भीड़भाड़ वाली जगहों से उठाते थे बच्चे; दिल्ली पुलिस ने 4 को दबोचा, तरीका उड़ा देगा होश
Delhi Crime: दिल्ली पुलिस की रेलवे यूनिट ने बच्चों की तस्करी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार बदमाशों को दबोचा है। साथ ही एक नवजात समेत दो बच्चों को बचाया है।
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दिल्ली पुलिस की रेलवे यूनिट ने बच्चों की तस्करी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के चार बदमाशों को दबोचा है। साथ ही एक नवजात समेत दो बच्चों को बचाया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन बदमाशों की गिरफ्तारी के साथ दिल्ली पुलिस की टीम ने 2023 से 2025 तक के तीन वारदातों को सुलझाया है। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह गोद लेने के बहाने निःसंतान दंपतियों को तस्करी कर के बच्चों की आपूर्ति कर रहा था।
पुलिस उपायुक्त (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने इस गिरोह के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पिछले साल 17 अक्टूबर को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक केस दर्ज होने के बाद जांच शुरू की गई। एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके ढाई साल के बेटे का अपहरण कर लिया गया है। पीड़िता ने पुलिस को बताया था कि जब वह स्टेशन के मुख्य हॉल में सो रही थी इसी दौरान कोई उसके ढाई साल के बेटे को उठा ले गया।
इसके बाद पुलिस की टीम ने सीसीटीवी फुटेज में एक अज्ञात महिला को बच्चे को उठाकर ऑटो-रिक्शा में ले जाते हुए देखा। टीमों ने उस ऑटो-रिक्शा चालक का पता लगाया। उस ऑटो चालक ने पुष्टि की कि उसने संदिग्ध को बदरपुर-फरीदाबाद टोल गेट के पास छोड़ा था। पुलिस को जांच पता चला कि 31 जुलाई को रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर हॉल से एक अन्य महिला के तीन साल के बेटे का भी अपहरण किया गया था। इस वारदात को लेकर भी सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई। इसमें पता चला कि उसी महिला ने बच्चे का अपहरण किया और ऑटो-रिक्शा में बैठकर उसी स्थान पर पहुंची थी।
इसके बाद 21 जनवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक और बच्चे के किडनैप होने की सूचना मिली। इस मामले में एक महिला ने बताया कि उसके चार महीने के बच्चे को फूड कोर्ट वेटिंग हॉल से उठा लिया गया। इसी तरह के तीनों मामलों की जांच के लिए पुलिस ने एक टीम बनाई। पुलिस ने बड़े पैमाने पर छानबीन शुरू की। इसमें कई टीमों की मदद ली गई। विभिन्न टीमों ने 700 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की। फोन ट्रैकिंग डेटा के साथ संदिग्ध की गतिविधियों को मैप किया। जांच टीमों को सफलता तब मिली जब संदिग्ध को रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार से ऑटो-रिक्शा में चढ़ते देखा गया।
इसके बाद वाहन के पंजीकरण नंबर को ट्रैक किया गया और बदरपुर में जांच की गई। टीम ने आखिरकार छापेमारी के बाद संदिग्ध जोड़े को फरीदाबाद में ढूंढ निकाला। पुलिस ने गिरोह के चार लोगों को हिरासत में लिया। महिला का पति सूरज तस्करों और खरीदारों के बीच लेन-देन में मदद करता था। एक अन्य महिला जो एक वकील की क्लर्क है तस्करी को वैध दिखाने के लिए जाली गोद लेने के दस्तावेज तैयार करती थी। टीम ने बाद में एक शख्स को गिरफ्तार किया जो 10वीं पास है। वह खुद को डॉक्टर बताता था।
वह तस्करी किए गए बच्चों को निःसंतान दंपतियों को छोड़े गए बच्चों के रूप में पेश करता था। यह गिरोह बहुत योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा था। गिरोह अपहृत बच्चों को बेचने के लिए कानूनी खामियों और चिकित्सा संबंधी गलत बयानी का फायदा उठाते थे। ये तस्कर रेलवे स्टेशन जैसे भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों से बच्चों को निशाना बनाते थे। बच्चा चोरी करने वाली महिला योजनाबद्ध तरीके से भागने के तय रास्ते का इस्तेमाल करती थी। गिरोह ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोड भाषा का इस्तेमाल करता था। इसके सदस्य बार-बार फोन नंबर बदलते थे।