बीके अस्पताल में सुरक्षा के बन्दोबस्त नहीं, झांसी जैसे हादसे का खतरा
फरीदाबाद के बीके अस्पताल में आगजनी से सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम नहीं हैं। फायर फिटिंग सिस्ट्म में पाइप गायब हैं और आग बुझाने के उपकरण भी नहीं हैं। अस्पताल में कर्मचारियों को नियमित रूप से आग बुझाने...
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फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में लगी आग जैसी घटना बीके अस्पताल में भी हो सकती है। यहां आगजनी से निपटने के लिए मुकम्मल बन्दोबस्त नहीं हैं। फायर फिटिंग सिस्ट्म के बॉक्स में पाइप गायब हैं। आग बुझाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फव्वारे वाले उपकरण नहीं हैं।झांसी की घटना के बाद हिन्दुस्तान ने शनिवार को बीके अस्पताल और ईएसआई मेडिकल कॉलेज एवम अस्पताल की पड़ताल की। जहां बीके अस्पताल में उपरोक्त अनेक खामियां मिली। जबकि ईएसआई अस्पताल में बन्दोबस्त सही दिखाई दिए। बीके अस्पताल में चल रहा फायर फाइटिंग का काम
बीके अस्पताल में अभी फायर फाइटिंग का काम चल रहा है। जिसे पूरा होने में अभी काफी समय लगेगा। कितना समय लगेगा, इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुलकर कुछ नहीं बता पा रहे हैं। बहरहाल, यहां आग की रोकथाम के लिए अस्पताल में न फायर एग्जॉस्ट लगे हैं और न पानी छिड़काव के लिए स्प्रिंकलर की सुविधा है। पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण अस्पताल में आग लगी तो भारी जान माल की आशंका है। गौरतलब है कि एनआईटी-3 स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में रोजाना करीब साढे चार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।इसी प्रकार बीके अस्पताल में रोजाना करीब दो हजार मरीजों की ओपीडी होती है। दोनों अस्पतालों यदि बच्चों रोग विभाग की बात करें तो रोजाना करीब तीन सौ बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं।
बच्चों के वार्ड में जाने के लिए दो रास्ते
शनिवार सुबह हिन्दुस्तान संवाददाता बीके अस्पताल पहुंचा। यहां बच्चाें के वार्ड में जाने के दो रास्ते हैं। ओपीडी में प्रवेश करने पर दाहिनी तरफ सीढ़ियों से पहली मंजिल पर पहुंच बच्चे के वार्ड में पहुंच सकते हैं। इसके अलावा ओपीडी प्रवेश द्वार के सामने रैंप के माध्यम से जा सकते हैं। सीढ़ियां बहुत संकरी है। एक बार में केवन दो लोग ही चढ़ उतर सकते हैं। वहीं एसएनसीयू भी बहुत संकरी जगह में बना हुआ है। जिसमें बच्चों के परिजनों को बैठक तक की उचित व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में 27 बेड का एसएनसीयू है। जिनमें करीब 38 बच्चे भर्ती है। इनका इलाज चल रहा है। सूत्रों ने अनुसार आग से बचाव के लिए पूरे अस्पताल में जगह-जगह फायर इंस्टीग्यूशर तो लगे हैं। इनमें अगस्त 2024 में गैस भरी गई थी जो एक वर्ष चलेगी।
बॉक्स से पाइप गायब, लोहे के पाइपों में लगी जंग
अस्पताल में दिखावे के लिए पानी के लिए पाइप तो बिछे हैं लेकिन बॉक्स पानी छिड़काव के पाइप गायब हैं। पानी के टैंक, फायर होल रील, फायर हाइडेंट, मुख्य पंप, डीजल पंप आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा नर्सिंग स्टॉफ सहित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को आग बुझाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि वह भी नियमित रूप से नहीं दिया जा रहा है। फायर विभाग अधिकारियों के अनुसार एक 200 बेड के अस्पताल में करीब एक लाख लीटर क्षमता का पानी का टैंक होना चाहिए। जिसमें पानी स्टोर कर आगजनी की घटना में इस्तेमाल किया जा सके।
कर्मचारियों को नहीं दिया जाता नियमित प्रशिक्षण
सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में आगजनी की घटना को रोकने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को नियमित रूप से कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। नियमानुसार जहां हर सप्ताह प्रशिक्षण कार्यक्रम हाेने चाहिए। वहां दो-दो महीने में होते हैं। उसमें भी सभी अधिकारी और कर्मचारी शामिल नहीं होते हैं।
पूर्व की घटनाओं से नहीं लिया गया सबक
अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड में छह माह पहले शॉट सर्किट से आग लग गई थी, तेज धुंआ उठने लगा था। जिससे अस्पताल में अफरा तफरी मच गई थी। जैसे ही उन्होंने आग लगते देता फायर इंस्टीग्यूशर (गैस सिलिंडर) का इस्तेमाल कर आग पर कुछ देर में काबू पा लिया। जिससे एक बड़ी घटना होने से बच गई। इससे पहले लिफ्ट में आग लगने की घटना हो चुकी है। इससे पहले भी कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इन घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया।
रैंप गेट रहता बंद, लटका रहता है ताला
शनिवार को पड़ताल के दौरान टीम ने पाया रैंप से नीचे उतर कर बाहर जाने के लिए बने गेट पर अक्सर ताला लटका रहता है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से ताला लगाया जाता है जिससे कोई चोर अंदर न घुसे। ऐसे में आगजनी की घटना होने पर लोगों का अस्पताल से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। जिससे एक बड़ा हादसा हो सकता है।
ईएसआईसी में इंतजाम मिले ठीक
एनआईटी-3 स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में करीब 40 बेड का बच्चों का एसएनसीयू हैं। एसएनसीयू सहित पूरे अस्पताल में फायर इंस्टीग्यूशर लगे हैं। इसके अलावा फायर एग्जॉस्ट के साथ ही पानी छिड़काव के लिए स्प्रिंकलर की सुविधा उपलब्ध है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अनिल पांडे ने कहा अस्पताल में आगजनि की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सभी इंतजाम पूरे हैं।
अस्पताल में आग बुझाने के सभी इंतजाम हैं। जगह-जगह गैस सिलिंडर लगे हैं। इसके अलावा बीच-बीच में अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिलाया जाता है। जिससे आग लगने जैसी घटनाओं को तुंरत रोका जा सके। नए सिरे से फायर फाइटिंग का बन्दोबस्त किया जा रहा है।
- डॉ. विकास गोयल, उप प्रधान चिकित्सा अधिकारी, बीके अस्पताल
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