सत्येंद्र जैन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सह आरोपियों की जमानत याचिका खारिज, क्या बोला हाईकोर्ट?
दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दो आरोपियों की याचिका खारिज कर दी है। इन आरोपियों ने डिफॉल्ट बेल मांगी थी। इसमें आप नेता सत्येंद्र जैन भी जेल में हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP नेता सत्येंद्र जैन की संलिप्तता वाले मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इन आरोपियों ने दावा किया था कि उनके खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट अधूरी है। मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में सत्येंद्र जैन भी जेल में हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन को डिफॉल्ट बेल देने से इनकार करने संबंधी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
अदालत ने कहा कि निचली अदालत का आदेश तथ्यों के आधार पर नियमित जमानत का अनुरोध करने के आरोपियों के अधिकार पर रोक नहीं लगाता है। यह मामला सत्येंद्र जैन पर लगे आरोपों से संबंधित है, जिसमें कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग किये जाने का आरोप है। ईडी का दावा है कि वैभव जैन और अंकुश जैन आप नेता के कारोबारी सहयोगी थे। इन लोगों ने आपराधिक कृत्य में मदद पहुंचाई।
अदालत ने आरोपियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ दाखिल आरोप पत्र अधूरा था। अदालत ने कहा कि मुख्य आरोप पत्र का समर्थन करने करने वाले पूरक साक्ष्य शिकायत (आरोप पत्र) को अधूरा नहीं बनाते। निचली अदालत ने सही निष्कर्ष निकाला है कि याचिकाकर्ताओं (वैभव और अंकुश जैन) के खिलाफ दाखिल शिकायत (आरोप पत्र) अपराध से जुड़े सभी जरूरी तत्वों को समाहित करने के संदर्भ में पर्याप्त थी।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने सोमवार को पारित और मंगलवार को उपलब्ध कराए गए आदेश में कहा कि आगे की कोई भी जांच, जो केवल पूरक प्रकृति की है, शिकायत को अधूरा नहीं बनाती है। इस वजह से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत डिफॉल्ट जमानत अस्वीकार की जाती है। इस मामले में ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था। अंकुश और वैभव को 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया था।