ईएसआईसी डिस्पेंसरी में गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज बेहाल
वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार ने करीब 207 ईएसआईसी चिकत्सकों और अन्य...
वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार ने करीब 207 ईएसआईसी चिकत्सकों और अन्य कर्मचारियों को कोविड अस्पतालों में ड्यूटी के लिए लगा दिया है। इसमें प्रदेश भर के करीब 136 ईएसआईसी चिकित्सक भी शामिल हैं। इसका सीधा असर कलपुर्जों और मजदूरों की नगरी फरीदाबाद पर पड़ने लगा है। फरीदाबाद में करीब 11 ईएसआईसी डिस्पेंसरी हैं, जो अधिकांशत: दो पालियों में काम करती हैं और हजारों में मजदूरों को इलाज मुहैया कराती हैं। फरीदाबाद की ईएसआईसी डिस्पेंसरियों में कार्यरत करीब 36 चिकित्सक और करीब 88 अन्य कर्मचारियों को डिस्पेंसरियों से हटाकर पानीपत, हिसार समेत अन्य शहरों में बनाए गए कोविड अस्पतालों में ड्यूटी पर भेज दिया है। ऐसे में डिस्पेंसरियों में डॉक्टर और अन्य चिकित्सीय कर्मचारी नहीं है। इससे मरीजों की दिक्कत बढ़ने लगी है। इससे यूं तो प्रदेश के करीब 24 लाख मजदूर इलाज नहीं मिलने के कारण प्रभावित हो रहे है। वहीं, फरीदाबाद जैसे मजदूरों के शहर में फिलहाल करीब 20 हजार गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मजदूरों की दिक्कत बढ़ गई हैं। बीमार मजदूरों को डिस्पेंसरियों में इलाज नहीं मिल रहा है और ईएसआईसी अस्पताल को कोविड अस्पताल में तब्दील किया गया है। जिले में करीब 20 हजार मजदूर या ईएसआईसीकार्डधारक शुगर, लकवा, रक्तचाप, हृदयरोग, मिर्गी आदि जैसे रोगों से ग्रस्त चल रहे हैं
श्रमिक संगठनों ने पत्र लिखकर विरोध जताया
श्रमिक नेताओं का कहना है कि ईएसआईसी डिस्पेंसरियों में डॉक्टर और कर्मचारी नहीं है। जिसके कारण ईएसआईसी कार्डधारक इलाज के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। ईएसआईसी अस्पताल को पहले ही कोविड अस्पताल बना दिया गया है। ऐसे में बीमार मजदूर और कार्डधारकों के इलाज की व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए। आपदा में डॉक्टरों को भेजा जा सकता है, लेकिन मजदूरों के इलाज की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
ईएसआईसी के कुछ डॉक्टरों और कर्मचारियों की ड्यूटी आपदाकाल में कोविड अस्पतालों में लगाई गई है। मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
-डॉ. अनिल मलिक, निदेशक, ईएसआईसी हेल्थ केयर हरियाणा
ईएसआईसी लाभार्थी बोले, स्वास्थ्य विभाग व्यवस्था करे
मुझे दमा और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से दिक्कत बनी हुई है। एनएच-एक स्थित ईएसआईसी की डिस्पेंसरी से प्रतिसप्ताह दवाई मिल जाती है। डॉक्टर संतोषजनक रूप से इलाज कर रहे हैं। अब जब डॉक्टर और कर्मचारी ही डिस्पेंसरी में नहीं हैं तो फिर इलाज कैसे होगा? कोविड काल में बीमार मजदूरों के इलाज की समस्या बढ़ गई है।
बेचूगिरी, निवासी, संजय कॉलोनी
मैं दमा, उच्च रक्तचाप और कैंसर पीड़ित हूं। एनएच-एक की डिस्पेंसरी से ही दवा चल रही है। अब पता चला है कि डॉक्टरों को डिस्पेंसरी से हटाकर कहीं दूसरे शहर में भेज दिया है। ऐसे में अब डिस्पेंसरी में कोई डॉक्टर देखने वाला नहीं है। सरकार को ईएसआईसी कार्डधारकों के इलाज की सुविधा करनी चाहिए।
-समुंद्रा देवी, निवासी, संजय कॉलोनी
मैं शुगर, हृदयरोगी और दमा का रोगी हूं। एनएच-दो की डिस्पेंसरी से प्रतिसप्ताह दवाई लेता हूं। अब वहां डॉक्टर और अन्य कर्मचारी नहीं है। ऐसे में इलाज कैसे होगा? डॉक्टरों को कोविड अस्पतालों में भेज दिया गया है। लेकिन मजदूरों के इलाज का भी इंतजाम करना चाहिए। इलाज के लिए मजदूर परेशान हैं।
-दिगंबर सिंह, निवासी, एनएच-एक
पिछले साल ही मेरी एजियोग्राफी हुई है। मै हृदयरोग और शुगर से पीड्ति हूं। एनएच-दो की इएसआईसी डिस्पेंसरी से दवाई लेता हूं। अब तीन-चार दिन से डिस्पेंसरी में डॉक्टर ही नहीं है। जब डॉक्टर नहीं है तो इलाज कौन करेगा? ईएसआईसी अस्पताल में कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है। मेरे जैसे सैंकड़ों मजदूर इलाज नहीं मिलने से परेशान है।
-रामनरेशसिंह, निवासी, डबुआ कॉलोनी
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