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फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाडे का पर्दाफाश, दो गिरफ्तार

फरीदाबाद में केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) की टीम ने 65.25 करोड़ के आईटीसी फर्जीवाड़े में संकेत मित्तल और नवीन तायल को गिरफ्तार किया। दोनों ने फर्जी फर्में बनाकर करोड़ों रुपये का फर्जी एनवाइस...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादWed, 7 May 2025 11:22 PM
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फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाडे का पर्दाफाश, दो गिरफ्तार

फरीदाबाद। केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) आयुक्तालय की टीम ने फर्जी फर्म बनाकर 65.25 करोड़ के आईटीसी फर्जीवाडे में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों की पहचान संकेत मित्तल (19 वर्ष) और नवीन तायल (34 वर्ष) के रूप में हुई है। पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों को जिला अदालत में पेश कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। आरोपी संकेत मित्तल और नवीन मोबाइल फोन कारोबारी हैं और दोनों ने सीजीएसटी में पंजीकरण कराया हुआ है। सूत्रों के अनुसार आरोपी ने एनआईटी, ओल्ड फरीदाबाद और बल्लभगढ़ में अपने और जानकारों के नाम से फर्जी फर्में बना रखी थी।

कंपनियों के नाम से करोड़ों रुपये के फर्जी एनवाइस काटे थे। इन कंपनियों से देशभर में हजारों लोगों को माल बेचा दिखा कर इन बिल पर इनपुट-टैक्स क्रेडिट (उत्पादन-सामग्री पर लगे कर के लाभ का दावा) लेते थे। इस तरह उसे जीएसटी की देनदारी में छूट मिल जाती थी। प्रारंभिक जांच में करीब 65.25 करोड़ के राजस्व के फर्जीवाडे़ का अनुमान है। सूचना पर सीजीएसटी की एंटी-इवेंशन टीम द्वारा मामले की गहनता से जांच की गई। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने बालाजी मोबाइल एडिशन और मॉइंट इंटरप्राइजेज नामक दो इकाइयों के माध्यम से यह फर्जीवाड़ा किया। जांच में सामने आया कि संकट मित्तल ने अपनी दादी और एक नौकर के नाम पर फर्जी दस्तावेजों से कंपनियां बनाई और इन्हीं के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया। सीजीएसटी विभाग मामले की गहन जांच में जुटा हुआ है और मामले से जुड़े अन्य लोगों की भी जांच की जा रही है। -- ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा आरोपी अमेजन, फ्लिपकार्ट, अप्पारियों जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से बेचे गए आईफोनों के ईएमईआई नंबर अवैध स्रोतों से प्राप्त कर लेते थे। उन्हें अपनी फर्जी खरीद में दर्शाकर आईटीसी का दावा करते थे। असल में ये फोन सीधे व्यक्तिगत ग्राहकों को बेचे गए थे और संबंधित कंपनियों द्वारा कोई वैध खरीद दर्ज नहीं की गई थी। -- ऐसे हुआ जांच में खुलासा आठ हजार से अधिक आईएमईआई नंबरों का विश्लेषण एप्पल इंडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार ये फोन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा सीधे उपभोक्ताओं को बेचे गए थे। कंपनियों द्वारा दिखाई गई खरीद का कोई ट्रेल मौजूद नहीं था। फर्जी बिजली बिल: पंजीकरण के लिए उपयोग में लाए गए बिजली बिल हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा फर्जी पाए गए। ई-वे बिल का विश्लेषण: -परिवहन में दिखाए गए वाहन या तो अमान्य निकले या वाहन मालिकों ने उनके नंबर के दुरुपयोग की पुष्टि की। एक मामले में हरियाणा रोडवेज की बसों द्वारा 5.41 करोड़ रुपये का माल भेजा जाना दर्शाया गया, जो असंभव है। -इन कंपनियों द्वारा दिखाई गई खरीद से जुड़े आपूर्तिकर्ताओं का जीएसटीआर-2ए में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि माल की आपूर्ति के बिना फर्जी इनवॉइस बनाए गए। निगरानी: आरोपी लगातार पता बदलते रहे, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो गया।

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