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फरीदाबाद मंडल की 12 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला

फरीदाबाद में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। इनेलो के कमजोर होने से कांग्रेस को मेवात क्षेत्र में फायदा मिल रहा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है। निर्दलीय...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादSat, 14 Sep 2024 11:33 PM
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फरीदाबाद मंडल, सरसमल। फरीदाबाद मंडल की सभी बारह विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इनेलो में दो फाड़ के बाद जजपा के बनने से मतदाता अलग-अलग रुख कर रहे हैं। मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा को इसका फायदा होता दिख रहा है। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे भी इसकी तस्दीक करते हैं। इसमें वर्ष 2019 के चुनाव के मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है। राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि  इनेलो के कमजोर होते ही उसके वोट बैंक का बड़ा हिस्सा कांग्रेस को मिल रहा है।

इनेलो के कमजोर होने का मेवात में कांग्रेस को फायदा

हरियाणा में इनेलो में विभाजन और कमजोर स्थिति ने कांग्रेस को खासतौर पर मेवात क्षेत्र में फायदा पहुंचाया है। दरअसल, वर्ष 2004, 2009 और 2014 तक मेवात इलाके में इनेलो का दबदबा था। इनेलो के विधायक बनते रहे हैं, लेकिन अब जजपा के अलग होने और इनेलो की गिरावट से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई का मौका बन गया है। मेवात की चार प्रमुख सीटों नूंह, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका और हथीन पर कांग्रेस मजबूत दिख रही है। हालांकि नूंह  विधानसभा से मेवात के दिग्गज नेता जाकिर हुसैन के बेटे ताहिर हुसैन इनेलो-बसपा की टिकट पर मैदान में उतरे हैं। उनका भी असर दिख रहा है। हालांकि इसी सीट से भाजपा की टिकट पर जाकिर हुसैन चुनाव लड़ चुके हैं, वह दूसरे नम्बर पर रहे। कांग्रेस के उम्मीदवार आफताब अहमद ने यहां जीत दर्ज की थी। रणनीति के जानकारों का कहना है कि इनेलो के घटे जनाधार को वापस लाने के लिए ताहिर हुसैन को काफी मेहनत करनी होगी। भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर उनके बागी होने से भाजपा के मतदाता उनसे खिसक सकते हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे भी इसकी तस्दीक करते हैं कि मेवात की सीटों पर कांग्रेस मजबूत दिख रही है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में नूंह, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे, जबकि हथीन की सीट भाजपा के खाते में गई।

निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं समीकरण

बल्लभगढ़, तिगांव, पृथला और पुन्हाना जैसी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा का कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। मैदान में खड़े अधिकांश निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए हैं। अपनी-अपनी विधानसभा सीटों पर इनका अपना जनाधार है। बल्लभगढ़ सीट से कांग्रेस से बागी हुई पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर, तिगांव सीट पर कांग्रेस से बागी हुए पूर्व विधायक ललित नागर, पृथला सीट पर भाजपा से बागी हुए निवर्तमान विधायक नयनपाल रावत और पुन्हाना सीट से रहीशा खान का भी अपना जनाधार है। हथीन से भाजपा की टिकट नहीं मिलने पर पूर्व विधायक केहर सिंह चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि निर्दलीय उम्मीदवार इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं, जिससे चुनावी परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं। इससे मुकाबला और भी कड़ा हो सकता है, और चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।

लोकसभा चुनाव परिणामों का असर

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र की सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के नतीजे आगामी विधानसभा चुनावों में मतदाताओं के रुझान को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं। फरीदाबाद लोकसभा चुनाव के नतीजों के आंकड़ों पर गौर करें तो भाजपा को 53.92 प्रतिशत और कांग्रेस को 42.10 प्रतिशत वोट मिले थे, जो विधानसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति को तय करेंगे।

लोकसभा चुनाव में हथीन, होडल और पृथला में कांग्रेस का रहा दबदबा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में हथीन, होडल, पलवल और पृथला क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा से बेहतर नजर आ रहा है। इन चारों विधानसभा क्षेत्रों के चुनावी नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस को अधिक वोट मिले, जबकि भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा। हथीन विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,64,525 वोट पड़े थे। इनमें भाजपा को 32.14 फीसदी वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 63.58 फीसदी वोट प्राप्त हुए। यहां कांग्रेस का प्रदर्शन काफी मजबूत रहा और भाजपा को भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार होडल में कुल 1,29,674 मतदाताओं ने वोट डाले। भाजपा को 47.65 फीसदी और कांग्रेस को 48.09 फीसदी वोट मिले। पलवल विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,74,019 वोट पड़े। भाजपा को 54.48 फीसदी वोट प्राप्त हुए, जबकि कांग्रेस को 40.14 फीसदी वोट मिले। यहां भाजपा ने कांग्रेस को हराया, लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी कम नहीं रहा।

पृथला में कुल 1,51,131 मतदाताओं ने वोट डाले। इसमें भाजपा को 42.97 फीसदी और कांग्रेस को 46.97 फीसदी वोट प्राप्त हुए। यहां कांग्रेस भाजपा से आगे रही, हालांकि अंतर ज्यादा नहीं था। इनके अलावा बड़खल, बल्लभगढ़, तिगांव, फरीदाबाद, एनआईटी फरीदाबाद सीट पर भाजपा उम्मीदवार ने कांग्रेस के उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया। मुकाबला कण दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच ही रहा। राजनीति के जानकारों का कहना है कि वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2024 के लोकसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी सुधरा है। इस वजह से दोनों दलों में  विधानसभा चुनावों में भी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।

मेवात में कांग्रेस का मजबूत किला

नूंह, पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका जैसी सीटों पर कांग्रेस का वर्चस्व स्पष्ट दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यहां इनेलो के कमजोर होने से कांग्रेस को जबरदस्त समर्थन मिला है। इसी साल हुए।लोकसभा चुनाव में नूंह सीट पर कांग्रेस को 72 फीसदी और भाजपा को केवल 22 फीसदी वोट मिले थे। पुन्हाना में कांग्रेस को 84 फीसदी और भाजपा को 12 फीसदी वोट मिले थे। फिरोजपुर झिरका में कांग्रेस को 79 फीसदी और भाजपा को मात्र 16 फीसदी वोट मिले थे।

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