दिल्ली में साइबर सेल के पुलिस कर्मी गलत ढंग से फ्रीज कर रहे थे बैंक खाते, विजिलेंस जांच में पुष्टि
विजिलेंस की जांच में दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर सेल में दिल्ली पुलिस कर्मियों की ओर से वर्ष 2022 में की गई गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। आरोपी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के लिए विजिलेंस टीम की ओर से जांच रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी गई है।
विजिलेंस की जांच में दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर सेल में दिल्ली पुलिस कर्मियों की ओर से वर्ष 2022 में की गई गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। आरोपी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के लिए विजिलेंस टीम की ओर से जांच रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी गई है।
रिपोर्ट में पता चला है कि जांच अधिकारी और तत्कालीन एसएचओ ने अवैध तरीके से ऐसे बैंक खाते फ्रीज और डी-फ्रीज किए जिनमें ठगी के करोड़ों रुपये थे। इतना ही नहीं एक ऐसे बैंक खाते को भी फ्रीज किया गया, जिसमें छह करोड़ रुपये थे। उस खाते का केस से कोई संबंध भी नहीं था।
समय रहते जांच नहीं की गई : विजिलेंस ने वर्ष 2023 में दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर सेल के नौ मामलों की जांच की थी, जिनमें 12 बैंक खाते शामिल थे। सात बैंक खाते ऐसे मिले हैं, जिनमें ठगी की रकम आती थी। इस रकम को कुछ ही देर में निकाल लिया जाता था या किसी दूसरे बैंक खाते में भेज दिया जाता था। विजिलेंस ने रिपोर्ट में बताया है कि जांच अधिकारी और तत्कालीन एसएचओ इन बैंक खातों की समय रहते सही से जांच करते तो कई गिरोह का खुलासा हो सकता था। लोगों को उनसे ठगी गई रकम वापस मिल सकती थी।
बैंक खाता धारकों पर दबाव डाला गया
रिपोर्ट में बताया गया है कि दो सब-इंस्पेक्टर और तत्कालीन साइबर थानाध्यक्ष ने छह मामलों की जांच ठीक से नहीं की है। बैंक खाता धारकों पर अवैध तरीके से दबाव डाला गया ताकि वह साइबर थाने में संपर्क करें, जो भ्रष्टाचार के लिए हो सकता है। साउथ कैंपस थाना पुलिस ने एक मामले में साइबर थाने से तकनीकी मदद मांगी गई तो एसएचओ ने किसी प्रकार की जानकारी देने के बजाय दो बैंक खातों को फ्रीज करवा दिया, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं था। इनमें से एक बैंक खाते में छह करोड़ रुपये थे।
नियमों का उल्लंघन किया
आरोपियों से संबंधित सुराग तलाशने की जगह जांच अधिकारियों ने बैंक खातों को फ्रीज करने और बाद में उसे डी-फ्रीज करने पर जोर दिया, जो उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता। जांच में सामने आया कि पुलिस ने जिन बैंक खातों को डी-फ्रीज किया है, उनका सत्यापन तक नहीं किया गया। साइबर अपराध के मामलों की जांच के लिए तय किए गए नियमों का भी पुलिस ने उल्लंघन किया है। विजिलेंस जांच में इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि इन बैंक खातों के जरिये 500 करोड़ रुपये की ठगी हुई है, क्योंकि एक सीमित समय अवधि की ही विजिलेंस ने जांच की है।