Hindi Newsएनसीआर न्यूज़फरीदाबादCyber Fraud Arrests 11 Accused in Multiple States Under Investigation

डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठगों से दस राज्यों की पुलिस पूछताछ करेगी

फरीदाबाद में 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, जिनसे बिहार, पश्चिम बंगाल, और अन्य राज्यों की पुलिस पूछताछ करेगी। आरोपियों ने फर्जी सिम कार्ड लेकर ठगी की थी और अब विदेश में सक्रिय जालसाजों की जानकारी...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादWed, 20 Nov 2024 11:47 PM
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फरीदाबाद। डिजिटल अरेस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार 11 आरोपियों से दस से अधिक राज्यों की पुलिस पूछताछ करेगी। पलवल की पुलिस ने इस बाबत बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों की पुलिस से आरोपियों की जानकारी साझा की है। साथ ही संबंधित मामलों में पूछताछ करने का आग्रह किया है। हरियाणा के अन्य जिलों की पुलिस भी पूछताछ करने की योजना बना रही है। साइबर अपराध थाना पलवल प्रभारी नवीन ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में से सात से पूछताछ की जा रही है, जबकि बाकी चार को जेल भेज दिया गया है। आरोपियों से बरामद बैंक खाता, सिम कार्ड आदि की जांच की जा रही है। जांच में समाने आया है कि झारखंड के जामतारा और अन्य कई राज्यों में सक्रिय जालसाज अब कम्बोडिया को अपना ठिकाना बना रहे हैं। वह कम्बोडिया पहुंचकर, वहां गैंग चला रहे चाइनीज नागरिक के साथ मिलकर ठगी का कारोबार रहे हैं। वीडियो कॉल करने पर पीड़ित के सामने सीबीआई, जीएसटी आदि अधिकारी बनकर पेश आते हैं। गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गई है।

विदेश में रह रहे आरोपियों के परिवार तक पहुंचेगी पुलिस : जानकारी के अनुसार पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से कम्बोडिया और अन्य देश में रह रहे जालसाज की जानकारी जुटा रही है। खासकर विदेश में रह रहे भारतीय जालसाज की का मूल पते की जानकारी जुटाकर उनके परिवार तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा है कि परिवार से आरोपियों को स्वदेश लौटने की अपील कराई जाएगी, जिससे उनकी गिरफ्तारी संभव हो सके। जानकारी के अनुसार पुलिस आरोपियों से पूछताछ के बाद विदेश मंत्रालयय को पत्र लिखेगी। पत्र में पुलिस कम्बोडिया और अन्य देशों में रह रहे उन साइबर ठगों की सूची सौंपेगी, जो विदेश में रहकर भारतीय नागरिक से ठगी कर रहे हैं या ठगी कर चुके हैं। इसके बाद उन आरोपियों की संबंधित देश की पुलिस की मदद से गिरफ्तारी संभव कराकर स्वेदश लाने का प्रयास किया जाएगा।

आरोपियों ने फर्जी पते पर लिया था सिमकार्ड

साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नवीन ने बताया कि आरोपियों से बरामद सिम कार्ड की जांच की जा रही है। इसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी मदद ली जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने सिम कार्ड फर्जी तरीके से टेलीकॉम कंपनियों से लिया था। पुलिस उन्हें सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाले टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों की पहचान कर गिरफ्तारी की योजना बना रही है।

पीड़ितों की संख्या और बढ़ सकती है : पुलिस के अनुसार आरोपियों से बरामद बैंक खाता संख्या, यूपीआई ऐप आदि की जांच की जा रही है। इस बाबत संबंधित बैंक से भी मदद ली जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि आरोपियों ने बैंक में खाता कैसे खुलावाया। बैंक खाता खुलवाने में सहयोग करने वाले बैंक कर्मचारियों-अधिकारियों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। आशंका है कि अन्य लोगों से भी ठगी की होगी।

चाइनीज जालसाज की हो रही पहचान

पुलिस के अनुसार देश में सक्रिय उन चाइनीज नागरिक की भी तलाश की जा रही है, जो साइबर ठगी में सक्रिय हैं। इस बाबत पलवल की पुलिस दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि देशभर की पुलिस से मदद ले रही है। गिरफ्तार आरोपियों से बरामद इनपुट को अन्य राज्यों की पुलिस अधिकारियों से साझा किया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है जल्द से जल्द पकड़ने की कोशिश रहेगी।

ठग लोगों से इस तरह करते हैं संपर्क

इंस्पेक्टर नवीन ने बताया कि आरोपी सोशल मीडिया से लोगों का डाटा जुटाते हैं। इसके अलावा वह सोशल मीडिया पर लोगों के प्रोफाईल की भी जांच कर करते हैं। सोशल मीडिया पर अपलोड फोटो-वीडियो से पीड़ितों के रहन सहन का आकलन किया जाता है। कई ऐसे होते हैं सोशल मीडिया पर अपना संपर्क नंबर भी अंकित किया रहता है। नहीं तो गैंग में सक्रिय हैकर की मदद से पीड़ितों के मोबाइल नंबर आदि जुटाया जाता है। फिर उन्हें ठगने की योजना बनाया जाता है।

आरोपी पीड़ितों को ऐसे कॉल करके डराते थे

पुलिस के अनुसार आरोपी कॉन्टैक्ट नंबर प्राप्त करने के बाद पीड़ित को फोन करते हैं। फोन करने के साथ ही कुरियर कंपनी के कर्मचारी, दिल्ली, मुंबई आदि पुलिस के क्राइम ब्रांच के अधिकारी, सीबीआई, जीएसटी, कस्टम आदि अधिकारी-कर्मचारी बनकर बात करते हैं। साथ ही पीड़ितों के नाम पर मनी लाउंड्रिंग, मानव तस्करी, मादक पदार्थ आदि विदेश भेजने का डर दिखाते हैं। फिर उच्चाधिकारियों से बात कराने का झांसा देकर कॉल ट्रांसफर करने की की बाते करते हैं। लेकिन वास्तव में वह कॉल ट्रांसफर नहीं करते।

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