दिल्ली को भिखारी मुक्त बनाने की कवायद, अधिकारियों ने बताया क्या करने जा रही रेखा गुप्ता सरकार
बचाए गए लोगों को तीन से छह महीने की अवधि के लिए शेल्टर होम में रखकर उनकी मदद की जाएगी, जिसके बाद उनका पंजीकरण किया जाएगा और उन्हें आधार और राशन कार्ड जैसे सभी कानूनी पहचान-प्रमाण दस्तावेज दिए जाएंगे।

देश की राजधानी दिल्ली को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए राज्य सरकार शहर के विभिन्न हिस्सों में मौजूद भिखारियों का सर्वे कराने जा रही है। सरकार की इस कवायद का मकसद यह है कि इसके जरिए उन्हें कौशल व व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उनकी काउंसिलिंग और पुनर्वास किया जा सके, और उन्हें सम्मानजनक तरीके से आजीविका कमाने का मौका दिया जा सके।
इस बारे में गुरुवार को जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह सर्वेक्षण समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रतिष्ठित स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से नौ विशेष हॉटस्पॉट क्षेत्रों में किया जाएगा, जिनमें करोल बाग, पुरानी दिल्ली, शाहदरा, निजामुद्दीन, मुनिरका, बंगला साहिब गुरुद्वारा के पास, आर के पुरम और रोहिणी शामिल हैं।
सर्वेक्षण और पहचान के बाद, इससे जुड़े NGO (गैर सरकारी संगठन) इन लोगों को आश्रय गृहों की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि भीख मांगने वाले अनाथ बच्चों को बाल देखभाल केंद्रों में भेजा जाएगा। इस दौरान बच्चों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों, बुजुर्गों और नशीली दवाओं का सेवन करने वालों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बचाए गए लोगों को तीन से छह महीने की अवधि के लिए आश्रय गृह (शेल्टर होम) में रखकर सहायता प्रदान की जाएगी, जिसके बाद उनका पंजीकरण किया जाएगा और उन्हें आधार और राशन कार्ड जैसे सभी कानूनी पहचान-प्रमाण दस्तावेज दिए जाएंगे। इसके साथ ही उन्हें परामर्श देते हुए भीख मांगने से रोकने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा।
मादक द्रव्यों के सेवन में लिप्त पाए जाने वाले भिखारियों को नशा मुक्ति केंद्रों में भेजा जाएगा। इसके लिए तैयार अभिरुचि दस्तावेज में कहा गया है कि आश्रय गृह बच्चों की शिक्षा और वयस्कों को कौशल प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करेंगे ताकि वे स्वरोजगार के माध्यम से सम्मानजनक जीवन जी सकें।
भीख मांगने वालों के पुनर्वास के लिए आमतौर पर तीन महीने की अवधि की आवश्यकता होगी। हालांकि, दस्तावेज़ में कहा गया है कि व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर, ठहरने की अवधि को लंबी या छोटी करने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि किसी भी परिस्थिति में ठहरने की अवधि छह महीने से ज्यादा नहीं होगी।
समाज कल्याण विभाग केंद्र सरकार की योजना 'स्माइल' की एक उप-योजना- 'भीख मांगने के कार्य में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास' के तहत यह काम करेगा, जिसका लक्ष्य साल 2025-26 में 37 करोड़ रुपए के बजट से शहर में लगभग 8,000 भिखारियों का पुनर्वास करना है। इस योजना में भिखारियों की पहचान करना और उन्हें आश्रय गृहों में ले जाना तथा उसके बाद उनका व्यापक पुनर्वास करना शामिल है।
विभाग ने केन्द्र सरकार की योजना - SMILE (सपोर्ट फोर मार्जिनलाइज्ड इंडिविजुअल्स फोर लाइवलीहुड एंड एंटरप्राइज) यानी आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों को सहायता उपलब्ध कराना, के कार्यान्वयन के लिए पात्र, पंजीकृत व गैर सरकारी संगठनों से रुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की है।