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पशुओं के चारागाह बन रहे स्मार्ट सिटी के पार्क

फरीदाबाद के स्मार्ट सिटी के पार्क अब पशुओं के चारागाह बन गए हैं। कर्मचारियों की कमी और नगर निगम की लापरवाही के कारण पार्कों की हालत बदतर है। पार्कों में घूमने वाले लोग, खासकर बच्चे और बुजुर्ग, अब वहां...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादThu, 22 Aug 2024 05:47 PM
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फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी के पार्क इन दिनों पशुओं के चारागाह बन गए हैं। बरसात के दिनों में बढ़ी हरियाली को देखकर पार्को में पशुओं के झुंड रहते हैं। अधिकांश पार्को के हालात बदत्तर हैं। पार्को की चारदीवारी तक नहीं होने के कारण पशुओं की रोकटोक नहीं है। जबकि चौकीदार और नियमित माली तो बीते छह साल से अधिकांश पार्को में अब नहीं हैं। इसके चलते पार्को में सैर करने वाले लोगों को खासी दिक्कत होती है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं पशुओं के डर के कारण पार्को में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। स्मार्ट सिटी के अधिकांश पार्क बदहाल हैं। बजट और कर्मचारियों के अभाव में अधिकांश बदहाल हो चुके हैं। नगर निगम की लापरवाही और पार्कों की बदहाली के चलते अधिकांश पार्कों में बेसहारा पशुओं और असमाजिक तत्वों का बोलबाला बना रहता है। इस कारण से पार्कों में स्थानीय लोग भी सैर करने से कतराते हैं। रिहायशी इलाकों में पार्कों की बदहाली के कारण स्थानीय लोगों को सैर के लिए बड़े पार्को की ओर रूख करना पड़ता है। कई बार बड़े पार्को में भी पशुओं के झुंड देखने को मिलते हैं। ऐसे में कुछ लोग तो सैर करने नहीं जा पाते हैं।

आए दिन होते हैं बेसहारा पशुओं से हादसे

स्मार्ट सिटी की सड़कों पर आए दिन बेसहारा पशुओं के कारण दुर्घटनाए होती हैं। अगस्त में ही दो लोगों की जान सड़कों पर बेसहारा पशु ले चुके हैं। जिले की सड़कों पर करीब 15 हजार बेसहारा पशु विचरते हैं। लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। नगर निगम के पास इन्हें पकड़ने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। जिले की गौशालाओं में क्षमता से अधिक बेसहारा पशु पहले से मौजूद है। जिले में करीब सात गौशालाएं हैं, जिनमें करीब पांच हजार पशु है। कई गौशालाओं में बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुओं को फिर से छोड़ दिया जाता है।

नगर निगम के बागवानी विभाग में मात्र 26 फीसदी कर्मचारी

स्मार्ट सिटी फरीदाबाद के करीब 940 पार्क, हरित पट्टियों और चौराहों की बदहाली का बड़ा कारण नगर निगम के बागवानी विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी भी है। बागवानी विभाग में करीब 26 फीसदी ही कर्मचारी ही बचे हैं, जो अभी कार्यरत हैं। जबकि जेई और एसडीओ के अधिकांश पद भी खाली हैं। बागवानी शाखा में करीब 484 पद माली के स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत करीब 130 हैं करीब 354 पद माली के खाली पड़े हैं। सात पद कनिष्क अभियंता के स्वीकृत है। मात्र दो कनिष्क अभियंता हैं, पांच पद कनिष्क अभियंता के खाली है। 10 पद निरीक्षक हैं, एक कार्यरत हैं, 9 पद खाली है, तीन पद एसडीओ के स्वीकृत हैं, सभी खाली हैं। कार्यकारी अभियंता भी कोई नहीं है। अधीक्षक अभियंता भी कोई नहीं है। बागवानी शाखा में एक मुख्य अभियंता है, उनकी शैक्षणिक योग्यता सिविल इंजीनियरिंग है और उन्हें बागवानी में लगा रखा है।

अधिकांश माली अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के घरों के संवारते हैं पार्क

नगर निगम कर्मचारी यूनियन के एक सदस्य ने बताया कि अधिकांश माली तो अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के घरों में काम करते हैं। तो सार्वजनिक पार्कों का रखरखाव कैसे होगा। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के घरों के पार्क, घरेलू कार्य आदि के लिए अधिकांश माली लगाए हुए हैं। जबकि बागवानी विभाग में पहले से ही कर्मचारियों की भारी कमी है। ऐसे में सार्वजनिक पार्कों का रखरखाव नहीं हो पा रहा है।

बीते डेढ़ साल से आरडब्ल्यूए को नहीं किया गया भुगतान

कंफरडेशन ऑफ आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष एनके गर्ग बताते हैं कि शहर के अधिकांश पार्क उजड़ चुके हैं। सभी आरडब्ल्यूए इसकी शिकायत कर चुकी हैं। बीते करीब डेढ़ साल से आरडब्ल्यूए को भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में पार्को का रखरखाव अब नहीं हो पा रहा है। नगर निगम प्रशासन आरडब्ल्यूए को तीन रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से प्रतिमाह पार्क के रखरखाव के लिए आरडब्ल्यूए को भुगतान करता है। जो बीते करीब डेढ साल से नहीं किया गया। इसलिए आरडब्ल्यूए भी पार्को पर ध्यान नहीं दे पाती हैं। नगर निगम के माली या कर्मचारी पार्कों की देखरेख के लिए आते नहीं है।

स्मार्ट सिटी में पार्को पर एक नजर

शहर में पार्क: करीब 750

आरडब्ल्यूए का आवंटित पार्क::करीब 260

नगर निगम के पार्क::: करीब 490

हरित पट्टिया::करीब 150

चौराहे::करीब 40

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