एसटीपी के शोधित पानी से होगी नूंह में खेतों की सिंचाई
फरीदाबाद के एसटीपी से शोधित पानी से मेवात क्षेत्र के किसानों को सिंचाई में राहत मिलेगी। नूंह जिले के किसानों की सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजाना 80 एमएलडी पानी नहर के माध्यम से छोड़ा...
फरीदाबाद। मेवात क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नूंह जिले के किसानों के लिए राहतभरी खबर है। सिंचाई में नहर से कम पानी मिलने की समस्या का समाधान फरीदाबाद के एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के शोधित पानी से किया जाएगा। जिससे किसानों की सिंचाई की जरूरतों होने के साथ क्षेत्र में जल संकट को की समस्या खत्म होगी। एसटीपी से शोधित पानी को नहर के माध्यम से रोजाना 80 एमएलडी तक छोड़ा जाएगा। दरअसल मेवात का इलाका जिले के नूंह, फिरोजपुर झिरका, तावडू, नगीना पुन्हाना खंड के अलावा पलवल जिले का हथीन खंड में फैला है। लगभग 17 लाख की आबादी वाला यह इलाका मेव बाहुल्य है। इसलिए इस इलाके को मेवात कहा जाता है। इस इलाके में लगभग एक लाख 46 हजार 645 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। नूंह में 36 हजार 820, तावडू 13 हजार 939, फिरोजपुर झिरका 19 हजार 616, पुन्हाना 26 हजार 66, नगीना 17 हजार 204 तथा हथीन खंड में 33 हजार हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। लेकिन, इस इलाके की बदकस्मिती है कि इस पूरे इलाके में कोई नदी न होने के कारण यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मेवात क्षेत्र की भूमि काली व दोमट मिट्टी है तावडू एरिया में भूड़ा किस्म की उपजाऊ भूमि है। यहां 36 प्रतिशत भूमि में जमीनी बोरिंग (ट्यूबवेल) के माध्यम से सिंचाई की जाती है और केवल 17 फीसदी इलाके में बारिश के पानी से सिंचाई होती है। इसके अलावा 47 प्रतिशत भूमि में सिंचाई की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। वहीं पूरे इलाके का भूजल स्तर 200 से 300 फुट तक पहुंच चुका है और बहुत बड़े हिस्से में पानी खारा भी है, जो सिंचाई के लिए लायक नहीं है। कई जगह रजवाहे हैं, लेकिन वे या तो सूखे हैं या उनमें प्रदूषित पानी बह रहा है। मजबूरन किसान इस पानी से अपने खेत की सिंचाई कर रहा है। हालांकि सिंचाई के लिए गुरुग्राम नहर से पानी की व्यवस्था है लेकिन उद्योगों द्वारा नहर में कैमिकल पानी छोड़े जाने के कारण किसानों से सिंचाई बंद कर दी। इस पानी से उनकी भूमि बंजर हो रही है। जिसे देखते हुए एफएमडीए की ओर से मेवात क्षेत्र को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की योजना तैयार की गई है।
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इन फसलों होती है अधिक
मेवात एरिया में गेहूं, जौ, सरसों, ज्वार, बाजरा, कपास, धान और कई प्रकार की दलहनें होती है। लेकिन सिंचाई न होने के कारण इनका उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
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शोधित पानी का उपयोग
शहर में सीवर और बरसाती पानी को प्रतापगढ़ में बने एसटीपी तक पहुंचाने के लिए तेजी से काम जारी है।इसमें उद्योगों से निकलने वाला कैमिकल पानी भी शामिल होगा। इस एसटीपी की क्षमता 100 एमएलडी है। पानी शोधन का कार्य शुरू कर दिया गया। कृषि के लिए 40 बीओडी पानी गुणवत्ता अच्छी होती है। यह पानी कृषि कार्यों के लिए सुरक्षित और उपयोगी माना जाता है। इस पानी को गुरुग्राम नहर के माध्यम से नूंह के खेतों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे किसानों को पूरे वर्ष सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहेगा।
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किसानों को होगा लाभ
-सिंचाई के लिए पानी की निरंतर आपूर्ति मिलेगी।
-फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होगी।
-जल संकट से निपटने में सहायता मिलेगी।
-भूजल पर निर्भरता कम होगी।
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वर्जन
प्रतापगढ़ एसटीपी से मेवात क्षेत्र में पानी की आपूर्ति के लिए योजना तैयार की गई है। इस पर जल्द काम शुरू किया जाएगा। इससे न केवल किसानों की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि जल संसाधनों के बेहतर उपयोग का उदाहरण भी स्थापित होगा। - अशोक कुमार, कार्यकारी अभियंता, एफएमडीए
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