आतिशी की सीट पर चुनाव कराने वाली EVM हो सकेंगी रिलीज, हाई कोर्ट ने मानी चुनाव आयोग की बड़ी मांग
आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रहीं आतिशी की जीत को कालकाजी निवासी याचिकाकर्ता कमलजीत सिंह दुग्गल और आयुष राणा ने अदालत में चुनौती दी है। अपनी याचिका में उन्होंने आतिशी और उनके मतदान एजेंट पर भ्रष्ट आचरण में संलिप्त रहने का आरोप लगाया है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग की तरफ से दायर याचिका में की गई उस मांग को मान लिया, जिसमें उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी के चुनाव क्षेत्र कालकाजी में इस्तेमाल की गई EVM को छोड़ने की मांग की थी। दरअसल विधानसभा चुनाव में आतिशी की जीत के बाद कुछ लोगों ने उनके निर्वाचन को चुनौती देते हुए उन पर भ्रष्ट आचरण अपनाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद अदालत ने चुनाव में इस्तेमाल EVM और VVPAT को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। हालांकि चुनाव आयोग ने अब एक नई याचिका लगाते हुए EVM के इस्तेमाल की जरूरत बताते हुए याचिका लगाई थी। जिसके बाद कोर्ट ने मंजूरी दे दी।
चुनाव आयोग की तरफ से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने आगामी बिहार चुनावों में ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के इस्तेमाल की जरूरत बताते हुए उन्हें जारी करने की मांग की थी। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि उन्हें ईवीएम जारी करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वीवीपैट पर्चियों का सुरक्षित रखा जाना जरूरी है। जिसके बाद जस्टिस ज्योति सिंह ने उनकी मांग को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव आयोग EVM के डेटा को तो सुरक्षित नहीं रख सकता है, लेकिन उसे मतदाता सत्यापन पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों को अगले आदेश तक सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है।
आयोग की तरफ से अदालत में यह आवेदन इसलिए दायर किया गया था क्योंकि अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में निर्वाचन आयोग, निर्वाचन अधिकारी और पुलिस को कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों के सभी रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था और कहा था कि वे भविष्य में अपने आदेश में संशोधन की मांग कर सकते हैं।
आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रहीं आतिशी की जीत को कालकाजी निवासी याचिकाकर्ता कमलजीत सिंह दुग्गल और आयुष राणा ने अदालत में चुनौती दी है। अपनी याचिका में उन्होंने आतिशी और उनके मतदान एजेंटों पर भ्रष्ट आचरण में संलिप्त रहने का आरोप लगाया है, और आतिशी के चुनाव को अमान्य घोषित करने की मांग भी की है। इस मामले की अंगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मतदान से एक दिन पहले 4 फरवरी को, आतिशी के करीबी सहयोगियों को निर्वाचन क्षेत्र में 5 लाख रुपए की नकदी के साथ पकड़ा गया था, जो कि कथित तौर पर अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए उनके (आतिशी) निर्देश पर काम कर रहे थे।
आतिशी पर जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा I23 (I)(A) के तहत रिश्वत लेने और निर्वाचन क्षेत्र में अन्य उम्मीदवारों पर अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था। इस याचिका में उन्हें चुनावी अपराध करने, चुनाव पूर्व 48 घंटे की चुप्पी अवधि का उल्लंघन करने और उनके खिलाफ 11 जनवरी को गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज लंबित आपराधिक मामले का खुलासा न करके झूठा हलफनामा दायर करने का दोषी बताया गया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को हुए मतदान के बाद 8 फरवरी को घोषित परिणामों में आतिशी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी को 3,521 वोटों से मात दी थी।