अपराधियों के लाइफस्टाइल का असर, दिल्ली में 17000 से ज्यादा पर FIR; पुलिस ने पैरेंट्स को क्या दी सलाह
दिल्ली पुलिस ने इस साल 15 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी के तीन जिलों और दिल्ली मेट्रो तथा रेलवे में पहली बार अपराध करने वाले 17,400 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस ने इस साल 15 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी के तीन जिलों और दिल्ली मेट्रो तथा रेलवे में पहली बार अपराध करने वाले 17,400 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली है। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत जवाब में, दिल्ली पुलिस ने कहा कि उत्तरी दिल्ली, रोहिणी, पश्चिमी दिल्ली, रेलवे और दिल्ली मेट्रो में कुल 17,404 लोगों के खिलाफ पहली बार अपराध करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया।
आंकड़ों के अनुसार, उत्तरी दिल्ली में 3,486 लोगों पर पहली बार मामला दर्ज किया गया, जबकि रोहिणी में 5,089 लोगों पर, जबकि पश्चिमी जिले में 8,123 लोगों पर, दिल्ली मेट्रो में 420 लोगों पर और रेलवे में 286 लोगों पर पहली बार मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने बताया कि 2023 में 1.50 लाख से ज्यादा लोग पहली बार अपराध के मामलों में पकड़े गए। वहीं, 2022 में ऐसे 1.49 लाख से ज्यादा लोग पकड़े गए।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहली बार अपराध के मामले आमतौर पर शराब, मादक पदार्थ, झगड़े और दूसरे छोटे-मोटे अपराध के होते हैं। हालांकि, कई मामलों में ये अपराध गंभीर अपराधों में बदल सकते हैं। अधिकारी ने कहा, 'हमने पहली बार अपराध करने वाले ऐसे कई लोगों से पूछताछ की है, जो या तो आपराधिक गिरोहों द्वारा काम पर रखे जाते हैं या फिर फिल्मों से प्रभावित हैं, जहां वे अपराधियों की शानदार जीवनशैली देखते हैं। पहली बार अपराध करने वाले ऐसे लोग भी शानदार जीवन जीना चाहते हैं।'
पुलिस अधिकारी ने कहा कि कई युवा साइबर अपराध में भी शामिल होते हैं और वे फर्जी आईडी बनाकर लोगों को परेशान करते हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस टीम ने कई ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने पहली बार अपराध किया है और गिरोह के सदस्यों की लाइफस्टाइल देखकर वे साइबर क्राइम गैंग में शामिल हो गए। कई युवा केवल सुपर बाइक, कार और महंगे जूते खरीदने के लिए लोगों को ठगना शुरू कर देते हैं।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि बच्चों की परवरिश एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा, 'पहली बार अपराध करने वाले ज्यादातर लोग 17 से 30 साल की उम्र के होते हैं। यह उम्र बहुत नाजुक होती है और बच्चों की परवरिश एक महत्वपूर्ण कारक है। बड़ों या माता-पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।'