दिल्ली में अतिक्रमण पर लगेगी लगाम, 550 किलोमीटर का ड्रोन सर्वे पूरा; MCD-DDA को मिली अवैध निर्माण की तस्वीरें
दिल्ली में यमुना के किनारे कितनी अवैध कॉलोनियां हैं इसका पता लगाने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया ने पहले चरण में लगभग 550 वर्ग किलोमीटर या शहर के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से का ड्रोन सर्वे पूरा कर लिया है। इसकी तस्वीरें दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम के साथ शेयर की हैं।
दिल्ली में यमुना के किनारे कितनी अवैध कॉलोनियां हैं इसका पता लगाने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया ने पहले चरण में लगभग 550 वर्ग किलोमीटर या शहर के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से का ड्रोन सर्वे पूरा कर लिया है। इसकी तस्वीरें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के साथ शेयर की हैं। सर्वे में पूरे यमुना ओ जोन की तस्वीरें हैं, जो लगभग 97 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां 66 अनधिकृत कॉलोनियां हैं।
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी अब लगभग 111 वर्ग किलोमीटर वाले मॉर्फोलॉजिकल रिज का ड्रोन सर्वे करने की प्रक्रिया में है। इन तस्वीरों से डीडीए की जमीन पर अतिक्रमण की पहचान करने, रिहायशी इलाकों में बनी इमारतों के स्ट्रक्चर और मंजिलों की संख्या निर्धारित करने और राजस्व रिकॉर्ड से सत्यापन के बाद अतिक्रमण हटाने में मदद मिलेगी। ये तस्वीरें नियमित अंतराल पर नए अतिक्रमणों की निगरानी करने में भी उपयोगी होंगी।
अधिकारियों के अनुसार, डीडीए भूमि की पहचान करने और यह निर्धारित करने के लिए कि जमीन अतिक्रमण मुक्त है या नहीं, ड्रोन द्वारा ली गई तस्वीरों पर कैडस्ट्रल (खसरा) मैप लगाएगा। एक अधिकारी ने कहा, 'हम पूरे साल नियमित अंतराल पर डीडीए की भूमि पर नए अतिक्रमणों की निगरानी भी करेंगे। हमें सर्वे ऑफ इंडिया से ओ जोन के खसरा लेयर्स की फाइलें मिलीं, और उन्हें क्षेत्र के मैप पर लगाया गया है। रिकॉर्ड से डीडीए और निजी खसरों के सत्यापन की टेबल-टॉप एक्सरसाइज पूरी हो गई है'
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, 'अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन सर्वे की शुरुआत एलजी वीके सक्सेना द्वारा लगातार लैंड की जमीनी स्थिति को समझने की ज़रूरत पर जोर दिए जाने के बाद की गई थी। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से तीनों एजेंसियों को एक साथ आने और समझौते पर हस्ताक्षर करने की निगरानी की। अधिकारी ने कहा, 'इस मामले को विभिन्न अदालतों ने भी उठाया था, जिन्होंने जमीन के मालिकाना हक वाली एजेंसियों को जमीन की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीकी समाधान अपनाने का निर्देश दिया था।'
प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, ड्रोन सर्वे हाई रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें देगा और स्ट्रक्चर और खसरा लेयर्स की सटीक सीमा निर्धारण में मदद करेगा। अधिकारी ने बताया, 'परियोजना के हिस्से के रूप में, वर्टिकल अतिक्रमणों की पहचान करने के लिए डेटा एलिवेशन मॉडल का उपयोग किया जा रहा है। यह अतिक्रमणों पर रीयल टाइम डेटा देने में मदद करेगा, जिससे अधिकारियों को शुरुआती चरण में ही अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई करने का मौका मिलेगा।'