लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर रंगदारी मांगने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दिल्ली पुलिस ने 4 को दबोचा
दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में डॉक्टरों से लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर रंगदारी मांगने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना यूपी के गांव का प्रधान है। गिरोह पहले मोबाइल टावर के नाम पर लोगों से ठगी करता था।
दिल्ली पुलिस ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर उगाही करने के आरोप में चार आरोपियों को दबोचा है। यूपी के मैनपुरी के एक ग्राम प्रधान समेत गिरोह के चार बदमाश दबोचे गए हैं। इन पर गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सहयोगी बनकर दिल्ली के डॉक्टरों से पैसों की उगाही करने का आरोप है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि यह गिरोह पहले लोगों की संपत्तियों पर मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी करता था।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान ऋषि शर्मा, अरुण वर्मा, सबल सिंह और हर्ष के रूप में हुई है। गिरोह का सरगना सबल सिंह मैनपुरी का 'ग्राम प्रधान' है। हर्ष पहले एक स्ट्रीट वेंडर था लेकिन अब उसके पास कई लग्जरी कारें हैं। दीप चंद बंधु अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिमेष की ओर से उत्तर पश्चिमी जिले के भारत नगर थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
डॉ. अनिमेष ने अपनी शिकायत में कहा कि 10 जनवरी को उन्हें लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से एक धमकी भरा पत्र मिला। इस लेटर में रंगदारी को एक खास बैंक खाते में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। पुलिस उपायुक्त भीष्म सिंह ने बताया कि इसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के लिए बाकायदा एक टीम गठित की गई। आरोपियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कई ऑपरेशन चलाए गए।
जांच की शुरुआत खाते की छानबीन से हुई। पुलिस ने सबसे पहले पत्र में बताए गए बैंक खाते का पता लगाया। यह बैंक खाता गाजियाबाद के अरुण वर्मा का था। पुलिस ने 38 साल के ई-रिक्शा चालक अरुण को पकड़ा। उसने कमीशन के बदले गिरोह के लिए कई बैंक खाते खोलने की बात कबूल की। दूसरा ऑपरेशन निगरानी संबंधी था। जांच में पता चला कि खाते से लेन-देन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोनी रोड पर एक शराब की दुकान पर खरीदारी से जुड़े थे।
सीसीटीवी फुटेज को स्कैन करने के बाद, पुलिस टीम ने एक प्रमुख संदिग्ध ऋषि शर्मा की पहचान की। संदिग्ध ऋषि शर्मा खरीदारी कर रहा था। ऋषि को बाद में पूर्वी दिल्ली के गोकलपुर इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ के दौरान उसने दो पुराने सहयोगियों सबल और हर्ष की संलिप्तता का खुलासा किया। टीम ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड की मदद से मैनपुरी के ग्राम प्रधान सबल का पता लगाया।
ग्राम प्रधान सबल को आगरा से पकड़ा गया। सबल की निशानदेही पर पुलिस ने हर्ष उर्फ अखिलेश को भी पकड़ा। हर्ष पहले स्ट्रीट वेंडर का काम करता था लेकिन आपराधिक गतिविधियों के जरिए वह लग्जरी कारों का मालिक बन गया। गिरोह पहले मोबाइल टावर लगाने के नाम पर लोगों से ठगी करता था। जब यह ट्रिक फेल होने लगी तब गिरोह लॉरेंस बिश्नोई के नाम का इस्तेमाल करके जबरन वसूली करने लगा।
गिरोह ने दिल्ली में डॉक्टरों के कॉन्टैक्ट विवरण जमा किए। इसके बाद डाक के जरिए धमकी भरे पत्र भेजे। गिरोह सदस्यों ने बैंक खाते में भुगतान की मांग की। डीसीपी ने कहा कि ये पत्र कृष्णा नगर डाकघर से भेजे गए थे। इस काम में ऋषि ने अहम भूमिका निभाई। उसने सोशल प्लेटफार्मों से दिल्ली के सरकारी डॉक्टरों की लिस्ट निकाली। इसके बाद कम्प्यूटर की मदद से धमकी भरे पत्र लिखकर पोस्ट ऑफिस से 12 से अधिक डॉक्टरों को भेजे थे।