉक्टर को दिखाने में व्यस्त रहते हैं। मिली जानकारी के अनुसार कुछ कर्मचारी थोड़े से रुपयों के लालच में अपनी ड्यूटी छोड़कर बीके अस्पताल में मेडिकल, जांच और ऑपरेशन कराने के लिए आने वाले लोगों की कागजात कराने में जुट जाते हैं।

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नहीं है पर्याप्त स्टाफ

बीके अस्पताल के सुरक्षाकर्मी पर्याप्त संख्या नहीं है। बीके अस्पताल 200 बेड का है। इसके अलावा मुख्य भवन के पीछे 96 बेड का अस्थायी अस्पताल भी है। उसके लिए स्टाफ उपलब्ध नहीं कराया गया है। बीके अस्पताल को 60 सुरक्षाकर्मियों की आवश्यकता है, लेकिन 27 ही कार्यरत हैं। इनमें से भी प्रतिदिन दो से चार सुरक्षाकर्मी अपने निजी कारणों से अवकाश पर रहते हैं। ऐसे में कम कर्मियों के चलते सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाए रखना मुश्किल है।

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हमारे पर सुरक्षाकर्मियों की भारी कमी है। 27 सुरक्षाकर्मियों की सुबह, दोपहर और शाम की ड्यूटी निर्धारित करनी होती है। इसके अलावा वह वार्ड, इमजरेंसी में भी ड्यूटी देते हैं। इतने कम सुरक्षाकर्मियों में बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा बीके अस्पताल व उसके आसपास के परिसर में कैमरे भी लगाए हुए हैं। उनसे भी संदिग्धों पर निगरानी रखने का प्रयास रहता है। सीसीटीवी कैमरों की वजह से बच्चा चोर को पकड़ने में सफल रहे थे।

-डॉ. सविता यादव, प्रधान चिकित्सा अधिकारी

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