डिस्पेंसरियों में सुविधाओं के अभाव में मरीज हो रहे ईएसआईसी अस्पताल रेफर
फरीदाबाद में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) की डिस्पेंसरियों में सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रेफर मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण, अस्पतालों पर दबाव...

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) की डिस्पेंसरियों में सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुविधाओं के अभाव बड़ी बीमारियां ही नहीं खांसी, जुखाम, बुखार के मरीजों को डिस्पेंसरी स्तर पर इलाज किए बिना सीधे रेफर किया जा रहा है, कई मरीज खुद भी बेहतर इलाज के लिए रेफर ले रहे हैं, जिससे दो अस्पतालों के बीच वे चक्कर काटने को मजबूर हैं। वहीं ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पर मरीजों का दबाव अधिक होने के चलते उनका अधिकांश समय लाइनों में कट जाता है, जिससे मरीज बेहद परेशान है। शहर में ईएसआई की 12 डिस्पेंसरियां हैं। इनका संचालन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। इन डिस्पेंसरियों पर रोजाना करीब हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। सूत्रों के अनुसार इनमें से रोजाना करीब 1500 मरीजों को इलाज के लिए ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर किया जा रहा है। खास बात यह है कि रेफर किए जा रहे मरीजों में अधिकतर सामान्य बीमारियों से पीड़ित हैं, जैसे खांसी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द व बदन दर्द। इन समस्याओं का इलाज डिस्पेंसरी स्तर पर हो सकता है, लेकिन वहां न तो पर्याप्त चिकित्सक हैं और न ही जरूरी दवाएं या जांच सुविधाएं, इंजेक्शनों और ड्रेसिंग उपलब्ध हैं। पैरामेडिकल और अन्य स्टॉफ की कमी भी बनी हुई है। डिस्पेंसरियों का संचालन दो शिफ्टों में किया जाता है। सुबह सात से दोपहर एक बजे और एक से शाम सात बजे। मरीजों का कहना है कि वे सुबह-सुबह डिस्पेंसरी पहुंचते हैं, जहां उन्हें घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद भी डॉक्टर उनकी पूरी जांच किए बिना उन्हें सीधे एनआईटी 3 स्थित ईएसआईसी अस्पताल रेफर कर देते हैं। कई बार अच्छे इलाज कुछ मरीज खुद भी रेफर ले लेते हैं। अस्पताल पहुंचने पर फिर से लंबा इंतजार करना पड़ता है, जिससे पूरा दिन खराब हो जाता है। कई बार तो गंभीर मरीज भी इलाज के लिए भटकते रहते हैं। ईएसआईसी अस्पताल प्रशासन के अनुसार, प्रतिदिन बढ़ती रेफर मरीजों की संख्या ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सीधा असर डाला है। ओपीडी में भीड़ बढ़ने से डॉक्टरों पर दबाव बढ़ा है और मरीजों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पा रहा।
स्मार्ट सिटी में छह लाख आईपी पर कुल 35 डॉक्टर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और ईएसआई के जानकार डॉ. जसवंत ठाकुर ने कहा कि है कि यदि डिस्पेंसरियों में बुनियादी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करा दी जाएं तो रेफर की जरुरत बहुत कम पड़ेगी और जिससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी। इसके अलावा अस्पताल पर भी अनावश्यक बोझ कम होगा।
नियमानुसार हर दो हजार आईपी (कार्ड धारक) एक डॉक्टर होना चाहिए। स्मार्ट सिटी में छह लाख आईपी पर कुल 35 डॉक्टर हैं, जबकि 300 होने चाहिए और इतने ही फार्मासिस्ट होने चाहिए। यदि नियमानुसार डिस्पेंसरियों पर डॉक्टर, पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्त की जाए तो इससे रोजगार के साथ सुविधाओं में इजाफा होगा।जिससे सरकार की भी प्रशंसा होगी। लेकिन सरकार इसे वहन नहीं कर पा रही है। मजदूरों और कामकाजी लोगों के लिए बनी ये डिस्पेंसरियां आज खुद उपचार के लिए मोहताज हो गई हैं। जरूरी है कि ईएसआई विभाग व स्वास्थ्य विभाग मिलकर इन डिस्पेंसरियों की स्थिति में सुधार करें, जिससे कर्मचारियों को बेहतर और समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके।
सरकार को डॉक्टरों के लिए स्पेश्लिस्ट कैडर बनाना चाहिए। इसके अलावा नियमानुसार डॉक्टर और स्टाफ बढ़ाना चाहिए, जिससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी। - डॉ. पुनीत बंसल, चिकित्सा अधीक्षक, ईएसआई फरीदाबाद
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