सूरजकुंड मेले में म्यांमार की दस पारंपरिक कलाओं ने मन मोहा
फरीदाबाद में अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में म्यांमार की हस्त शिल्पकला के अद्भुत नमूने प्रदर्शित किए जा रहे हैं। मिंथी-मिंथी थीन ने म्यांमार की दस पारंपरिक कला रूपों के साथ भाग लिया है। उन्होंने...

फरीदाबाद। म्यांमार की हस्त शिल्पकला के अद्भुत नमूने अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में देखने को मिल रहे हैं। मुख्य चौपाल के पीछे बिम्सटेक के पवेलियन में म्यांमार से आई मिंथी-मिंथी थीन अपने साथ म्यांमार की दस पारंपरिक शिल्पकला को लेकर पहुंचीं हैं। थीन के अनुसार शिल्पकला हमेशा से म्यांमार की संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। ऐतिहासिक रूप से म्यांमार की दस पारंपरिक कला रूपों को पैन से म्यो या दस फूल कहा जाता है। इन दस रूपों में मूर्तिकला, लोहार, लाह के बर्तन, पेंटिंग, लकड़ी की नक्काशी, प्लास्टर रिलीफ, चिनाई, टर्नरी और कांस्य ढलाई शामिल है।
मिंथी-मिंथी थीन पहली बार मेले में आई हैं और उन्हें आकर बहुत ही अच्छा लगा। कई भारतीय हस्तशिल्पी अच्छे मिल गए हैं। उन्होंने अपने राज्य आने के लिए आमंत्रित किया है। वह अपने साथ कई तरह की प्राकृतिक रंगों से तैयार की गई पेंटिंग लेकर पहुंची है। यह सभी पेंटिंग म्यांमार की ऐतिहासिक धरोहरों पर आधारित की हैं। इसके अलावा म्यांमार के पत्थरों से बने ब्रासलेट लेकर आई है। इनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में हजारों रुपये में हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।