Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi LG opinion will have to be taken before implement Cabinet decisions, Chief Secretary instructions to officers

दिल्ली कैबिनेट के फैसले लागू करने से पहले लेनी होगी LG की राय, मुख्य सचिव का अफसरोंं को निर्देश

दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिवों को निर्देश दिया है कि वे कैबिनेट के फैसले लागू करने से पहले उपराज्यपाल की राय जरूर लें।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानSun, 17 Nov 2024 05:29 AM
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दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिवों को निर्देश दिया है कि वे कैबिनेट के फैसले लागू करने से पहले उपराज्यपाल की राय जरूर लें।

मुख्य सचिव ने पत्र में अधिकारियों से कहा है कि वे कैबिनेट प्रस्तावों की तैयारी, परामर्श, चर्चा, निर्णय और क्रियान्वयन के दौरान दिल्ली सरकार के कामकाज के नियम का पालन जरूर करें। इसमें लिखा है कि कोई भी आदेश लागू करने से पहले मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के माध्यम से उसे एलजी के समक्ष उनकी राय के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

मुख्य सचिव ने कहा है कि सभी प्रशासनिक सचिव की जिम्मेदारी है कि वे योजना के संबंध में कैबिनेट नोट तैयार करते समय कामकाज के नियम और जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 का पालन करें।

प्रावधान की बात स्पष्ट करने को कहा

मुख्य सचिव ने लिखा कि कैबिनेट का कोई भी नोट तैयार करते समय उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि मंत्रिपरिषद के निर्णय के आधार पर उसे लागू करने से पहले एलजी की राय प्राप्त करने के लिए प्रावधान है या नहीं। उन्होंने कहा कि पहले निर्देश दिया गया था कि कैबिनेट नोट तैयार करने के लिए कैबिनेट सचिवालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करते समय उसके कार्यान्वयन, वित्तीय खर्च और समय सीमा के तौर-तरीकों को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।

संघर्ष के चलते बस मार्शलों ने लड़ाई जीती : गुप्ता

दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि भाजपा का संघर्ष रंग लाया और आखिरकार आम आदमी पार्टी को झुकना पड़ा। अब मार्शलों की बहाली का कॉल आउट नोटिस जारी किया गया है। गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी लगातार मार्शलों को गुमराह कर राजनीतिक फायदा लेने में जुटी थी। दिल्ली सरकार ने अक्टूबर 2023 में मार्शलों को कोई भी नोटिस दिए बिना अचानक नौकरी से हटा दिया था। इसके खिलाफ भाजपा ने सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष किया। विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बार-बार मार्शलों को गुमराह किया और उन्हें लेकर राजनीति की, लेकिन भाजपा जब 26 सितंबर को सदन में मार्शलों की बहाली का प्रस्ताव लाई तो आखिरकार आम आदमी पार्टी को झुकना पड़ा। यह जीत सिर्फ भाजपा की नहीं, बल्कि उन सभी मार्शलों की है जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए धैर्य रखा।

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