होली को पांच दिन शेष और अभी तक दो ही सैंपल लिए
फरीदाबाद में होली के त्योहार से पहले खाद्य एवं सुरक्षा विभाग ने केवल दही और पनीर के दो सैंपल लिए हैं। मिलावटखोरी की बढ़ती समस्या के कारण लोग बीमार हो सकते हैं। विभाग की सैंपलिंग में देरी और स्टाफ की...

फरीदाबाद। होली के त्योहार को मात्र अब पांच दिन शेष रह गए हैं और जिला खाद्य एवं सुरक्षा विभाग ने खाद्य सामग्रियों के दो ही सैंपल लिए हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने एनआईटी क्षेत्र से दही एवं पनीर का सैंपल लिया है। विभाग की खाद्य सामग्री में मिलावट के प्रति सुस्त रवैये की वजह से स्मार्ट सिटी में कई जगह की मिलावटी खाद्य सामग्री की जमकर बिक्री हो रही है। ऐसे में जिलेवासियों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान खुद ही रखना होगा। वह कुछ तरीकों से खाद्य सामग्रीम में मिलावट के बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं। त्योहारी सीजन समीप आते ही खोए एवं उससे बनने वाले उत्पादों की मांग बढ़ जाती है। होली में विशेषकर गुजिया में भरने के लिए खोए का प्रयोग होता है। इस मांग का लाभ उठाते हुए मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं और लोगों के स्वास्थ्य की परवाह किए बिना जमकर मिलावट करते हैं। इस मिलावट से बचाने के लिए खाद्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा बड़े स्तर पर खाद्य सामग्रियों के नमूने भरे जाते हैं। विभाग ने सैंपलिंग की शुरुआत भी की है, लेकिन यह शुरुआत देरी से हुई है। त्योहार के समाप्त होने के बाद सैंपल की रिपोर्ट आएगी। तबतक लोग मिलावटी खाद्य सामग्री का खाकर बीमार हो चुके होंगे। अभी की जाने वाली सैंपलिंग का स्मार्ट सिटी के लोगों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
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स्टाफ की कमी भी है कारण
देरी से सैंपलिंग शुरू करने की सबसे प्रमुख वजह स्टाफ की कमी है। स्मार्ट सिटी में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के दो पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक ही पद भरा हुआ है। डॉ. बीरेंदर सिंह बतौर खाद्य सुरक्षा अधिकारी कार्यरत हैं। उनके पास फरीदाबाद के अलावा पलवल का भी अतिरिक्त कार्यभार है। ऐसे में एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी के दो जिलों के खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग कर पाना मुश्किल होता है।
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20 दिन में आती है रिपोर्ट:
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम एक खाद्य सामग्री के तीन से चार नमूने लेती है और इनमें से दो नमूने चंडीगढ़ स्थित लैब में जांच के लिए भेजे जाते हैं। एक सैंपल की रिपोर्ट 20 से 22 दिनों में आती हैं। यहां पर फरीदाबाद के अलावा अन्य कई जिलों के सैंपल भी जांच के लिए आते हैं।
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ऐसे करे नकली की पहचान
जिला खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी डॉ. बीरेंदर सिंह ने बताया कि मावे में थोड़ी सी चीनी मिलाकर गर्म करें। अगर वह पानी छोड़ने लगे तो मतलब मावा नकली है। इसके अलावा मावा को अंगूठे के नाखून पर रगड़ने से अगर उसमें से घी की महक नहीं आती है तो भी वह नकली हो सकता है। वहीं, खोया की गोली बनाने पर अगर वह फटने लगे तो समझ जाएं कि मावा मिलावटी है। असली मावा मुंह में नहीं चिपकता जबकि नकली मावा मुंह में चिपक जाता है। उन्होंने बताया कि नकली मावे में घटिया किस्म का मिल्क पाउडर, टेलकम पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स की मिलावट की जाती हैं। इसके अलावा नकली मावा के लिए दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी भी मिलाया जाता है। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए मामूली वॉशिंग पाउडर, रिफाइंड तेल, पानी और शुद्ध दूध मिलाकर मावा तैयार किया जाता है।
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जिला खाद्य एवं सुरक्षा विभाग ने शुक्रवार को पनीर और दही का एक-एक सैंपल भरा है। सोमवार को भी सैंपलिंग जारी रहेगी। यदि किसी को मिलावट करने वालों के बारे में जानकारी मिलती है तो वह बीके अस्पताल स्थित खाद्य सुरक्षा विभाग के कार्यालय में आकर सूचना दे सकता है। संबंधित के खिलाफ कार्रवाई अवश्य की जाएगी।
-डॉ. बीरेंदर सिंह, जिला खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी
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