इंमरजेंसी में कॉल आते ही तुरंत मरीजों को अस्पताल ला रहे
वैश्विक महामारी कोरोना कॉल का दूसरा दौर के शुरू होते ही हरियाणा स्वास्थ्य विभाग...
वैश्विक महामारी कोरोना कॉल का दूसरा दौर के शुरू होते ही हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के सेक्टर-3 स्थित प्रथम रैफरल इकाई के तहत एम्बुलेंस में एमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन के रूप में सेवाएं देने वाले शशीकांत ने कोरोना मरीजों की सेवा करना ही अपना परम धर्म बना लिया है। हालांकि इसके लिए उन्हें इस दौरान अपने परिवार से दूर होना पड़ रहा है। इतना जरूर है कि उन्हें अपने दूसरे 20 दिन के बेटे की ज्यादा याद आती है।
स्वास्थ्य विभाग की 108 नंबर एमरजेंसी में लगी एम्बुलेंस में तैनात एमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन शशीकांत बल्लभगढ़ में आर्य नगर में रहते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दूसरे दौर के शुरू होते ही शशीकांत की ड्यूटी कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों को लाने-ले जाने के लिए एम्बुलेंस में लगा दी गई। उसके बाद से ही उन्होंने कोरोना मरीजों की सेवा को अपना धर्म मान लिया। एमरजेंसी कॉल आते ही वह तुरंत मरीज को लेने के लिए दौड़ पड़ते हैं।
इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन की दिन दिनचर्या
शहर के आर्य नगर निवासी एवं एमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन शशीकांत ने बताया कि 108 नंबर स्वास्थ्य विभाग का एमरजेंसी नंबर है। उनकी ड्यूटी सेक्टर-3 स्थित प्रथम रैफरल इकाई की एम्बुलेंस में लगी हुई है। उनके पास कभी सामुदायिक केंद्र सेक्टर-3 से कॉल आती तो कभी नीमका जेल से और कभी ईएसआई से, कॉल आते ही वह एम्बुलेंस लेकर मौके पर पहुंचते हैं। 12 घंटे ड्यूटी के दौरान प्रत्येक पल वह किट, मास्क सहित अन्य प्रकार की सुरक्षा उपकरणों से लैस होकर पूरी तरह से तैयार रहते हैं। ऐसी स्थिति में सुबह हो या फिर रात हमेशा ही कोरोना के मरीज की ही सेवा के बारे में सोचते रहते है। शशीकांत का कहना है कि ड्यूटी से वह अपने घर की तीसरी मंजिल पर जाते हैं ओर वह वहीं बच्चों से अलग रहते हैं।
एमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन शशीकांत के परिवार में उनके पिता महेश, माता प्रीति, पत्नी पूजा व दो साल का बेटा श्रेष्ठ व 20 दिन पहले हुआ एक बेटा है। पिता पेश से आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर है। वह अधिकत्तर समय मरीजों की सेवा में ही बीताते हैं। मां-पत्नी परिवार की देखभाल करती है।
खुद की सफाई भी रखते हैं खासा ख्याल
घर से जब भी प्रथम रैफल इकाई सेक्टर-3 के लिए निकलते हैं, तब भी मुहं पर मास्क लगाकर रखते हैं। जेब में सैनिटाइजर की शीशी भी रखते हैं। जिसका प्रयोग थोड़े-थोड़े समय के बाद किया जाता है। 12 घंटे बाद जब घर पहुंचते हैं। सामाजिक दूरी का पालन करते हुए वे घर में आइसोलेट हो जाते हैं।
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