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दृश्यम देख बनाया प्लान, नोएडा में रेलवे ठेकेदार को पुलिसवाले ने ही मार डाला; बहुत लगाया दिमाग

ग्रेटर नोएडा पुलिस ने करीब 10 दिन से लापता रेलवे के ठेकेदार की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस के निलंबित सिपाही को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों के बीच फ्लैट को लेकर विवाद चल रहा था। इसी के चलते हत्या को अंजाम दिया गया।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, ग्रेटर नोएडाSat, 24 Aug 2024 11:46 AM
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ग्रेटर नोएडा के सेक्टर अल्फा-2 की गोल्फ विस्टा अपार्टमेंट सोसाइटी से करीब 10 दिन पहले लापता रेलवे के ठेकेदार की हत्या कर दी गई। पुलिस ने मामले का खुलासा कर हत्यारोपी दिल्ली पुलिस के निलंबित सिपाही को गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा है कि सिपाही ने फ्लैट के विवाद में घटना को अंजाम दिया और शव को छिपा दिया। पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर शव बरामद किया। पुलिस ने घटना में इस्तेमाल हथौड़ा और कार बरामद कर ली।

ग्रेटर नोएडा के डीसीपी साद मियां खान ने शुक्रवार को बताया कि सेक्टर अल्फा-2 की गोल्फ विस्टा अपार्टमेंट सोसाइटी में अंकुश शर्मा परिवार के साथ रहते थे। वह रेलवे में ठेकेदारी करते थे। उनका प्रॉपर्टी डीलिंग का भी काम था। वह नौ अगस्त की दोपहर घर से निकले, लेकिन वापस नहीं लौटे। परिजनों ने 10 अगस्त को सेक्टर बीटा-2 कोतवाली में अंकुश शर्मा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।

पुलिस ने परिवार से पूछताछ की तो पता चला कि वह एसकेए सोसाइटी में रहने वाले दिल्ली पुलिस के निलंबित सिपाही के साथ गए थे। पुलिस ने शक के आधार पर प्रवीण को हिरासत में लिया। उससे पूछताछ की गई तो उसने अंकुश शर्मा की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के निशानदेही पर एलजी गोल चक्कर के समीप झाड़ियों से अंकुश शर्मा का शव बरामद किया।

खरीदे गए फ्लैट कीमत बढ़ाने पर घटना को अंजाम दिया

पुलिस ने बताया कि मूलरूप से मेरठ के मोहल्ला मार्क पुरिया कस्बा बहसूमा का रहने वाला प्रवीण एसकेए सोसाइटी में परिवार के साथ रहता है। प्रवीण वर्ष 2004 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुआ था, लेकिन गैर हाजिर होने की वजह से वह फिलहाल निलंबित चल रहा था। पुलिस पूछताछ में आरोपी प्रवीण ने बताया कि प्रॉपर्टी डीलर संचित शर्मा के जरिए उसकी मुलाकात अंकुश शर्मा से हुई थी। अंकुश का एसकेए सोसाइटी में एक फ्लैट है, जिसे खरीदने के लिए प्रवीण का अंकुश के साथ एक करोड़ बीस लाख रुपये में सौदा तय हुआ था।

पुलिस के मुताबिक प्रवीण ने बतौर बयान अंकुश शर्मा को आठ लाख रुपये दे दिए। फ्लैट प्रवीण के नाम ट्रांसफर भी हो चुका था। रजिस्ट्री का समय नजदीक आया तो अंकुश शर्मा कनाडा चला गया। इसके बाद अंकुश शर्मा के वापस लौटने पर आरोपी प्रवीण ने फ्लैट की रजिस्ट्री करने के लिए कहा। इस बीच अंकुश शर्मा ने 20 लाख रुपये और बढ़ाकर देने के लिए कहा, लेकिन आरोपी प्रवीण ने और रुपये देने से मना कर दिया। इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ और फ्लैट की रजिस्ट्री अटक गई। इसके बाद उसने हत्या की वारदात को अंजाम देने की साजिश रची।

आरोपी ने दृश्यम फिल्म देखकर वारदात की

पुलिस के मुताबिक फ्लैट को लेकर चल रहे विवाद के चलते आरोपी प्रवीण ने अंकुश शर्मा की हत्या की साजिश रची। इसके लिए उसने दृश्यम फिल्म के अलावा कई वेब सीरीज देखीं। इसके बाद उसने नौ अगस्त को रुपये देने के बहाने अंकुश शर्मा को फोन करके बुलाया। प्रवीण ने अंकुश को अपनी कार में बैठा लिया और उसे नशीला पदार्थ मिलाकर एक लस्सी पिला दी। अंकुश के बेहोशी की हालत में होने पर आरोपी उसे अपनी सोसाइटी के बेसमेंट की पार्किंग में ले गया। यहां उसने कार में हथौड़े से सिर पर वार कर अंकुश की हत्या कर दी। इसके बाद दूसरे दिन सुबह के समय शव एलजी गोल चक्कर से आगे जंगल में झाड़ियां में ले जाकर छिपा दिया।

ठेकेदार के मोबाइल से मैसेज किए

आरोपी प्रवीण ने पुलिस से बचने के लिए ठेकेदार अंकुश शर्मा की हत्या करने के बाद उसके मोबाइल का इस्तेमाल किया। उसके वकील को एक ई-मेल किया की प्रवीण ने पूरा पैसा दे दिया है। जल्द रजिस्ट्री करवानी है। इसके बाद अंकुश की पत्नी और नौकर को मैसेज किया कि मैं परेशान होकर घर से जा रहा हूं। मुझे तलाश मत करना। इसके अलावा गूगल पर नेपाल की लोकेशन सर्च की, ताकि पुलिस को मोबाइल का डाटा खंगालने पर लगे कि अंकुश नेपाल चला गया। इसके अलावा भी उसने खुद को बचाने के लिए कई पैंतरे आजमाए।

सबूत मिटाने के लिए कार की धुलाई कराई

घटना में आरोपी प्रवीण का नाम सामने आने के बाद फॉरेंसिक टीम द्वारा उसकी कार की जांच की गई। फॉरेंसिक टीम को कुछ अहम सबूत हाथ लगे, जिनका मिलान कराया गया। कार में अंकुश का खून फैल गया था। हालांकि, उसने सर्विस स्टेशन पर जाकर कार को धुलवाया था। सर्विस स्टेशन पर कार की धुलाई करने वाले ने पूछा था कि कार में खून कैसे आ गया तो उसने बताया कि उसके बेटे के सिर में चोट लग गई थी, जिससे खून फैल गया, लेकिन कुछ खून के धब्बे कार में रह गए थे।

शव को ठिकाने लगाने का स्थान भी पहले से चिह्नित कर रखा था

पुलिस के मुताबिक आरोपी प्रवीण ने शव को ठिकाने लगाने के लिए स्थान भी पहले ही चिह्नित कर लिया था। वह उस लोकेशन पर करीब एक सप्ताह तक लगातार गया था, ताकि पुलिस को यह लगे कि वह यहां पहले भी जा चुका है। इसके बाद उसने शव को ठिकाने लगाया था।

मोबाइल की कॉल डिटेल से सुराग मिला

डीसीपी साद मियां खान ने बताया कि पुलिस को इस घटना का खुलासा करने के लिए 10 दिन मेहनत करनी पड़ी। सेक्टर बीटा-2 कोतवाली पुलिस के अलावा स्वाट टीम और सर्विलांस टीम को लगाया गया। फॉरेंसिक और डॉग स्क्वाड टीम की भी मदद ली गई। अंकुश शर्मा के घर और ऑफिस के आसपास के क्षेत्र के करीब 200 से अधिक सीसीटीवी की फुटेज और मोबाइल का डाटा खंगाला गया। इसके बाद पुलिस को सफलता हाथ लगी।

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