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पूर्व महिला आईपीएस को 10 दिन डिजिटल अरेस्ट रखा, ठगी से बचीं

फरीदाबाद में साइबर ठगों ने पूर्व महिला आईपीएस अधिकारी को मनी लाउंड्रिंग का डर दिखाकर 10 दिन तक व्हाट्सऐप कॉल पर रखा। ठगों ने उन्हें शेयर बेचने के लिए मजबूर किया, जिससे उन्हें 5 लाख रुपये का नुकसान...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादWed, 12 Feb 2025 11:23 PM
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पूर्व महिला आईपीएस को 10 दिन डिजिटल अरेस्ट रखा, ठगी से बचीं

फरीदाबाद। साइबर ठगों ने एक पूर्व महिला आईपीएस को मनी लाउड्रिंग का डर दिखाकर दस दिनों तक व्हाट्सऐप कॉल पर डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान उनके शेयर बिकवा दिए और उन रुपयों को हड़पने का प्रयास किया। गनीमत यह रही कि ठगी की आशंका होने पर जैसे ही पीड़िता ने खुद को पूर्व पुलिस अधिकारी बताया तो आरोपी ने कॉल काट दिया। इससे वह ठगी का शिकार होने से बच गईं। पुलिस ने वारदात के छह माह बाद मुकदमा दर्जकर जांच शुरू कर दी है। पुलिस आरोपियों की तलाश करने का दावा कर रही है। पीड़िता सेक्टर-21सी में परिवार के साथ रहती हैं। वह साल 1994 से 2007 तक आईपीएस अधिकारी रह चुकी हैं। वह नगालैंड में डीसीपी क्राइम रह चुकी हैं। उन्होंने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया है कि जुलाई-2024 के अंतिम सप्ताह में उनके मोबाइल फोन पर एक कॉल आया। कॉल करने वाले अपने आपको दिल्ली पुलिस का एसीपी बताया। साथ ही कहा कि वह दिल्ली के नेहरू प्लेस थाना में तैनात है।

उनके नाम पर नेहरू प्लेस थाना में मनी लाउंड्रिंग का एक मुकदमा दर्ज है। क्योंकि उनके पहचान पत्र पर निजी बैंक में करोड़ों रुपये जमा हुए हैं। पीड़िता के अनुसार आरोपियों ने उन्हें जांच में शामिल होने के लिए नेहरू प्लेस थाना बुलाया। लेकिन उन्होंने व्यस्त होने के चलते दूसरे दिन थाना पहुंचने की गुजारिश की।

इस पर आरोपी ने उन्हें कुछ सवाल-जवाब के लिए व्हाट्सऐप के वीडियो कॉल पर लिया और संपत्तियों के बारे में पूछा। पीड़िता के अनुसार उन्हें परिवार के साथ घूमने उत्तराखंड जाना था, इसलिए गुजारिश पर आरोपियों ने उन्हें व्हाट्सऐप पर किए वीडियो कॉल को बंदकर, ऑडियो चालू रखने को कहा। इस तरह से आरोपियों ने उन्हें करीब दस दिनों तक व्हाट्सऐप कॉल पर बनाए रखा।

आरोपी जांच में सहयोग के लिए रुपये मांग रहे थे

पीड़िता ने बताया कि आरोपी उनसे जांच में सहयोग करने के लिए रुपये मांग रहे थे। साथ ही कह रहे थे कि जांच के बाद उन रुपयों को वापस कर दिया जाएगा। ऐसे में पीड़िता ने शेयर बाजार में निवेश के अपने हिस्से को दूसरे के हाथों बेच दिया। इसके बाद शेयर बेचने से मिले रुपयों को अपने बैंक खाते में जमा रखा। लेकिन आरोपी उनपर उन रुपयों को भेजने का दबाव बना रहे थे।

पांच लाख रुपये का नुकसान

आरोपियों के कहने पर जब उन्होंने अपना शेयर बेचा, उसी दौरान शेयर बाजार में उछाल आ गया। इससे उन्हें करीब पांच लाख रुपये का नुकसान हो गया। पीड़िता का कहना है कि ठगी का आभास होते ही उन्होंने डीसीपी एनआईटी को मोबाइल फोन पर कॉल कर जानकारी दी। उन्होंने थाना आकर शिकायत देने की बात बताया।

छह महीने लगाने पड़े चक्कर

आरोपियों ने उन्हें करीब 11 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा था। 12 अगस्त-2024 को उन्होंने साइबर थाना में शिकायत देने के साथ नेशनल साइबर क्राइम ब्यूरो (एनसीसीबी) पर अपनी शिकायत दर्ज कराई। इस दौरान उन्होंने साइबर थाना एनआईटी से भी शिकायत दर्ज करने की मांग करती रही।

क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट में ठगों द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम ड्रग्स तस्करी, मनी लॉ्ड्रिरंग और मानव अंग की तस्करी के केस में आया है। ठग फर्जी अधिकारी बनकर पीड़ित को वीडियो कॉल से जोड़ते हैं। इसके बाद केस को रफादफा करने की बात कहकर पीड़ित के खाते से रुपये ट्रांसफर करा लेते हैं।

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