दिल्ली विधानसभा भवन को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की तैयारी, 113 साल पुरानी इमारत का क्या इतिहास
दिल्ली विधानसभा भवन को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिल सकता है। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने 113 साल पुरानी इमारत को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए बैठकें शुरू कर दी हैं।

दिल्ली विधानसभा भवन को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिल सकता है। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने 113 साल पुरानी इमारत को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए बैठकें शुरू कर दी हैं। बीते शुक्रवार को भी अफसरों के साथ बैठक हुई थी।
गुप्ता ने कहा कि वह जल्द ही इसका प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत से मुलाकात करेंगे। इसके बाद एएसआई को आगे की कार्यवाही के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलने के बाद विधानसभा भवन परिसर के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। उसके संरक्षण काम ज्यादा बेहतर तरीके से होगा। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि विधानसभा भवन राष्ट्रीय धरोहर घोषित होने के बाद विशेष दिन जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या फिर सप्ताह में एक-दो दिन आम लोगों के विजिट के लिए खुला रहेगा। दिल्ली विधानसभा परिसर में एक फांसी घर मिला है। 2016 में सुरंग का पता लगने के बाद फांसी घर की भी बात सामने आई थी।
1912 बनकर तैयार हुई थी इमारत : अलीपुर रोड पर विधानसभा भवन साल 1911 में बनकर तैयार हुआ था। 1912 में जब देश की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया तो इस भवन को केन्द्रीय विधानसभा के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसे बनाने वाले आर्किटेक्ट मॉन्टेग्यू थॉमस थे। इमारत चंद्रावल गांव की जमीन पर बनी है। स्थानीय लोगों को जमीन के बदले किरोड़ीमल कॉलेज के पास जगह दी गई थी।
परिसर में संग्रहालय बनाया जाएगा
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि 100 साल से अधिक पुरानी इस इमारत को नेशनल हेरिटेज का दर्जा दिलाने का मकसद इसका संरक्षण सुनिश्चित करना है। राष्ट्रीय विरासत का दर्जा मिलने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इसमें कामकाज बंद हो जाएगा। अवकाश वाले दिन आम लोग इस परिसर में घूम सकेंगे। परिसर में एक संग्रहालय भी बनाया जाएगा, इसमें इमारत से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध होगी। परिसर को 100 फीसदी सौर ऊर्जा के प्रयोग का लक्ष्य रखा है। सदन को आधुनिक सुविधाओं से भी लैस किया जाएगा।