दिल्ली-NCR के स्कूलों को मिली बम से उड़ाने की धमकी, बच्चों को भेजा वापस; मौके पर पुलिस
Delhi-NCR School Bomb Threat: दिल्ली और नोएडा में स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली के द्वारका स्थित निजी स्कूल को शमिवार सुबह बम से उड़ाने की धमकी मिलने से हड़कंप मच गया है। वहीं नोएडा में धमकी के बाद बच्चों को वापस भेजा गया।
दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली के द्वारका इलाके में स्थित एक निजी स्कूल को शनिवार सुबह बम से उड़ाने की धमकी मिलने से हड़कंप मच गया। इसके बाद नोएडा सेक्टर-126 स्थित लोटस ब्लू वर्ल्ड को भी धमकी मिली है। जिसके बाद स्कूल ने बच्चों को घर वापस भेज दिया गया। वहीं अब फरीदाबाद के सेक्टर-81 स्थित डीपीएस स्कूल को धमकी मिली है। इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम मौके पर मौजूद है। पुलिस डॉग स्क्वॉड के साथ स्कूल परिसर की जांच कर रही है। क्लासिस को ऑनलाइन मोड में शिफ्ट कर दिया गया है।
यह इस हफ्ते दी गई दूसरी धमकी है। इससे पहले 17 दिसंबर को दक्षिणी जिले के इंडियन पब्लिक स्कूल को मंगलवार सुबह बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। इसके बाद मामले की सूचना पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को दी गई। सूचना पर दमकल विभाग के कर्मचारी, बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वॉड की टीम मौके पर पहुंची और स्कूल के हर हिस्से की जांच की। हालांकि, जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। पुलिस के मुताबिक, स्कूल को सुबह ई-मेल के जरिए धमकी मिली। तभी विद्यालय प्रबंधन की तरफ से पुलिस समेत अन्य संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को इसकी सूचना दी गई।
9 दिसंबर से शुरुआत
स्कूलों को धमकी भरा ई-मेल भेजने की शुरुआत नौ दिसंबर से हुई थी। इस दिन 44 स्कूलों को ई-मेल मिले थे। इसके बाद 13 दिसंबर को करीब 30 स्कूलों को धमकी मिली थी, जबकि 14 दिसंबर को डीपीएस आरके पुरम सहित आठ स्कूलों को ठीक वैसा ही एक ई-मेल भेजा गया था। इसके बाद सोमवार को भी स्कूलों को धमकी दी गई थी। फिर 17 दिसंबर को उड़ाने की धमकी दी गई। शनिवार 20 दिसंबर को एक बार फिर धमकी दी गई है। कुल मिलाकर यह सिलसिला रुकता हुआ नजर नहीं आ रहा।
8 हफ्ते के अंदर एसओपी बनाएं
19 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस को बम धमकियों और उससे संबंधित आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) सहित एक व्यापक कार्य योजना विकसित करने का निर्देश दिया था। अदालत ने इन निर्देशों को पूरा करने के लिए आठ हफ्ते की समय सीमा तय की है।