Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Fake Pharmacy Registration scam gang was offering package to become a pharmacist for Rs 4 lakh

4 लाख में फार्मासिस्ट बनाने का पैकेज, DPC के पूर्व रजिस्ट्रार सहित 48 लोगों से पूछताछ में बड़ा खुलासा

दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने फर्जी फार्मेसी रजिस्ट्रेशनों की जांच के बाद गिरफ्तार दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह सहित 48 लोगों से पूछताछ के बाद बड़ा खुलासा किया है। दलाल चार लाख रुपये में फार्मासिस्ट बनने का पैकेज दे रहे हैं।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानFri, 25 April 2025 07:02 AM
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4 लाख में फार्मासिस्ट बनाने का पैकेज, DPC के पूर्व रजिस्ट्रार सहित 48 लोगों से पूछताछ में बड़ा खुलासा

दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने फर्जी फार्मेसी रजिस्ट्रेशनों की जांच के बाद गिरफ्तार दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह सहित 48 लोगों से पूछताछ के बाद बड़ा खुलासा किया है। दलाल चार लाख रुपये में फार्मासिस्ट बनने का पैकेज दे रहे हैं।

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की जांच में सामने आया है कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में बड़ी संख्या में ऐसे दलाल सक्रिय है, जो अनपढ़ को भी चार लाख रुपये में मैट्रिक का सर्टिफिकेट, फार्मेसी का डिप्लोमा और फार्मेसी रजिस्ट्रेशन नंबर तक उपलब्ध करवा रहे हैं। इस घोटाले में दलालों के साथ डीपीसी के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह और कई कॉलेजों के मालिक भी शामिल हैं। पुलिस इस मामले में उनकी तलाश कर रही है। 4,900 से अधिक रजिस्ट्रेशन जांच के दायरे में हैं।

ऐसे काम करता है गिरोह : एसीबी की जांच में समाने आया है कि दलाल इस गिरोह को चलाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। गिरफ्तार किए गए दलाल संजय कुमार ने बताया कि वह ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं, जो पढ़े लिखे नहीं हैं और फार्मेसी की दुकान पर काम करते थे। ऐसे लोगों को अपनी फार्मेसी की दुकान खोलने का लालच देकर वह उन्हें फंसाते हैं। उसके बाद 4 लाख से 8 लाख रुपये तक का सौदा तय किया जाता है।

इस सौदे में मैट्रिक सर्टिफिकेट से लेकर फार्मेसी की पढ़ाई का डिप्लोमा और फिर दुकाल खोलने के लिए आवश्यक दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) का पंजीकरण नम्बर तक दिया जाता है। संजय कुमार ने बताया कि दिल्ली फार्मेसी काउंसिल आवेदकों के दस्तावेजों को कॉलेज से ई-मेल के जरिए वेरिफाई करता है। दस्तावेज सत्यापित होने के बाद रजिस्ट्रार रजिस्ट्रेशन जारी करने से पहले एक इंटरव्यू आयोजित करता है। संजय और उसके सहयोगियों ने इसका फायदा उठाया। उन्होंने काउंसिल और कॉलेज में अपने जानकारों की मदद ली। आवेदकों के दस्तावेज सत्यापित करवाने के लिए प्रिंसिपल ने उनकी मदद की, जबकि काउसिंल में इंटरव्यू के दौरान आवेदकों को रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह के सामने पेश होना पड़ता है। आवेदकों से अक्सर नमक या पानी के रासायनिक सूत्र जैसे बुनियादी सवाल पूछे जाते थे, जिसके बाद उन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया जाता था।

रोहिणी में तैयार होते थे फर्जी दस्तावेज : आरोपी संजय रोहिणी में एक प्रिंटर के पास जाकर फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। दस्तावेज छपने के बाद उन्हें पंजीकरण के लिए डीपीसी की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता था। उसके बाद कॉलेज को उनकी जानकारी दी जाती थी। डीपीसी की ओर से ई-मेल के लिए दस्तावेज वेरिफाई होने के बाद रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया जाता था। एक आवेदक से चार लाख रुपये लिए जाते थे। जिसमें से 1.5 लाख रुपये कथित तौर पर रजिस्ट्रार को दिए जाते थे।

ऐसे चल रहा था रिश्वत और फर्जी डिग्री का खेल

1. आरोपी के पास योग्यता नहीं थी : आरोपी फार्मेसी की दुकान खोलना चाहता था। उसने 10वीं तक पढ़ाई भी नहीं की है। दलाल को चार लाख रुपये देकर फर्जी मैट्रिक सर्टिफिकेट और डिप्लोमा बनवाया था।

2. प्रिंटर की मदद से जाली दस्तावेज बनाए : दलाल संजय कुमार ने मंडल के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा के जाली सर्टिफिकेट और फार्मेसी डिप्लोमा की व्यवस्था की। आरोपी ने प्रिंटर के जरिये दस्तावेज बनवाए थे। इन दस्तावेजों में दावा किया गया कि आवेदक ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।

3. डीपीसी को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन भेजा : आरोपियों ने रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) की वेबसाइट पर जाली दस्तावेज अपलोड किए गए थे।

4. फर्जी कॉलेज से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन : आरोपी ने डीपीसी की ओर से निर्धारित वेरिफिकेशन सिस्टम का फायदा उठाया। दलालों ने इमलाख खान (बाबा इंस्टीट्यूट, मुजफ्फरनगर) जैसे प्रिंसिपल को रिश्वत देकर वेरिफिकेशन के लिए ई-मेल सत्यापन भेजे थे।

5. इंटरव्यू के बाद रजिस्ट्रेशन को मंजूरी : आवेदकों को डीपीसी रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह के पास ले जाया गया, जिन्होंने एक इंटरव्यू लिया और रजिस्ट्रेशन को मंजूरी दी।

6. बिना फार्मेसी की पढ़ाई के ही सर्टिफिकेट जारी : आवेदकों से अक्सर नमक या पानी के रासायनिक सूत्र जैसे बुनियादी सवाल पूछे जाते थे, जिसके बाद उन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया जाता था।

ऐसे हुआ पर्दाफाश : यह घोटाला जनवरी 2023 में सामने आया था, जब दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कुलदीप सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस ममाले में अब तक 48 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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